Sunday 14 September 2014


भरोसे का संवेदी सूचकांक आसमान पर है। माना जा रहा है कि धन-दौलत ही सुरक्षित भविष्य का आधार है। पर ऐसा है क्या? गुरूजन कहते हैं – “नहीं।“ इस “नहीं” का विस्तार यह कि हम सब ऐसी भौतिक चीजों के पीछे भागे जा रहे हैं, जिसमें खुशी सन्निहित है ही नहीं। शिक्षक दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से छोटे बच्चे ने बड़ा सवाल पूछ लिया – आप कौन हैं? अपने आप को किस रूप में देखते हैं? प्रधानमंत्री ने इस सवाल की गंभीरता को माना और अपनी तरह से उत्तर भी दिया। पर ऐसा सवाल तो हर व्यक्ति को अपने आप से करना है। आध्यात्मिक गुरू अनंत काल से यही तो बताने की कोशिश करते रहे हैं कि स्वयं को जानो। ऐसे में नई दिल्ली के त्यागराज स्पोर्ट्स स्टेडियम में आगामी 18 सितंबर से आयोजित चार दिवसीय “स्वयं को जानो योगोत्सव” का महत्व काफी बढ़ गया है, जिसमें विश्व प्रसिद्ध बिहार योग विद्यालय के परमाचार्य परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती की पावन उपस्थिति में अपने आप को जानने का एक स्वर्णिम मौका है। स्वामी जी कहते हैं कि जिस दिन हम अपने आप को जान जाएंगे, जीवन आनंदमय हो जाएगा।

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