Tuesday 20 January 2015

बात उन दिनो की है जब मैं हॉस्टेल मे रहता था और वहा एक अनोखी घटना घटित हो रही थी-........रवि सिंह(Radhe)


बात उन दिनो की है जब मैं हॉस्टेल मे रहता था और वहा एक अनोखी घटना घटित हो रही थी-
अब इसे छात्रो का चम्मच प्रेम कहें या कुछ और...बच्चे हवन की वेदी पे हैं, और उनकी जेब से चम्मच बाहर झांक रहे मानो पण्डित जी से कह रहे हो "जी मेरी उपस्थिति भी दर्ज की जाये"
हालांकि दोपहर के भोजन के बाद बाहर धूप सेंकते हुए चम्मच नजर आना तो आम बात है, परंतु बाहर अजय भाई की दूकान पे सामान लेकर पैसे निकालते हुए, पैसे के साथ चम्मच भी निकल आती देखी गयी थी, शाम को बाहर राउंड लगाते बच्चो के हाथ चम्मच दिख ही जाते मानो यहा का पहचान-पत्र यही हो और हमेशा साथ रखना अनिवार्य हो
"अन्नपूर्णा" के अंदर की शाम कुछ यू ही दिखती थी, किसी को चाय मे चीनी मिलानी हो या टीना को गुलाब-जामुन खानी हो। चम्मच तो सबके पास उपलब्ध था ही
अन्नपूर्णा वालो को भी देखकर अच्छा लगता था की बच्चे अपने चम्मच खुद ही लेकर आते हैं
कक्षा मे बच्चो के पास कलम हो ना हो जेब मे चम्मच जरूर दिख जाती थी, खैर कलम तो मेरे पास परीक्षा मे भी नहीं होती थी, दूसरो से ले लेता था क्युकि मेरी कलम तो बस व्यंग के लिये ही खुलती है(परीक्षा की कॉपियाँ इसकी साक्षी है)
योग की कक्षा मे जब ये शीर्षासन या सर्वांगासन लगाते तो इनकी चम्मच बाहर गिर ज़ाती.........यहा तक की जब मैं एक रात फिश-पॉंड के पास बैठा था तो दो मछली आपस मे बाते कर रहे थे शायद वे प्रेमी-युगल थे-
नर कहता है सुन डार्लिंग ये देख आज मैं तेरे लिये क्या लाया हूँ (चम्मच दिखाते हुए), मादा बोली अरे ये कहा से उठा लाये
वो बोला सुन र सनम वो शाम को आते हैं ना कुछ आशिक़ मिजाज लौंडे वो हमे रोटी डालने के बहाने आस-पास की नाजुक कलियों पे दाना डालने मे मसगूल थे और उसके जेब से चम्मच सरकती हुई इधर आ गिरि और इसे उठा कर मैं तेरे लिये ले आया अब अपना भी स्टॅंडर्ड बढ़ जायेगा हम-दोनो अब इसी से ब्रेकफास्ट, लंच, और डिनर किया करेंगे।
आख़िर ये था क्या चम्मच के प्रति इनकी दीवानगी, प्रेम या चम्मच की कोई खास जरूरत
इसका जवाब सुनील भाई की व्यथा मे छुपी, उनके अनुसार पिछले छह माह मे २०० बच्चो के लिये १२०० चम्मच मगवाये गये थे परंतु मेस मे एक भी उपलब्ध नहीं है, इसकी पूर्ति के लिये उन्होने सारे उपाय कर लिये|
इनमे से कुछ चम्मच आस पास की झाड़ियो मे मिले, कभी राह चलते पैरो मे लगते, किसी की बालकनी मे लावारिस सी पड़ी रहती, किसी के कमरे मे जाओ तो २-४ तो यू ही दिख जाती, आलमीरा खोलो कोई सामान निकालने तो पहले चम्मच बाहर निकलती......यहा तक की क्रिकेट की पिच बनाते वक़्त भी चम्मच मिल जाते जमीन से....
अंततः मेस से चम्मच की सुविधा खत्म कर दी गयी, इसके पीछे यह कारण भले ही ये दे दिया गया हो की आयुर्वेद के अनुसार भोजन हाथ से ग्रहण किया जाना चाहिये.......परंतु मेरे हिसाब से कॉलेज-प्रशासन के दिमाग मे ये बात होगी की कही हमारे बच्चे "चम्मच-छाप" ना बनकर रह जाये...........रवि सिंह

एक लड़का एक लड़की को बहुत प्यार करताथा


एक लड़का एक लड़की को बहुत प्यार
करताथा.
लड़के ने लड़की को प्रपोज़ किया..
लड़की :- जितनी तेरी एक महीने की कमाई
है,
उतना मेरा हफ्ते का खर्चा है, इसलिए मैँ
तुमसे मोहब्बत
नहीं कर सकती..
फिर भी वो लड़का मन ही मन
उसी लड़की कोचाहता है...
20 साल बाद वो दोनों संयोग से एक मॉल
(दुकान) में मिलते
है,
बातो ही बातो में लड़की ने
कहा मेरा पति आज एक बहुत बड़ी
कंपनी में नौकरी करता है.
उसकी सेलरी एक 80 हजार रुपये
प्रति महिना है.
वो बहुत होशियार है, अब तुम ही बताओ,..
मैंने उस दिन तुम से शादी न कर के कोई
गलती की क्या...?
.
लड़के की आँखे नम हो जाती हैं,...
और उसके बाद दोनों अपने काम के लिए जाने
लगे..
.
थोड़ी देर में लड़की का पति उसे लेने
आया और लङकी के
पति की नजर उस लड़के पर पड़ी और कहा -
सर, आप
यहाँ ?,
बाद में अपनी पत्नी से मिलते हुए
कहा कि :- ये मेरी कंपनी के
मालिक है
और एक साल का 500 करोड़ का टर्नओवर
है,
और सर एक लड़की को चाहते है, इसलिए आज
तक सर ने
शादी नही की...लङकी Emotional
हो गयी यहहै
जिन्दगी बस एक पल की मोहताज़
नहीं होती,बस
वक़्त उसे मोहताज बना देता है....
"प्यार को समझे और उसे महत्व दे,
उसे तोले नहीं... क्योकि प्यार अनमोल है"
जो लोग सच्चा प्यार करते है पढने के बाद
शेयर जरुर कर
"गुजरी हुई जिंदगी को
कभी याद न कर,
तकदीर मे जो लिखा है
उसकी फर्याद न कर...
जो होगा वो होकर रहेगा,
तु कलकी फिकर मे
अपनी आज की हसी बर्बाद न कर...
हंस मरते हुये भी गाता है
और
मोर नाचते हुये भी रोता है....
ये जिंदगी का फंडा है बॉस
दुखो वाली रात
निंद नही आती
और
खुशी वाली रात
.कौन सोता है...
Nice Line....
इन्सान कहेता हे की पैसा आये तो
में कुछ करके दिखाऊ,
और
पैसा कहेता हे की तू कुछ करके दिखा तो में आऊ ।।

संता और उसकी गाड़ी


संता अपनी बैलगाडी में अनाज के बोरे
लादकर शहर ले जा रहा था.

अभी गाँव से निकला ही था कि एक खड्डे
में उसकी गाड़ी पलट गई.

संता गाड़ी को सीधी करने की कोशिश
करने लगा.

थोड़ी ही दूर पर एक पेड़ के नीचे बैठे
किसान ने यह देखकर आवाज़ दी –

“संता बेटा, परेशान मत हो, आजा मेरे
साथ पहले खाना खा ले फिर मैं
तेरी गाड़ी सीधी करवा दूंगा !”

संता – “धन्यवाद चाचाजी, पर मैं
अभी नहीं आ सकता … पापा नाराज़
होंगे !”

किसान – “अरे तुझसे अकेले
नहीं उठेगी गाड़ी .. तू आजा खाना खा ले
फिर हम दोनों उठाएंगे !”

संता – “नहीं चाचाजी, पापा बहुत
गुस्सा होंगे …”

किसान – “अरे मान भी जा … आ जा तू
मेरे पास !”

संता – “ठीक है आप कहते हैं तो आ
जाता हूँ … ”

संता ने जमकर खाना खाया फिर बोला –
“चाचाजी अब मैं चलता हूँ गाड़ी के पास
और आप भी चलिए … पापा परेशान
हो रहे होंगे !”

किसान ने मुस्कुराते हुए कहा – “चलता हूँ
बेटा पर तू इतना डर क्यों रहा है … वैसे
अभी कहां होंगे तेरे पापा ?”

संता – “गाड़ी के नीचे … !!!”

ऑस्‍ट्रेलिया में हुए भारत और इंग्‍लैंड के बीच क्रिकेट मैच में इंडियन प्‍लेयर्स की परफॉर्मेंस के बारे जानिए 8 कमाल की बातें.


1. ससुराल में सिलबिल्ले हुएः शिखर धवन, चाय ठंडी हो रही थी इसलिए जल्दी आउट हो गया जैसे जोक्स के नए राजा. सबसे पहले आते हैं, सबसे पहले जल्दी से पवेलियन चले जाते हैं. उनकी वाइफ ऑस्ट्रेलिया की हैं. हमें लगा था कि ससुराल में कुंवर गुल खिलाएंगे. मगर यहां तो उनकी बत्ती गुल है.
2. ई कौन गोले का लुल्ल शॉट हैः विराट कोहली. गोया गुस्सा हों कि मुझे अब तक वनडे में कैप्टन क्यों नहीं बनाया गया. लगातार दूसरे मैच में गैरजिम्मेदाराना शॉट खेलकर आउट.
3. रैना बीती जाएः इत्ती सी खुशी, पहले गम, बाद में गम. सुरेश रैना की बात कर रहे हैं हम. आखिरी टेस्ट में मौका मिला. जीरो का डबल मारा. फिर उस पनौती को अक्षर पटेल पर ट्रांसफर कर दिया. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले वनडे में फिफ्टी मारी. तो क्या हुआ जो फिर आउट हो गए. सबने कहा. देखो-देखो रैना लौट आया. तारीफ इतनी हुई कि रैना आज फिर जल्दी से घर लौट आया. वह भी स्पिनर्स के खिलाफ, जिनका सामना करने में वह दक्ष माने जाते हैं.
4. राहुल गांधी सिंड्रोम के शिकारः महेंद्र सिंह धोनी. उनका हाल राहुल गांधी जैसा हो रहा है. जहां सब कह रहे हैं कि आइए और कुछ आक्रामकता, कुछ रणनीति दिखाइए. और आप हैं कि अपनी ही धुन में मंद मंद मुस्कुराए जा रहे हैं. कर कुछ नहीं रहे. भला कौन सा कप्तान गाबा की पिच पर टॉस जीत पहले बैटिंग करेगा. सुबह का मौसम, स्विंग के लिए मददगार. और तिस पर तुर्रा यह कि आपके बॉलर्स आज की तारीख में शायद 500 रन का स्कोर भी डिफेंड न कर पाएं.
5 देखा, पापा, मैंने बोला था नः आज के मैच की इकलौती मुस्कान. मिली स्टुअर्ट बिन्नी को. सब कह रहे थे. पापा रोजर सेलेक्टर. इसलिए स्टुअर्ट लिटिल का भी हो गया हैलो रोजर, हैलो अल्फा कमिंग. मगर स्टुअर्ट आखिरी में गुस्से में दिखे. क्योंकि पापा के दोस्त धोनी अंकल ने उनसे पहला ओवर फेंकवाया. फिर स्टुअर्ट को समझ आया. ये मैच नहीं. नेट प्रैक्टिस थी.
6. भगवान के लिए मुझे मत मारोः भुवनेश्वर कुमार, सुंदर आंखों वाला लड़का. जिसे स्विंग से मदद मिलती है. मगर मदद न हो गई दम पुलाव हो गया, जो दौरे के आखिरी में जाकर पकेगा. ये बालक की बॉलिंग इधर इत्ती जंग खा चुकी है. कि अब तो लगता है कि टीम में रखना ही है तो स्पेशलिस्ट बैट्समैन के तौर पर रख लो.
7. पैकिंग तगड़ी, डिलीवरी फुस्सः उमेश यादव का ऐसा हाल है गोया किसी ने एमेजॉन या फ्लिपकार्ट पर ट्रिमर ऑर्डर किया हो और वहां से उस्तरा भेज दिया गया हो. बताया गया कि ये है बॉलिंग दल की नई उम्मीद. विदेशी फास्ट बॉलर्स की तरह हूस सा दिखता उमेश. रफ्तार भी. मगर ये क्या. न लाइन, न लेंथ, न एकुरेसी, न विकेट, न इकॉनमी.
8. व्हाट इज दिस समीः मो. समी. देखकर लगता है कि कंपनी गार्डन में बैंक की नौकरी से बंक कर घूमने आए हैं अंकल जी. वसीम अकरम बता रहे थे कि समी अपनी बैटिंग को लेकर सीरियस हैं. उनका नंबर वन स्कोर 1 रन भी ऐसा ही कुछ बता गया. मगर हम तो बात करना चाहते हैं उनकी बॉलिंग की. जिसके लिए शायद उन्हें टीम में नौकरी मिली. कहने को मीडियम पेसर. मगर ग्रेट कुंबले से बस कुछ ही तेज गेंद फेंकते हैं. जो कभी कभी स्विंग हो भी जाती है, तो बैट्समैन के पास इतना वक्त होता है कि आराम से गोड्डे टेककर छक्का मार सके.
बच गए अब तीन. पटेल, रायडू और रहाणे. पटेल की पोंपों की जा सकती थी. आखिर लगातार दो मैच में गोल्डन डक बनाया है. मगर उनको वक्त दिया जाना चाहिए. अपनी बॉलिंग के लिए. रायडू को अचानक नंबर तीन पर भेज दिया गया. जैसे दूल्हा रूठ जाए तो देवर दूल्हा बन जाए टाइप. ठीक ठाक खेल गए लुल्ल शॉट खेलने से पहले. और रहाणे. तकनीकी तौर पर ठोस दिख रहे हैं. बाकी टीम इंडिया ठोस नहीं ठस दिख रही है. मगर इसमें एक चाल है. वर्ल्ड कप से पहले सब टीमों में जीत की हवा भर दो. और फिर ऐन मौके पर कमाल कर दो. तमाम हिंदुस्तान इसी इत्मिनान में जी रहा है. देखते हैं. नींद खुलती है या सपना फिर पूरा होता है.

Monday 19 January 2015

दुनिया के तीन सबसे मासूम चेहरे



१) सोता हुआ बच्चा
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२) उधार मांगने वाला आदमी
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३) हमारे माता-पिता के सामने
बैठा हुआ हमारा दोस्त--

बिहारी हो क्या


“बिहारी हो क्या ?”
“हाँ भईया … ”
“हाहाहा … तभी … साला सब बिहारी ऐसे ही होते हैं …”

रोहित ने अपने office colleague विराट को ये बोलते सुन लिया … विराट जिस बन्दे को बिहारी होने का ताना दे रहा था उसकी गलती बस इतनी थी कि वो नया नया आया था शहर में, और शहर के रिवाज़ों से वाकिफ नहीं था …
“भइया ई metro का जो टिकट है, उसको TTE को देना होगा ?”
इतनी सी बात पे विराट ने जो हताशा जताई उससे एक अनजान व्यक्ति को बिहारी होना गाली सा प्रतीत हो गया …
रोहित को विराट की ये बात ज़रा भी नहीं भाइ … ऐसा नहीं है की विराट को पता नहीं है कि रोहित बिहार से है, पर विराट की अवधारणा कोई उसकी खुद की बनायी नहीं है … विराट वैसे तो रोहित से बहुत घुला मिला हुआ है, पर किसी भी अनजान बिहारी को मूर्ख समझना ये trend सा बन गया है जिसे ना रोहित बदल सकता है ना शहर के लोग …
“क्यूँ भाई, सब बिहारी कैसे होते हैं?”, रोहित ने खीज कर विराट से पूछा …
“अरे भाई, तू क्यों बुरा मान रहा है? मैं तो उन गंवारों की बात कर रहा था … ”
“वो गंवार क्यों हो गया ? क्यूंकि उसे पता नहीं की metro में tickets कैसे use होते हैं?”
“ठीक है उसकी बात छोड़ … पर maximum percentage ऐसे लोग बिहारी ही होते हैं … एकदम backward…”

रोहित से रहा न गया … इसलिए नहीं कि उसे इस बात से ठेस पहुँच गयी , बल्कि इस बात से की आज भी अपने ही देश के लोग बिहार के बारे में अनजान हैं …
“तब तो चाणक्य जिन्हे Economics और Political Science का pioneer माना जाता है, वो भी backward थे … महावीर जिन्होंने जैन धर्म की सीख दी, वो भी backward थे, Ashoka the great जिसने इतनी बड़ी empire खड़ी की और फिर messenger of peace बन गए, वो भी backward थे, हमारे राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर backward थे, हमारे देश के पहले राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद backward थे … Nalanda university में पढ़ने वाले scholars backward थे … आर्यभट्ट यहां educate हुए वो भी backward थे … सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी वो भी backward थे,कुंवर सिंह जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई लड़ी वो भी backward थे, बुद्ध ने जहां ज्ञान पाया, संघमित्रा ने जहां से Srilanka, Burma और Thailand तक बुद्ध धर्म का प्रचार किया, चन्द्रगुप्त मौर्या ने जहां से पूरे भारत देश को unite kiya और बंगाल से लेके अफ़ग़ानिस्तान और बलोचिस्तान तक आज तक का सबसे बड़ा empire खड़ा किया, गांधीजी ने जहां से सत्याग्रह चलाया, सब backward ही थे … हाँ भाई, बिहार ही backward है …
….
सच बात तो ये है दोस्त, कि जिस देश की history और culture पे तुम इतना proud feel करते हो न, उसमें बहुत बड़ा हिस्सा बिहार का है …”
विराट को ये इतिहास का ज्ञान थोड़ा overrated लगा, उसने तुरंत जवाब दिया,
“क्या तू history को लेके बैठ गया , आज की बात कर न … आज कहाँ है तेरा बिहार?”
“वहीँ हैं जहां इस देश के government ने छोड़ दिया … 1970 के बाद development almost stop हो गयी, Freight Equalization Policy के कारण साला यहां सबसे ज़्यादा minerals होने के बावजूद सारे industries coastal areas में डाले जाने लगे … सारा माल यहां से ले जाते थे पर यहां पे कोई prospect नहीं था industrial growth का … किसी भी state को ले लो … Industries are the backbone of development … वो नहीं थी तो infrastructure नहीं बना, cultural exchange भी नहीं हुआ, education policies पे भी ज़ोर नहीं दिया …

और सबसे बड़ी problem थी कि कोई अच्छा leader नहीं था … ये जो गंवार की definition है वो लालू प्रसाद यादव जैसे politicians ने बना कर रखी है …

तुम्हे क्या लगता है ? यहां से इतने पढ़े लिखे students जाते कहाँ हैं ? I.A.S, I.P.S सब बड़े बड़े administrative posts, India के अलग अलग parts में job कर रहे हैं, कोई यहां नहीं आना चाहता …
हमें ही ले लो … Doctors हो , Engineers हो, Lawyers हो …even सब bureaucrats भी वहाँ नहीं रहना चाहते … क्यों ? क्यूंकि कोई opportunity नहीं है ! देखो, जिन doctors engineers को बहुत अच्छी opportunity मिल जाती है वो foreign चले जाते हैं, next grade बाकी tier-1 and tier-2 cities में बस जाते हैं, और बाकी जो थोड़े बहुत बचे रहते हैं जिनमे ज़्यादातर cream होने के बजाय reservation base पे serve कर रहे होते हैं, वो कितना ही सुधारेंगे बिहार को? अभी तो जाके relatively better governance के कारण गड्ढे से ऊपर उठे हैं, opportunities बढ़ेंगी तो automatically लोग brain drain छोड़ देंगे … मुझे ही अगर salary थोड़ी कम ही सही पर अच्छा career option मिलता वहाँ, तो मैं भी यहां क्यों आता ?

सच तो ये है भाई कि बिहारी backward नहीं, हमारे देश की व्यवस्था backward है … तुम्हे वही backward बिहारी दुबई में बुर्ज खलीफा बनाते हुए मिलता है, जिसके skills को तुम यूँही discard कर देते हो ये बोल के कि labourer है तो बिहारी है … America में renowned doctor होता है जिसे यहां तुम अपने medical certificate बनाने के लिए use करते हो, और Facebook में Software engineer होता है जिसे तुम यहां 40,000 की नौकरी के लिए दिन रात खटा रहे होते हो …. ”
विराट चुप था … शायद रोहित की बातें सुन के … शायद उसकी बातों को नकार के … पर चुप था ….

Friday 16 January 2015

भारत में मौजूद कुछ विडंबनाएँ----)(->


भारत में मौजूद कुछ विडंबनाएँ----)(->
1) राजनेता हमें विभाजित करते हैं, और आतंकवादी हमें एकजुट।
2) हरेक जल्दी में है, लेकिन कोई समय में नही पहुंचता है
3) प्रियंका चोपड़ा मैरीकॉम अभिनय के लिए इतना धन अर्जितकर लेती है जितना मैरीकॉम अपने पूरे कैरियर में अर्जित नही कर पाती
4) अजनबियों से बात करना खतरनाक हैं, लेकिन अजनबी से शादी करने मे कोई ऐतराज नही
5) गीता और कुरान पर लड़ने के ज्यादातर लोग वो हैं जिन्होने शायद उन्हे कभी नहीं पढ़ा है
6) बेटी पर शिक्षा के लिये खर्च करने से बहुत अधिक
उसकी शादी पर खर्च कर देते हैं
7) हम वातानुकूलित शोरूम में जूते खरीदते हैं,और खाने के लिये सब्जियां फुटपाथ से खरीदते हैं
8) हम एक पुलिसकर्मी को देखकर सुरक्षित नही बल्कि असुरक्षित महसूस करते हैं
9) भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा में, एक व्यक्ति दहेज एक सामाजिक बुराई है के बारे में 1500 शब्द निबंध लिखते हैं। एक साल बाद ही वो व्यक्ति एक करोड़ रुपये की दहेज की मांग इसलिये करता है,कि वो प्रशासनिक अधिकारी है
10) भारतीय बहुत शर्मीले होते हैं और 121 करोड़ को पार रहे
हैं।
11) स्मार्ट फोन मे स्क्रीन गार्ड और गोरिल्ला ग्लास लगवाते हैं ,कि खरोंच न पड जाये ,और सिर पर हेल्मेट सिर्फ जुर्माने से बचने के लिये लगाते है
12) भारतीय समाज लड़कियों को सिखाता है कि ब्लात्कार से बचो ,पर ब्लात्कार न करो
लड़को को, ये कोई नही सिखाता
13) सबसे खराब फिल्म के सबसे अधिक कमाने के अवसर होते हैं
17) एक पोर्न स्टार एक सेलिब्रिटी के रूप में समाज में स्वीकार किया जाता है, लेकिन एक बलात्कार की शिकार भी एक सामान्य इंसान के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता।
18) कृत्रिम lemon grass को "स्वागत ड्रिंक"मे प्रयोग किया जाता है और असली नींबू "फिंगर बाउल" में इस्तेमाल किया जाता है
19) फालतू के जोक सारा दिन शेयर करते हो पर ऐसी सारगर्भित पोस्ट लोग Like/Share करना पसंद नहीं करते

यार इससे ज़्यादा कोई "छेर" नहीं सकता।


लैट्रीन के लिए "छेरना" से ज्यादा स्वदेशी शब्द नहीं डिक्शनरी में। लाजवाब शब्द है। किसी भोजन करते हुए व्यक्ति के सामने इस मधुर शब्द का उच्चारंणमात्र ही उसके अन्दर के विकारों को उलटी के रूप में निकाल फेंकने को सक्षम है। "छेर" भी बहुत कुछ इंसानों जैसी ही होती है। रंग गेहूंआ होने के साथ साथ एक बड़ी समानता ये भी होती है की जिस प्रकार हम लोग हर वक्त हड़बड़ी में होते हैं वैसे ही "छेर" भी किसी जल्दबाजी में होती है। वो छेर ही क्या जो "छेरनी-कक्ष" के बीस फर्लांग दूर से टपकती हुई अपने लक्ष्य को प्राप्त ना करे। छेर को आप टाल नहीं सकते। यह हमें समय का पाबन्द बनाती है। हमारे दिलों में यदि ठंढ, अँधेरा, छिपकली, तेलचट्टों आदि का भय हो तो यह हमें उस से भी परे रहना सिखाती है। आप चाहे कितना भी स्नान-ध्यान कर लें, जब तक छेरेंगे नहीं; मन पवित्र नहीं होगा। स्वयं की गलती लोगों को अक्सर नजर नहीं आती, इसी प्रकार स्वयं किया गया छेर भी हमें दुर्गन्धित नहीं लगता। यह हमारे जीवन से जुडी है। माँ, बाप, भाई, बहन, दोस्त, रिश्तेदार सब समय और उम्र के साथ पीछे छूट जाते हैं। पर यह छेर ही है जो आजीवन लोगों का साथ निभाता है। किसी भी दुःख, रोग, परेशानी, गरीबी में साथ नहीं छोड़ता। चाहे आप घी, पुए-पकवान खाओ अथवा सत्तू-चना; हर छेर का रंग एक ही होगा। फिर आदमी में यह भेद-भाव क्यों। क्या अमीर के छेर सोने के होते हैं? क्या गरीब सत्तू छेरता है? क्या मुल्लों के छेर से अजान की आवाजें आती हैं? या क्या हिन्दू का छेर केशरिया होता है? यह छेर ही है जो इंसान को इंसान से प्रेम करना सिखाता है। कहा भी गया है, "बैर कराती मंदिर-मस्जिद, मेल कराती छेर-शाला" बचपन में हम सब जब पाखाने-कक्ष के पाँवदान पर बैठने में असमर्थ हुआ करते थे तब हमारी माताजी अपने दोनों पैरों के बीच में बिठा कर छेरवाया करती थीं। तब छेरने में भी मजा आता था और माँ की ममता का सानिध्य भी प्राप्त हो जाता था।