Monday 15 September 2014

​​मेरे पिता से उनकी कब्र पर हुई मेरी बात


​अभिनेता नसीरूद्दीन शाह के अपने पिता आले मोहम्मद शाह के साथ अनसुलझे रिश्ते आज भी उन्हें तंग करते हैं और अदाकार ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि किस तरह उनके पिता के साथ उनका वास्तविक संवाद उनकी कब्र पर जाकर हुआ।​​ ​ ​ एक दूसरे के प्रति लगाव होने के बावजूद पिता-पुत्र के रिश्तों में असहजता नसीरूद्दीन के संस्मरण 'एेंड दैन वन डे' में पूरे समय अपना प्रभाव दिखाती है। नसीर की आत्मकथा में उनके जीवन के शुरूआती 40 साल और अभिनेता के तौर पर जगह बनाने के लिए उनके संघर्ष की कहानी है। उनका अदाकार बनने का सपना उनके पिता के विचार से असहमति वाला था।​​ ​ ​ 64 वर्षीय अभिनेता ने उस दिन को भी याद किया है जब वह अपने पिता के अंतिम क्षणों में उनके पास नहीं पहुंच सके क्योंकि वह विमान कर्मियों को उड़ान उतारने की जरूरत के बारे में समझाने में नाकाम रहे।​​ ​ उन्होंने लिखा है​, "जिस दिन मैं सरधना पहुंचा, मैं जमीन के उस हिस्से के पास गया जहां अब बाबा थे। उस दिन मैंने उनसे उस फिल्म के बारे में बात की जिसे मैने तभी पूरा किया था। फिल्म में बिना दाढ़ी वाले एक हिंदू पुजारी के मेरे किरदार पर उनके आनंद को मैंने महसूस किया।​"​ ​ ​ नसीर के मुताबिक​, "मैंने उन्हें मेरे सपनों और मेरे संदेहों के बारे में बताया। और रत्ना (नसीर की पत्नी) के बारे में बताया जिससे वह कभी नहीं मिले थे। इस बारे में बताया कि मैं अब कितना कमा रहा हूं। मुझे पता था कि वह सुन रहे थे और जवाब दे रहे थे। यह वास्तविक संवाद था जिसकी मैंने पहल की थी। मैंने अचानक मेरे उस नुकसान को महसूस करना शुरू कर दिया जिसकी भरपाई कभी नहीं होगी। और मुझे हैरानी हुई कि अचानक से मुझे उनकी कमी कितनी खलने लगी।​"​

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