Sunday 29 March 2015

After ‪World Cup2015‬ semifinal..india team group convo .............


grin emoticon
Dhöni - Oye kon kon Online hai ??
Rohit - mai nahi hu..
Raina - mai bhi nhi hu..
Dhöni - saalo zyada hero mat bano.. aise bol re ho jaise maine match haraya hai..
Dhawan - are yaar
news wale sab mujhe villion bta rahe hain..bol re hai meri wajah se hare.. colonthree emoticon
Rahane - chinta mat kar.. Thodi der me sab bhul jayenge or kal ‪#‎anushka‬ko bolenge ki uski wajah se hare..
kohli - dekh be usko leke mazak nahi.. (kohli Added #Anushka) heart emoticon
Anuska Typing.. ***..
Dhoni (Removed Anushka) - sun be.. har kisiko add mat kar.
kohli - use sirf sorry bolna tha sabse..
Dhoni - bhaag saale ladki ki wajah se out ho gaya.
Raina - haa haa.. be mujhse kuch sikh, kuch din me shadi hai fir bhi nhi bulaya kisiko mainne Or sala
ticket kisne di usko..
kohli - dekh tu jyada mat bol.. colonthree emoticon
Jadeja - bol tu Raina.. isi ke kaaran hare aaj appa log.
Rohit - oye Jaddu.. tu kab aaya Australia.. Tu khel rha tha kya wc me grin emoticon
Jadeja Left..
Dhoni - Oye Rohit mat kr yar.. ( dhoni added Jaddu again )
Yadav - saalo maine to mera kaam kr dia tha..tum logon ne hi harwaya.. unsure emoticon
kohli - sahi bol raha hai.. saala kisi se kuch ni hua.
Rohit - tu bhi to ladki ke chakkar me out hua.. tongue emoticon
kohli Left...
Dhoni - yaar aise to group khatam ho jayega.
Dhawan - haa yar..
Rohit mat kr or mujhe pata hai tu usiko dekhte dekhte (#anushka ko) out hua tha.
Jadeja added Kohli again.. pacman emoticon
Jadeja - oye kohli.. upar wala cmnt dekh.
Kohli - oye.. Rohit kaminey.. grin emoticon
Rohit - yaar ye.. Jaddu to match se zyada yaha perform krta hai.. tongue emoticon tongue emoticon
dil pe mt lena doston.. pacman emot

Tuesday 24 March 2015

IT ACT 66A: Ab milegi likhne ki aazadi


Note::- सुप्रीम कोर्ट ने आज़ादी तो  दे दी, लेकिन लोगों से मेरा निवेदन है की इसका द्रुपयोग न करें। सोशल साइट्स पर कुछ भी पोस्ट,लाइक,कमेन्ट, फोटो अपलोड करने से पहले सोच ले की ये किसी धर्म ,जाति अथवा किसी की भावनओं को ठेस न पहुचाये।(Arahan Singh Dhami)



साइबर कानून की धारा 66ए खत्म करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासि‌क फैसला सुनाया है। फैसले ने भारत के लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को पूरी तवज्जो दी है। इस कानून की विवादास्पद धारा को खत्‍म करवाने का श्रेय सबसे पहले जाता है 24 वर्षीय श्रेया सिंघल को।

श्रेया ने 21 साल की उम्र में आईटी एक्ट की धारा 66ए का चुनौती दी थी। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को इस कानून को खत्म करने के आदेश से पहले इस कानून के तहत सोशल मीडिया और टेक्निकल डिवाइसेज के जरिए विवादास्पद लिखने पर तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाता था। इस कानून के तहत आरोपी पर आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती थी।

इस कानून के खत्म होने के बाद श्रेया ने कहा कि भारत के लोगों को इस कानून के खत्म होने से राहत मिलेगी और उनकी अभिव्यक्ति की स्वतत्रंता पर किसी तरह की कोई रोक टोक नहीं होगी। अब लोग सोशल मीडिया पर खुलकर अपनी बात रख सकते हैं।श्रेया वकीलों के परिवार से संबंध रखती हैं। श्रेया की मां सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं और उनकी दादी न्यायाधीश रह चुकी हैं। 
       श्रेया ने इस कानून को तब चुनौती दी थी ‌जब महाराष्‍ट्र की दो लड़कियों को फेसबुक पर एक पोस्ट लिखने और उसे लाइक करने पर‌ गिरफ्तार कर लिया गया था। गौरतलब है कि शिवसेना नेता बाल ठाकरे की मृत्यु के बाद मुबंई बंद करने को लेकर लड़कियों ने एक पोस्ट लिखा था।

इस मामले को लेकर श्रेया के परिवार ने उसको काफी बढ़ावा दिया। श्रेया यह जानती है कि उसने वह चीज पा ली है जो सुप्रीम कोर्ट के कई वकील इस दौरान प्राप्त नहीं कर पाए।

श्रेया ने यूके में तीन साल तक एस्ट्रोफिजिक्स की पढ़ाई भी की है। यूके में पढ़ाई के बाद श्रेया ने भारत में आकर लॉ स्कूल में दाखिला लिया।श्रेया का ध्यान इस मामले की तरफ तब गया जब इस मामले में आईटी एक्ट 66ए के तहत कई लोगों की गिरफ्तारियां हुईं। श्रेया ने कहा कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों की सरकार के दौर में इस कानून का बेजा इस्तेमाल किया गया। हर सरकार का अपना एजेंडा होता है। और एक कानून जनता के लिए होता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कड़े शब्दों में इस कानून पर‌ टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकारें आती रहेंगी और जाती रहेंगी। पर यह सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है कि इस कानून का बेजा इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।

श्रेया ने यह बात साफ करते हुए कहा कि इस कानून का बचाव मैं इसलिए नहीं कर रही हूं कि आप किसी को बेवजह बदनाम करें। श्रेया ने 12 नवंबर, 2011 को इस मामले में याचिका दाखिल की थी।

Monday 23 March 2015

Fear of number 13.

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बहुत से लोग नंबर 13 को  unlucky मानते हैं। अगर देखा जाय तो  दुनिया में बहुत सी अप्रिय घटना की तारिक 13 थी।  विदेशों में इसको बहुत अप्शकुनि मानते हैं। और कोई भी शुभ कार्य इस दिन करना पसंद नही करते।
 क्या वाकई में नंबर unlucky हो सकते हैं , बहुत से लोग इसमें विश्वास करते हैं और  बहुत से नही करते। अपने -अपने विचार हैं।  किन्तु मैं  मनोविज्ञान का छात्र होने के कारण इसे फोबिया की श्रेणी में शामिल करूँगा।
  किसी भी वस्तु से लगने वाले डर को phobia कहते हैं, Phobia एक प्रकार का डर होता है जिसमें मनुष्य किसी Number,object, Animal, Darkness, Height, Insects आदि से डरता है। किन्तु हर इंसान किसी न किसी से डरता है। किन्तु जब ये स्थिति हद से ज्यादा बढ़  जाय तो phobia कहलाता है। इसमें इंसान जिस किसी वस्तु आदि से डरता है या मन में भय उत्पन्न होता है , उसके सामने होने पर या उस वस्तु आदि को दखने पर सामान्य से कही अधिक घबरा जाता है। उससे लगता है की वो वस्तु उसको नुकसान पहुचायेगी।  इसी कारण से वो उसके सामने जाने से डरता है तथा ऐसा काम करने से भी डरता है। whatever the phobia, the person suffering from it is living with fear and anxiety. "Phobias are the most common mental disorder.  phobia सभी इंसानो में होता है किन्तु इसका ज्यादा बढ़ना मानसिक विकृतियों को बढ़ावा देता है.
Number 13 के phobia को Triskaidekaphobia कहते हैं। जिसमे Tris का अर्थ है तीन , kai का अर्थ है और, deka का अर्थ है 10, तथा Phobia का अर्थ है "fear or morbid fear"तो दोस्तों नम्बरों से डरने की या उसे unlucky  मानने की जरुरत नही है, यह सब Phobia के कारण होता है, इसीलिए नम्बरों से डरने की कोई जरुरत नही है। 

Wednesday 18 March 2015

मधुशाला / भाग १ / हरिवंशराय बच्चन




Harivanshrai.jpgमृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,
प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला,  
     
पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा,
सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।।१। 
प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला,
एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला,
जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर कब का वार चुका,
आज निछावर कर दूँगा मैं तुझ पर जग की मधुशाला।।२।
प्रियतम, तू मेरी हाला है, मैं तेरा प्यासा प्याला,
अपने को मुझमें भरकर तू बनता है पीनेवाला,
मैं तुझको छक छलका करता, मस्त मुझे पी तू होता,
एक दूसरे की हम दोनों आज परस्पर मधुशाला।।३।
                                                                             
भावुकता अंगूर लता से खींच कल्पना की हाला,
कवि साकी बनकर आया है भरकर कविता का प्याला,
कभी न कण-भर खाली होगा लाख पिएँ, दो लाख पिएँ!
पाठकगण हैं पीनेवाले, पुस्तक मेरी मधुशाला।।४।
मधुर भावनाओं की सुमधुर नित्य बनाता हूँ हाला,
भरता हूँ इस मधु से अपने अंतर का प्यासा प्याला,
उठा कल्पना के हाथों से स्वयं उसे पी जाता हूँ,
अपने ही में हूँ मैं साकी, पीनेवाला, मधुशाला।।५।
मदिरालय जाने को घर से चलता है पीनेवाला,
'किस पथ से जाऊँ?' असमंजस में है वह भोलाभाला,
अलग-अलग पथ बतलाते सब पर मैं यह बतलाता हूँ -
'राह पकड़ तू एक चला चल, पा जाएगा मधुशाला।'। ६।
चलने ही चलने में कितना जीवन, हाय, बिता डाला!
'दूर अभी है', पर, कहता है हर पथ बतलानेवाला,
हिम्मत है न बढूँ आगे को साहस है न फिरुँ पीछे,
किंकर्तव्यविमूढ़ मुझे कर दूर खड़ी है मधुशाला।।७।
मुख से तू अविरत कहता जा मधु, मदिरा, मादक हाला,
हाथों में अनुभव करता जा एक ललित कल्पित प्याला,
ध्यान किए जा मन में सुमधुर सुखकर, सुंदर साकी का,
और बढ़ा चल, पथिक, न तुझको दूर लगेगी मधुशाला।।८।
मदिरा पीने की अभिलाषा ही बन जाए जब हाला,
अधरों की आतुरता में ही जब आभासित हो प्याला,
बने ध्यान ही करते-करते जब साकी साकार, सखे,
रहे न हाला, प्याला, साकी, तुझे मिलेगी मधुशाला।।९।
सुन, कलकल़ , छलछल़ मधुघट से गिरती प्यालों में हाला,
सुन, रूनझुन रूनझुन चल वितरण करती मधु साकीबाला,
बस आ पहुंचे, दुर नहीं कुछ, चार कदम अब चलना है,
चहक रहे, सुन, पीनेवाले, महक रही, ले, मधुशाला।।१०।
जलतरंग बजता, जब चुंबन करता प्याले को प्याला,
वीणा झंकृत होती, चलती जब रूनझुन साकीबाला,
डाँट डपट मधुविक्रेता की ध्वनित पखावज करती है,
मधुरव से मधु की मादकता और बढ़ाती मधुशाला।।११।
मेहंदी रंजित मृदुल हथेली पर माणिक मधु का प्याला,
अंगूरी अवगुंठन डाले स्वर्ण वर्ण साकीबाला,
पाग बैंजनी, जामा नीला डाट डटे पीनेवाले,
इन्द्रधनुष से होड़ लगाती आज रंगीली मधुशाला।।१२।
हाथों में आने से पहले नाज़ दिखाएगा प्याला,
अधरों पर आने से पहले अदा दिखाएगी हाला,
बहुतेरे इनकार करेगा साकी आने से पहले,
पथिक, न घबरा जाना, पहले मान करेगी मधुशाला।।१३।
लाल सुरा की धार लपट सी कह न इसे देना ज्वाला,
फेनिल मदिरा है, मत इसको कह देना उर का छाला,
दर्द नशा है इस मदिरा का विगत स्मृतियाँ साकी हैं,
पीड़ा में आनंद जिसे हो, आए मेरी मधुशाला।।१४।
जगती की शीतल हाला सी पथिक, नहीं मेरी हाला,
जगती के ठंडे प्याले सा पथिक, नहीं मेरा प्याला,
ज्वाल सुरा जलते प्याले में दग्ध हृदय की कविता है,
जलने से भयभीत न जो हो, आए मेरी मधुशाला।।१५।
बहती हाला देखी, देखो लपट उठाती अब हाला,
देखो प्याला अब छूते ही होंठ जला देनेवाला,
'होंठ नहीं, सब देह दहे, पर पीने को दो बूंद मिले'
ऐसे मधु के दीवानों को आज बुलाती मधुशाला।।१६।
धर्मग्रन्थ सब जला चुकी है, जिसके अंतर की ज्वाला,
मंदिर, मसजिद, गिरिजे, सब को तोड़ चुका जो मतवाला,
पंडित, मोमिन, पादिरयों के फंदों को जो काट चुका,
कर सकती है आज उसी का स्वागत मेरी मधुशाला।।१७।
लालायित अधरों से जिसने, हाय, नहीं चूमी हाला,
हर्ष-विकंपित कर से जिसने, हा, न छुआ मधु का प्याला,
हाथ पकड़ लज्जित साकी को पास नहीं जिसने खींचा,
व्यर्थ सुखा डाली जीवन की उसने मधुमय मधुशाला।।१८।
बने पुजारी प्रेमी साकी, गंगाजल पावन हाला,
रहे फेरता अविरत गति से मधु के प्यालों की माला'
'और लिये जा, और पीये जा', इसी मंत्र का जाप करे'
मैं शिव की प्रतिमा बन बैठूं, मंदिर हो यह मधुशाला।।१९।
बजी न मंदिर में घड़ियाली, चढ़ी न प्रतिमा पर माला,
बैठा अपने भवन मुअज्ज़िन देकर मस्जिद में ताला,
लुटे ख़जाने नरपितयों के गिरीं गढ़ों की दीवारें,
रहें मुबारक पीनेवाले, खुली रहे यह मधुशाला।।२०।

                                                                                             www.kavitakosh.org/bachchan

Monday 16 March 2015

सन्नी देओल नाम का एक आदमी भारत से आया और उसे उखाड़ दिया

पाकिस्तान के एक स्कूल में मास्टर बच्चों को पढ़ा रहे थे..
बच्चों, अपने मुल्क में पानी की बहुत कमी है.. क्या कोई बता सकता है कि ऐसा क्यों है..?
एक बच्चा - मास्टरजी, अगर आप पिटाई न करें तो मैं बता सकता हूं।
मास्टर - नहीं पीटूंगा बेटे, बताओ..?
बच्चा - पहले हमारे मुल्क में एक हैंडपंप हुआ करता था..।
एक बार सन्नी देओल नाम का एक आदमी भारत से आया और उसे उखाड़ दिया।
तब से यहां पानी की कमी चल रही है.

Friday 13 March 2015

नीर भरी दुख की बदली / महादेवी वर्मा




 मैं नीर भरी दु:ख की बदली!

स्पंदन में चिर निस्पंद बसा,
क्रन्दन में आहत विश्व हंसा,
नयनों में दीपक से जलते,
पलकों में निर्झरिणी मचली!
मेरा पग-पग संगीत भरा,
श्वासों में स्वप्न पराग झरा,
नभ के नव रंग बुनते दुकूल,
छाया में मलय बयार पली,
मैं क्षितिज भॄकुटि पर घिर धूमिल,
चिंता का भार बनी अविरल,
रज-कण पर जल-कण हो बरसी,
नव जीवन अंकुर बन निकली!
पथ को न मलिन करता आना,
पद चिन्ह न दे जाता जाना,
सुधि मेरे आगम की जग में,
सुख की सिहरन बन अंत खिली!
विस्तृत नभ का कोई कोना,
मेरा न कभी अपना होना,
परिचय इतना इतिहास यही
उमड़ी कल थी मिट आज चली!

Wednesday 11 March 2015

अंजू शर्मा की कविता

एक दिन समटते हुए अपने खालीपन को
मैंने ढूँढा था उस लड़की को,
जो भागती थी तितलियों के पीछे
सँभालते हुए अपने दुपट्टे को
फिर खो जाया करती थी 
किताबों के पीछे,
गुनगुनाते हुए ग़ालिब की कोई ग़ज़ल
अक्सर मिल जाती थी वो लाईब्ररी में,
कभी पाई जाती थी घर के बरामदे में 
बतियाते हुए प्रेमचंद और शेक्सपियर से,
कभी बारिश में तलते पकौड़ों 
को छोड़कर
खुले हाथों से छूती थी आसमान,
और जोर से सांस खींचते हुए
समो लेना चाहती थी पहली बारिश
में महकती सोंधी मिटटी की खुशबू,
उसकी किताबों में रखे
सूखे फूल महका करते थे
उसके अल्फाज़ की महक से,
और शब्द उसके इर्द-गिर्द नाचते
रच देते थे एक तिलिस्म 
और भर दिया करते थे 
उसकी डायरी के पन्ने,
दोस्तों की महफ़िल छोड़ 
छत पर निहारती थी वो
बादल और बनाया करती थी
उनमें अनगिनित शक्लें,
तब उसकी उंगलियाँ अक्सर
मुंडेर पर लिखा करती थी कोई नाम,
उसकी चुप्पी को लोग क्यों
नहीं पढ़ पाते थे उसे परवाह नहीं थी,
हाँ, क्योंकि उसे जानते थे
ध्रुव तारा, चाँद और सितारे,
फिर एक दिन वो लड़की कहीं
खो गयी
सोचती हूँ क्या अब भी उसे प्यार 
है किताबों से
क्या अब भी लुभाते हैं उसे नाचते अक्षर,
क्या अब भी गुनगुनाती है वो ग़ज़लें,
कभी मिले तो पूछियेगा उससे
और कहियेगा कि उसके झोले में
रखे रंग और ब्रुश अब सूख गए हैं
और पीले पड़ गए हैं गोर्की की
किताब के पन्ने,
देवदास और पारो अक्सर उसे 
याद करते हैं
कहते हैं वो मेरी हमशकल थी 

Monday 9 March 2015

Karo yog raho Nirog


योग से ही संभव होगा 



जब मुफ्त में आप योग के द्वारा सभी बिमारियों से मुक्ति पा  हैं, तो महंगी दवाईयां क्यों लेना, बस आपको योग को अपनी दिनचर्या में लागू करना होगा। 24 घंटे में से आप केवल आधा या एक घंटा अपने लिए नही निकाल सकते। फैसला आपको लेना है, महंगी दवाईयां या मुफ्त योग? 


Thursday 5 March 2015

Ma Naukari mil gayi

बेटा:- माँ - माँ,माँ :- क्या है बेटा ? बेटा :- मुझे नौकरी मिल गयी माँ। माँ :- बेटा ये तो तूने बहुत अच्छी खबर सुनाई बेटा।  कब से कान तरस गए थे बेटा अच्छी खबर सुनने को। मनहूस खबरें सुन कर मेरे कान पक गए थे बेटा। तेरी बहिन को जब से कालिया उठा कर ले गया है काली पहाड़ी के पीछे उसके बाद से यही ख़ुशी की बात है मेरे लिए। बेटा :- माँ छोड़ो पुरानी बातों को ,  वैसे भी कालिया ने ठीक ही किया बहिन को ले गया, नहीं तो बहिन ही एक दिन कालिया को ले भागती , माँ अब सबका उधार दे दूंगा।  लाला से तेरे कंगन भी वापिस ले लूंगा।  और तुझे मंदिरों से चप्पल चोरी नही करने पड़ेंगे। तेरे लिए नयी चप्पल ला  दूंगा। अब हमें के  कुत्ते  मुँह से रोटी भी नही छीननी पड़ेगी।माँ :- बेटा ये सब करने में तो बहुत पैसा लगेगा ,बेटा :- माँ तू चिंता मत कर , एक लाख सैलरी है मेरी एक महीने की। माँ:- ऐसे ही  आगे बढ़ते रहो बेटा , पर तूने बताया नही की तुझे कौन सी नौकरी मिली है ? बेटा :- माँ ऐसी नौकरी केवल किस्मत वालो को ही मिलती है। माँ :- वो तो ठीक है बेटा , पर बताना क्या काम करना पड़ेगा तुझे नौकरी में।  बेटा :- माँ बहुत आसान सा काम है कोई राकेट नही बनाना है मुझे , बस सफ्ताह में एक दिन गीले कपडे से लाइट के तारों को साफ़ करना है. बस माँ इतना सा और इतना सरल काम है, और कंपनी वाले पागल हैं माँ जो इस काम के लिए एक लाख रूपए दे रहे हैं। 

Tuesday 3 March 2015

Buffalo ka D.N.A.

कल  मैंने न्यूज़ पर देखा और सुना कि, किसी गाऊं मे एक आदमी की भैंस खो गई तो उसने पुलिस मैं रिपोर्ट की पुलिस की मेहनत रंग लायी और भैस मिल गयी लेकिन ट्विस्ट तब आया जब एक और आदमी भैस पर क्लेम करने आया कि ये भैंसिया हमार है.तो पहले आदमी ने कहा ये मेरी भैंसिया है, मैंने इसकी घुमसुदगी की रिपोर्ट भी लिखवाई है, तू मज़ाक मत कर और निकल जा यहाँ से नही तो भैस का गोबर तेरे मुँह में  दे मारूंगा। परिस्थिति  हुए पुलिस वालों ने क्लेम करने वाले आदमी से कहा तुम्हारे पास क्या सुबूत है की ये तुम्हारी भैस है। तो उसने कहा सुबूत -वबूत  छोड़िये  इसका D.N.A करवा लीजिए भैस का D.N.A जिस से भी मैच करेगा भैस उसके। तो पुलिस वाले भी मान गयी और भैस का D.N.A. करने को बोला, और साथ ही बोला तुम दोनों में  से जिसका भी D.N.A. भैस मिलता - जुलता हुआ भैस उसीकी होगी। दोनों बोले देख लेना भैंसिया की रगो में  मेरा ही खून होगा, इसीलिए D.N.A. के साथ साहबजी  ब्लड टेस्ट भी करवा देना आप पुलिस वालों की बड़ी मेहरबानी होगी।

Monday 2 March 2015

Maa baap ka paisa barbaad kiya

पहले बच्चे को स्कूल पढ़ाया, फिर B. TECH के लिए कोचिंग करवाई बेटे को अच्छे  कॉलेज मे एड्मिशन मिल गया, हॉस्टल की फीस एडमिशन फीस कॉलेज फीस प्लस पॉकेट मनी अलग से , इंजिनीरिंग की डिग्री मिल गयी  लेकिन नौकरी तो नहीं मिली पर छोकरी कॉलेज मैं ही मिल गयी , उसके ऊपर भी पैसा उड़ाया। हासिल कुछ नहीं हुआ, आखिर लकड़ी ने भी उसे बाबा जी का ठुल्लु दिया। माँ - बाप ने सोचा चलो डिग्री तो मिल गयी नौकरी भी मिल जायेगी। यही आस लगाकर माँ-बाप भी परलोक सिधार गये। लेकिन बेटे  के लिए बैंक बैलेंस छोड़ गये। लड़के ने सोचा माँ-बाप के पैसे से अपना धंदा करूँगा।इसके लिए इन्जीनीरिंग डिग्री नहीं चलेगी M.B.Aकरना पड़ेगा। M.B.A भी किया डिग्री भी मिल गयी, लेकिन उसके माँ -बाप जो उसके लिए बैंक बैलेंस छोड़ गए थे वो तो B.Tech और M.B.A करने मे खत्म हो गया, जिससे कंपनी या कोई धंदा नहीं कर सकता , तो अब क्या ????

 बाबा  जी का घंटा होगा कुछ , फिर भेजा चला और मन में आया क्यों न गवर्नमेंट सर्विस की तैयारी करू ,  उसने तैयारी की फॉर्म्स भरे एक साल की ठुकान के बाद उसे नौकरी मिल गयी। बहुत खुश  हुआ , लेकिन ध्यान आया इस सरकारी नौकरी के लिए उसने B.Tech and M.B.A किया,मात्र  500 का फॉर्म भर कर जब नौकरी करनी ही थी तो B.Tech and M.B.A क्या घंटा बजाने के लिए किया। The moral of the story is,जब 500 का फॉर्म भर कर नौकरी मिल रही थी तो इस चुतिया ने पहले ही ऐसा करना चाहिए था।कमीने साले ने अपने माँ -बाप के पैसे बर्बाद किये। और नौकरी की आस मैं माँ -बाप भी सहीद हो गए, मिला क्या घंटा, इसीलिए अगर जेब में ना हो कौड़ी तो मत करो आगे -आगे दौड़ी।