Monday 22 September 2014

बकलोली

साथियों, आज हम एक बड़े ही साहसी युवक के बारे में बताने जा रहे हैं। ये युवक केवल साहसी ही नहीं, अपितु क्रन्तिकारी विचारों वाला तथा महान सेक्युलर भी है। वैसे पाकिस्तान में जन्मा हर व्यक्ति सेक्युलर है, पर इनकी सेक्युलरता महान है! आप सोच रहे होंगे कि हम पाकिस्तान में जन्मे किसी युवक की प्रशंसा क्यों कर रहे हैं। तो जान लीजिये कि ये कोई ऐसी-वैसी शख्सीयत नहीं हैं, आप पाकिस्तान की शान बेनजीर भुट्टो और ज़रदारी भुट्टो के लख्तेजिगर हैं! इस प्रकार ये पाकिस्तन...अररर मेरा मत्लन स्तान, पकिस्तान के लिए वो हैं जो हमारे लिए राजदुलारे राजकुमार गाँधीकुल शिरोमणि श्री श्री राहुल बाबा हैं। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं बिलावल भुट्टो की!
तो मित्रों और सहेलियों, आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्या किया बिनाबाल...अररर आई मीन बिलावल भुट्टो जी ने जी हम उनहें महान साहसी कह रहे हैं। तो जान लीजिये साथियों, बिलावल जी पाकिस्तान के लिए कश्मीर को भारत के नापाक चंगुल से छुडवाने की कसम खा चुके हैं। उन्होंने कसम खाई है कि यदि वे ऐसा ना कर पाए तो वो अपना लिंग परिवर्तन अर्थात सेक्स  चेंज करवा लेंगे। साथियों, हमारे अति विद्वान प्रशांत भूषन जी ने भी ऐसी ही कुछ बात कही थी, पर कसम नहीं खायी थी। आपको याद होगा कमाल आर खान ने भी कहा था कि यदि मोदी प्रधानमन्त्री बने तो वो अपना लिंग परिवर्तन करवा लेंगे और भारत से कल्टी मार लेंगे अर्थात सदा के लिए भारत से प्रस्थान कर जायेंगे..परन्तु एक सच्चे आपिये के सामान उन्होंने यु-टर्न मार लिया। आज भी वे सारी लज्जा त्याग इन संघी-भाजपाइयों की छाती पर मूंग दल रहे हैं। धन्य हो के आर के महाराज!
हाँ तो हम क्या कह रहे थे? जी हाँ, अति साहसी बिलावल जी ने कश्मीर को भारत के चंगुल से छुडाने की कसम खायी है। क्या हुआ कि पाकिस्तान से पहले ही बांग्लादेश पृथक हो लिया...क्या हुआ कि बलूचिस्तान इनसे सम्हाले नहीं सम्हल रहा... क्या हुआ कि पड़ोस के अफ़ग़ानिस्तान से भगाए गए अल कायदा के आतंकवादी जब-तब यहाँ-वहाँ बम के विस्फोट करते हैं, जब मन करे पाकिस्तानी सुरक्षाबल के जवानों को एक पंक्ति (लाइन) खड़ा कर के गोलियों से भून डालते हैं...मतलब जब मन किया तो इनके स्थानविशेष में उंगली करते हैं...पर कश्मीर पर बात करना तो बनता ही है! और उसपर भी सीधा ये कहना कि पूरा कश्मीर भारत के चंगुल से छुड़वा लेंगे... साथियों, ऐसी प्रचंड बकैती करने के लिए पिछवाड़े में दम लगता है! भाई, अपने टूटे हुए नाड़े की, नीचे सरकते हुए सलवार की और छेद वाले कच्छे के सारे संसार के सामने आ जाने की चिंता त्याग, बगल में खड़े मुश्टंडे पहलवान की निक्कर खींचने के लिए सहस ही नहीं, दुस्साहस चाहिए! और पहलवान भी कैसा? पूरा संघी! ये संघी केवल निक्कर नहीं पहनते, उसपर मोटा वाला बेल्ट भी लगाते हैं...वो भी धातु के बक्कल वाला! छोरों, जिगरा लगता है इसके लिए!
साथियों, काश ऐसे दो-चार बेबाक-बहादुर-बकलोल हमारे यहाँ भी होते तो युगपुरुष उन्हें अपनी छत्र-छाया में ले कर अब तक एक नहीं कई बार प्रधानमंत्री बन चुके होते और त्यागपत्र भी दे चुके होते! वैसे बिलावल बाबा के टक्कर के शूरवीर हैं यहाँ...जैसे कि महामहिम दिग्गी जी, गाँधी कुल शिरोमणि पप्पू बाबा, युगपुरुष कजरी जी इत्यादि... काश के ये सारे एक जगह इकठ्ठा हो जाते.... दुनियाँ फतह कर लेते हम फिर तो! नहीं?

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