Wednesday 30 December 2015

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

पुराने साल में क्या खोया क्या पाया , ये  सब भूल कर और अपनी गलतियों से सीख लेकर नए साल में एक नए उमंग और जोश से फिर से नयी शुरुवात करें , आपने  जो गलतियां की हैं , उसे नए साल में न दोहराएं , सकरात्मक विचारों के साथ नए साल में नयी ज़िन्दगी की शुरुवात करें। 

मैं  भगवान से कामना करता हूँ, की नूतन वर्ष आप सभी के जीवन में नई खुशियाँ लाए और  आप सभी स्वस्थ रहे। 
नए साल  में देश में शांति और सद्भाव हो , और दादरी जैसे कांड न हो , न ही किसी लड़की के साथ निर्भया काण्ड दोहराया जाय। सभी धर्मों के लोग मिलजुल कर रहे यही मेरी कामना है।  

Saturday 19 December 2015

निर्भया कांड के नाबालिक दोषी का रिहा होना, अपराधियों को अपराध करने के लिए और भी बल प्रदान करेगा


16 दिसंबर की उस घटना ने पूरे  देश को  हिला दिया था, अपराधियों को  सजा दिलाने के लिए पूरे  देश ने आंदोलन किया। उस घटना के बाद सरकार ने भरोसा दिलाया अब ऐसा जगन्य अपराध नही होने देंगे। लेकिन क्या इसमें सरकार  सफल हुई ? निर्भया काण्ड के बाद भी कुछ नही बदला, बल्कि ऐसे अपराधों में और बढ़ोत्तरी हुई है। और इस काण्ड के बाद अगर आकंड़ों को दखें तो सबसे ज्यादा अपराध नाबालिकों ने किये हैं।  नाबालिक होने के कारण वे कठोर दण्ड से बच जाते हैं।  18 साल से कम उम्र वालों को नाबालिक कहा जाता है। जबकि मनोविज्ञान के मुताबिक एक वयस्क की बुद्धि का विकास 15 साल तक हो जाता है। 15 साल के उम्र में उसे पता होता है क्या सही है क्या गलत। तो निर्भया के उस नाबालिक कुकर्मी को सिर्फ इसिलए रिहा किया क्यूंकि वो साढ़े 17 साल का है।  जबकि सबसे ज्यादा वहशीपन उसी  ने निर्भया के साथ किया। इस बात की क्या गारंटी है की वो भविष्य में ऐसा नही करेगा, चलो भविष्य को छोड़ो, लेकिन उसके रिहा होने से अपराधिक प्रवृत्ति वाले नाबालिकों को क्या सन्देश मिला ? की नाबालिक होने का फायदा उठाओ कुछ भी अपराध करो सजा नही होगी सिर्फ बालसुधारग्रह भेजा जाएगा, ऐसा सन्देश पहुंचेगा उन तक।  अगर उसे कठोर दंड दिया जाता तो कोई भी नाबालिक ऐसा करने से पहले हज़ार बार सोचता। निर्भया काण्ड के बाद भी मुझे नही लगता हमारी बहने सुरक्षित हैं।  इसीलिए मैं  देश की सभी बेहनो को सन्देश देना चाहता हूँ की कमजोर मत बनो अपराध से लड़ने की शक्ति रखो। अपराधी अपराध इसीलिए करता है की वो नारी जाति को अबला समझता है। किसी के भरोसे मत रहो अपने आप को इतना मज़बूत बनाओ की कोई भी किसी के साथ ऐसा न कर सके।
  

Thursday 3 December 2015

चेन्नई बाढ़ त्रासदी से तो कुछ सीख लो



विकास के नाम पर अंधाधुन्द निर्माण कार्य, निर्माण कार्य भी ऐसा की बरसात के पानी निकासी के लिए जगह ही न हो, लगभग 100 साल बाद चेन्नई में ऐसा मंज़र देखने को मिला। पूरा शहर पानी - पानी हो रहा है। इसकी एक वजह है पानी निकासी की अच्छी सुविधा न होना, अगर सही Rain draining system होता तो कहीं हद तक इतनी भयानक स्थिति न होती, इसके लिए हम लोग भी जिम्मेदार हैं, विकास के नाम पर बरसात के पानी के लिए जगह न छोड़ना इसकी बड़ी वजह है , जब कोई हादसा होता है तभी सरकार नींद से जागती है, देश के कई बड़े शहरों की भी यही हालत है, थोड़ी सी बरसात में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो जाती है , जम्मू - कश्मीर, मुंबई ये भी इस त्रासदी को झेल चुके हैं। फिर भी सबक नही लिया, अगर बात दिल्ली के करें तो  सी बारिश में सड़कों पर बाढ़ जैसा दृश्य दिखाई देता है, अगर कभी दिल्ली में चेन्नई जैसी बारिश हुई तो क्या होगा ? इसीलिए सरकार और लोगों को मिलकर इस बारे में सोचना होगा। हम प्राकर्तिक आपदा को रोक तो नही सकते लेकिन उससे होने वाले नुकसान को कम तो कर सकते हैं। सरकार को Rain draining system पर ध्यान देकर देश के सभी नगरों
और महानगरों में इसकी सही व्यवस्था करनी होगी ताकि फिर चेन्नई जैसी घटना भविष्य में न के बराबर हो। 



चेन्नई बाढ़ त्रासदी में मरने वालों की आत्मा को शांति मिले। और जल्द ही वहां स्थिति सामान्य हो जाए , यही मेरी भगवान से प्रार्थना है।   

Tuesday 10 November 2015

आप की वजह से किसी और का घर भी हो सकता है रोशन

                                     सभी को रोशनी के पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें 

इस दीवाली आप सभी पर लक्ष्मी माता की कृपा बरसे। दीवाली रोशनी का पर्व है, अंधेरे को मिटाने का पर्व है। आपकी दीवाली और भी रोशनियों से भर जायेगी, जब आपकी वजह से किसी और के घर मैं भी रोशनी होगी।


आप अपना छोटा सा योगदान देकर किसी गरीब  के घर मैं रोशनी करके इस दीवाली को और भी यादगार बनाइए। आप सभी अपने घरों को  chinese light, या fancy Candles से सजाते होंगे, लेकिन इस बार कृपा करके पांच या दस मिट्टी के दिये भी जरूर जलाने का प्रयास करे। chinese light या candles की तुलना में मिट्टी के  दिये आपको कम कीमत पर मिल जाएंगे और मिट्टी के दिए लेने से आपकी जेब पर कोई फर्क नही पड़ेगा। अगर आपका मन इन दीयों को लेने का नही करेगा तो एक बार ये सोच लेना की पांच या दस दिए लेने से दिए बेचने वालों के घरों में आपकी वजह से उजाला होगा। मिट्टी के दिए लेने से आपकी इज्जत कम नही होगी। ऐसा करने से दिये बेचने वालों के घरों  में भी दीवाली में रोशनी होगी और आपको भी बहुत ख़ुशी होगी।          विदेशी चींजें ले सकते हैं, लेकिन मिट्टी के दिये नही ले सकते, हज़ारों के पटाखे फोड़ सकते हैं लेकिन दिये नही ले सकते। मैं तो इस बार मिट्टी के दिये से ही अपने घर को रोशन करूँगा। और मेरी वजह से कम से कम एक घर में तो खुशियां आएँगी।  तो आप भी अपने एक छोटे से योगदान से किसी की दीवाली में रोशनी फैलाएँ। 

इस दीवाली आप सभी की मनोकामना माँ लक्ष्मी पूर्ण करे, आपके घर में सदा लक्ष्मी का वास रहे आप सभी को शुभ दीपावली।  








Saturday 17 October 2015

जो भी आया है वो जायेगा एक दिन फिर ये इतना अहंकार किसके लिए

नदी में हाथी की लाश बही जा रही थी।
एक कौए ने लाश देखी,
तो प्रसन्न हो उठा, तुरंत उस पर आ बैठा।
यथेष्ट मांस खाया।
नदी का जल पिया।
उस लाश पर इधर-उधर फुदकते हुए
कौए ने परम तृप्ति की डकार ली।
वह सोचने लगा,
अहा! यह तो अत्यंत सुंदर यान है,
यहां भोजन और जल की भी कमी नहीं।
फिर इसे छोड़कर अन्यत्र क्यों भटकता फिरूं?
कौआ नदी के साथ बहने वाली
उस लाश के ऊपर कई दिनों तक रमता रहा।
भूख लगने पर वह लाश को नोचकर खा लेता,
प्यास लगने पर नदी का पानी पी लेता।
अगाध जलराशि, उसका तेज प्रवाह,
किनारे पर दूर-दूर तक फैले प्रकृति के
मनोहरी दृश्य-इन्हें देख-देखकर
वह विभोर होता रहा।
,
नदी एक दिन आखिर महासागर में मिली।
वह मुदित थी कि उसे अपना
गंतव्य प्राप्त हुआ।
सागर से मिलना ही उसका चरम लक्ष्य था,
किंतु उस दिन लक्ष्यहीन कौए की तो
बड़ी दुर्गति हो गई।
चार दिन की मौज-मस्ती ने उसे
ऐसी जगह ला पटका था,
जहां उसके लिए न भोजन था,
न पेयजल और न ही कोई आश्रय।
सब ओर सीमाहीन अनंत खारी जल-राशि
तरंगायित हो रही थी।
,
कौआ थका-हारा और भूखा-प्यासा
कुछ दिन तक तो चारों दिशाओं में
पंख फटकारता रहा,
अपनी छिछली और टेढ़ी-मेढ़ी उड़ानों से
झूठा रौब फैलाता रहा,
किंतु महासागर का ओर-छोर उसे
कहीं नजर नहीं आया।
,
आखिरकार थककर,
दुख से कातर होकर वह सागर की
उन्हीं गगनचुंबी लहरों में गिर गया।
एक विशाल मगरमच्छ उसे निगल गया।
,
शारीरिक सुख में लिप्त मनुष्यों की भी
गति उसी कौए की तरह होती है,
जो आहार और आश्रय को ही
परम गति मानते हैं और अंत में
अनन्त संसार रूपी सागर में समा जाते है।
जीत किसके लिए,
हार किसके लिए
ज़िंदगीभर ये तकरार किसके लिए....
जो भी आया है वो जायेगा एक दिन
फिर ये इतना अहंकार किसके लिए.
,
अगर आप हमारी बात से सहमत हैँ
तो कृपया लाइक और शेयर जरूर करेँ,

Tuesday 13 October 2015

नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं

                                        

                                        जय माँ शेरावाली तेरी सदा ही जय हो। 





माता रानी आप सभी की मनोकामनायें पूर्ण करे , हर परेशानियों से लड़ने के शक्ति प्रदान करे।
देश में शांति, प्रेम और सदभावना का हमेशा वास हो। सभी पापियों का माता रानी अंत करे।
नारी जाति का अपमान करने वालों का विनाश करे।
इस नवरात्रि माता रानी की पूजा के साथ - साथ समस्त नारी जाति के सम्मान करने का प्रण ले।
 माता रानी आप सभी के कष्टों का निवारण करे।
जय माता की।

Monday 21 September 2015

Gulzar,Harivansh Rai Bachchan Vs Honey Singh

प्रसंग है एक नवयुवती छज्जे पर बैठी है, वह उदास है, उसकी मुख मुद्रा देखकर लग रहा है कि जैसे वह छत से कूदकर आत्महत्या करने वाली है।
विभिन्न कवियों से अगर इस पर लिखने को कहा जाता तो वो कैसे लिखते :

गुलजार....

वो बरसों पुरानी ईमारत
शायद
आज कुछ गुफ्तगू करना चाहती थी
कई सदियों से उसकी छत से
कोई कूदा नहीं था.
और आज
उस तंग हालात
परेशां
स्याह आँखों वाली
उस
लड़की ने
ईमारत के सफ़े
जैसे खोल ही दिए
आज फिर कुछ बात होगी
सुना है ईमारत खुश बहुत है...

हरिवंश राय बच्चन...

किस उलझन से क्षुब्ध आज
निश्चय यह तुमने कर डाला
घर चौखट को छोड़ त्याग
चड़ बैढीं तुम चौथा माला
अभी समय है, जीवन सुरभित
पान करो इस का बाला
ऐसे कूद के मरने पर तो
नहीं मिलेगी मधुशाला

प्रसून जोशी साहेब...

जिंदगी की तोड़ कर
मरोड़ कर
गुल्लकों को फोड़ कर
क्या हुआ जो जा रही हो
सोहबतों को छोड़ कर

रहीम...

रहिमन कभउँ न फांदिये छत ऊपर दीवार
हल छूटे जो जन गिरें फूटै और कपार

तुलसी...

छत चढ़ नारी उदासी कोप व्रत धारी
कूद ना जा री दुखारी
सैन्य समेत अबहिन आवत होइहैं रघुरारी

कबीर....

कबीरा देखि दुःख आपने कूदिंह छत से नार
तापे संकट ना कटे , खुले नरक का द्वार''

मैथिली शरण गुप्त-

अट्टालिका पर एक रमिणी अनमनी सी है अहो
किस वेदना के भार से संतप्त हो देवी कहो?
धीरज धरो संसार में, किसके नही है दुर्दिन फिरे
हे राम! रक्षा कीजिए, अबला न भूतल पर गिरे।

काका हाथरसी-

गोरी बैठी छत पर, कूदन को तैयार
नीचे पक्का फर्श है, भली करे करतार
भली करे करतार,न दे दे कोई धक्का
ऊपर मोटी नार, नीचे पतरे कक्का
कह काका कविराय, अरी मत आगे बढना
उधर कूदना मेरे ऊपर मत गिर पडना।

श्याम नारायण पांडे-
ओ घमंड मंडिनी, अखंड खंड मंडिनी
वीरता विमंडिनी, प्रचंड चंड चंडिनी
सिंहनी की ठान से, आन बान शान से
मान से, गुमान से, तुम गिरो मकान से
तुम डगर डगर गिरो, तुम नगर नगर गिरो
तुम गिरो अगर गिरो, शत्रु पर मगर गिरो।

गोपाल दास नीरज-

हो न उदास रूपसी, तू मुस्काती जा
मौत में भी जिन्दगी के कुछ फूल खिलाती जा
जाना तो हर एक को है, एक दिन जहान से
जाते जाते मेरा, एक गीत गुनगुनाती जा

राम कुमार वर्मा-

हे सुन्दरी तुम मृत्यु की यूँ बॉट मत जोहो।
जानता हूँ इस जगत का
खो चुकि हो चाव अब तुम
और चढ़ के छत पे भरसक
खा चुकि हो ताव अब तुम
उसके उर के भार को समझो।
जीवन के उपहार को तुम ज़ाया ना खोहो,
हे सुन्दरी तुम मृत्यु की यूँ बाँट मत जोहो।

हन्नी सिंह....

कूद जा डार्लिंग क्या रखा है
जिंजर चाय बनाने में
यो यो की तो सीडी बज री
डिस्को में हरयाणे में
रोना धोना बंद!
तू कर ले डांस हनी के गाने में
रॉक एंड रोल करेंगे कुड़िये
फार्म हाउस के तहखाने में !!

Thursday 17 September 2015

Whenever I feel depressed in life.. I open my E-Mail spam inbox...



I find:
1) 10 banks are giving me easy loans.

2) I have won GBP 10000000 and USD 500000 for unknown reasons.

3) 10 Top companies have best jobs for me.

4) 5 matrimonial sites have most suited matches for me.

5) Dr. Batra has claimed that he will cure my hair fall.

6) 3 universities are giving me degrees in random subjects.

And Approx 40-50 mails from Priya, Payal, and Neha who are feeling lonely and want to meet me.

Zindagi main aur kya chahiye...?
??????????

Tuesday 15 September 2015

From An Engineer working in a Bank


हाँ इंजीनियरिंग के बाद मैं बैंक में काम करता हू , तो तुम्हारे बाप का क्या जाता है।
हाँ की थी NTPC और BHEL की तैयारी , नहीं निकला , कुछ दिन मास्टर बनने का भी सोचा था लेकिन वहां तो सिर्फ boring और पढ़ीस जाते हैं तो उन्होंने भी नहीं लिया ,
कॉलेज का प्लेसमेंट शुन्य बटा सन्नाटा है तो बैंगलोर भी गया था walk -in पे , नहीं हुआ , C++ पूछ रहे थे और मैं ठहरा Mechanical का . (वैसे Mechanical भी पूछ लेते तो क्या ही बता पाता) .
समझ आ गया की भाई कुछ नहीं रखा है इस प्राइवेट नौकरी में , पतली गली से कट लिया ,
आज सरकारी बैंक में हू ,
हाँ पोस्टिंग ghar के bahar में हुई है लेकिन नेक्स्ट पोस्टिंग में पहुँच जाऊंगा ghar के पास की किसी ब्रांच में
और
तुम सालो खुद को फुनसुक वांगडू समझने वालों रहना 1BHK में दिल्ली , मुंबई और बैंगलोर के।
जितने बड़े घर होते हैं न तुम्हारे शहरों में , उतने में तो हम कूलर रखते हैं ,
और हाँ क्या कहते हो तुम 'Monotonous जॉब है हमारी" तो तुम साले कौन से National Geographic channel में काम कर रहे हो बे ,
TCS , Accenture और cognizant में ओन-साइट के मोह में घिस रहे हो ,
ये जन धन योजना से काम काज थोडा pressure आ गया है लेकिन गुरु तुम्हारी तरह 16 घंटे वाला काम नहीं करता हू ,
और हाँ ये जो alternate saturday Off घोषित हुआ है न ,
इसका मतलब पता है - saturday 'छुट्टी' रहेगी। कोई माई का लाल बुला के दिखा दे alternate saturday ,
बॉस छोडो , रघुराम राजन भी नहीं बुला सकता ,
तुम्हारी तरह saturday को work from home नहीं करते हम , खुद को ये सांत्वना भी नहीं देते की घर में गर्मी है तो आ गए AC में मुफ्त की चाय पीने।
क्या बोलते हो ,
technical पढ़ाई करके बैंक में ही जाना था तो बी टेक क्यों किया ,
भाई बात ऐसी है की बीएससी में नही हो रहा था , इंजीनियरिंग में हो गया ,
और रही बात non -technical काम की तो सालों तुम कौन सा Operating System बना दिए हो बे , Cut -Copy -Paste करते हो सॉफ्टवेयर companies में और खुद को टेक्निकल कहते हो।
भाई साहब , इंजीनिरिंग डिग्री नहीं है , एक सोचने का तरीका है ..

Tuesday 8 September 2015

BsnL will give new life to Broadband

       


More than one large integer BSNL subscriber line broadband customers can get a minimum web speed of two megabits per second as against existing speed of 512 kilobits per second on their existing plans. This move might trigger call knowledge speed tariffs of personal medium operators.

Communications minister Ravi Shankar Prasad launched the services in Gurgaon on Mon. Launching the service Anupam Srivastava CMD BSNL aforesaid, "We have inflated the web speed fourfold ...we have ensured a pair of Mbps is accessible finally mile, that is that the client premises."
This move by BSNL can make sure that non-public medium operators are forced to supply an equivalent speed at a lower value. any medium administrative body of Asian nation is additionally expected to shortly redefine the definition of Broadband speed, that is presently 512 kbps.
The move is a new step towards revitalising the BSNL, that is quick losing customers in mobile and lack of addition in customers in subscriber line. The medium public sector unit had registered a loss of Rs seven,600 large integer in last twelvemonth.
Communications Minister Shankar Prasad aforesaid, "BSNL ought to have frequent interface with customers and also the efforts taken nowadays by increasing the web definition ought to facilitate in digital Asian nation initiative, that is additional for poor."
Earlier, Srivastava aforesaid that BSNL is on a revival path. "We have accessorial fifteen hundred thousand mobile customers in previous few months as against 7-8 hundred thousand subscribers, per month."

Friday 28 August 2015

कलाई पर बंधा प्यार का अनोखा बंधन (जानिये राखी के ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व को )



By:- Arahan singh dhami 


ये बंधन है भाई - बहन के प्यार का, इसे सिर्फ धागा मत समझ लेना। 
हर बहन है शक्ति का रूप उसे अबला मत समझ लेना। 

भाई रक्षा करेगा सिर्फ इसी वजह से  हमारी बहने अपने भाइयों के कलाइयों पर राखी नही बांधती, बल्कि वो तो खुद इस दिन प्रण करती है की कभी उसका भाई किसी मुसीबत में पड़ जाय तो वह भी उसकी रक्षा करेगी।
क्योंकि हमारी बहने इतनी कमजोर नही की, उसे अपने भाई को इसीलिए राखी बांधनी पड़े के वो उसकी रक्षा करेगा, बल्कि बहने भी इस दिन अपने भाई को हर मुसीबतों से बचाने का संकलप लेती हैं। रक्षाबंधन एक बहुत ही पवित्र बंधन है भाई और बहिन के बीच, जो दोनों को जीवन भर बांधे रहता है। बहन जैसे ही राखी बांधती है भाई मन में प्रण लेता है की " चाहे कोई भी परिस्थिति  क्यों न हो मैं अपनी बहन की रक्षा सदैव करूँगा , चाहे मैं कहीं भी क्यों न हूँ। " साथ ही भाई अपनी बहन की  लम्बी एवं खुशहाल ज़िन्दगी की कामना करता है। और उसे सप्रेम भेंट  (उपहार ) देता है। और भगवान से प्रार्थना करता है की उसकी बहन को हर पल ढेर सारी खुशियां देना।
ये एक अनोखा बंधन है जिसे शब्दों में बयां करना संभव नही। राखी की परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है।  आईये इसके पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व को जाने।
   
रक्षाबंधन  हिन्दू श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) के पूर्णिमा के दिन मनाया 

जाने वाला त्योहार है। जो भाई का बहन



के प्रति प्यार का प्रतिक है।  


ऐतिहासिक महत्व :- मेवाड़ की महारानी कर्मावती  ने मुग़ल राजा हुमायूँ  को राखी भेजकर अपनी राज्य में आक्रमण न करने की प्रार्थना की। महारानी कर्मावती विधवा थी , उनकी पति महाराजा राणा सांगा थे। मुस्लिम होते हुए भी हुमायूँ ने राखी की लाज रखी। और राज्य पर आक्रमण नही किया।  उल्टा वे मेवाड़ की और से बहादुरशाह के विरुद्ध लड़े , और मेवाड़ राज्य की रक्षा की।

चंद्रशेखर आजाद का प्रसंग:-

बात तब की है जब क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत थे और फिरंगी उनके पीछे लगे थे। 
 वे फिरंगियों से बचने के लिए शरण लेने हेतु तूफानी रात को एक घर में जा पहुंचे। जहां एक विधवा अपनी बेटी के साथ रहती थी। हट्टे-कट्टे आजाद को डाकू समझ कर पहले तो वृद्धा ने शरण देने से इनकार कर दिया, लेकिन जब चंद्रशेखर आज़ाद  ने अपना परिचय दिया तो उसने उन्हें ससम्मान अपने घर में शरण दे दी। बातचीत से आजाद को पता चला कि गरीबी के कारण विधवा की बेटी की शादी में कठिनाई आ रही है। आजाद ने महिला को कहा, 'मेरे ऊपर पांच हजार रुपए का इनाम है, आप फिरंगियों को मेरी सूचना देकर मेरी गिरफ़्तारी पर पांच हजार रुपए का इनाम पा सकती हैं।  जिससे आप अपनी बेटी का विवाह आसानी से करवा सकती हैं।

यह सुन विधवा रो पड़ी और उसने कहा - “भैया! तुम देश की आजादी हेतु अपनी जान हथेली पर रखकर घूमते हो और न जाने कितनी बहू-बेटियों की इज्जत तुम्हारे भरोसे है। मैं ऐसा हरगिज नहीं कर सकती।” यह कहते हुए उसने एक रक्षा-सूत्र आजाद के हाथों में बाँध कर देश-सेवा का वचन लिया। सुबह जब विधवा की आँखें खुली तो आजाद जा चुके थे, अचानक उसने देखा कि तकिये के नीचे 5000 रूपये हैं । उसके साथ एक पर्ची भी थी जिस पर लिखा था- “अपनी प्यारी बहन हेतु एक छोटी सी भेंट- आजाद।”

पुरू का प्रसंग:- सिकंदर जो की कभी पराजित नही हुआ था, वह पुरू के बारे में सुनकर विचलित हो गया। ये बात सिकंदर की पत्नी की पत्नी को ज्ञात हो गयी , पुरू से अपनी पति की रक्षा करने के लिए उसने पुरू को राखी बांधकर भाई बनाया, और युद्ध में सिकंदर को न मारने का वचन लिया। इसी कारण से युद्ध में पुरू ने राखी के वचन को निभाया और सिकंदर को जीवनदान दिया।    


मैंने पढ़ा, शत्रुओं को भी

जब-जब राखी भिजवाई

रक्षा करने दौड़ पड़े वे

राखी-बन्द शत्रु-भाई॥


पौराणिक महत्व:- भगवान श्री कृष्ण द्वारा शिशुपाल का वध करते समय, कृष्ण जी की तर्जनी ऊँगली में चोट आ गए गई , तो उस समय द्रौपदी ने लहू रोकने के लिए अपनी साडी फाड़कर उनकी ऊँगली पर बाँध दी थी। यह घटना श्रावण मास की पूर्णिमा को घटी थी।
  द्रौपदी का जब चीरहरण हो रहा था तब कृष्ण ने उनकी लाज बचाकर राखी की लाज बचाई।

वामनावतार का प्रसंग:-  रक्षाबंधन का प्रसंग वामनावतार नामक पौराणिक कथा में भी मिलता है। राजा बलि ने यज्ञ सम्पन्न कर स्वर्ग पर अधिकार का प्रयत्न किया, और देवराज इंद्रा ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की।

विष्णु जी वामन ब्राह्मण बनकर राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंच गए। उन्होंने बलि से तीन पग भूमि दान 

में मांग ली और राजा बलि ने दान कर दी। वामन भगवान ने तीन पग में आकाश-पाताल और धरती को 

नाप दिया और राजा बलि को रसातल में भेज दिया। राजा बलि ने अपनी भक्ति के बल पर विष्णु जी से 

हर समय अपने सामने रहने का वचन ले लिया। इससे लक्ष्मी जी चिंतित हो गई। और नारद जी की सलाह 

पर लक्ष्मी जी बलि के पास गई और उसे रक्षासूत्र बांधकर उसे अपना भाई बना लिया, और बदले में विष्णु 

जी को अपने साथ ले आई। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी। 


और तब से ये श्लोक प्रकाश में आया :- येना बद्धो बलीराजा दानवेन्द्रो महाबलह् !                                                                                             तेन त्वामपि बध्नामि रक्शे मा चल मा चल !

  पंडित रक्षा सूत्र बांधते समय इसी मंत्र का उच्चारण करते हैं। 

राखी सिर्फ भाई - बहन के बीच का कार्यकलाप नही रह गया है। आज राखी देश की रक्षा, पर्यावरण रक्षा, 

हितों की रक्षा आदि के लिए भी बाँधी जानी लगी है। 


उत्तराखंड के पिथौरागढ़ शहर में स्कूल की बालिकाएं स्कूल में लगाये पेड़ो पर धागा बांधते हैं और सालभर 

उनकी देखभाल करती हैं। 



आज कई भाइयों की कलाई पर सिर्फ इसीलिए राखी नही बंध पाती, क्योंकि उनकी बहनो को उनके माँ-बाप 

ने दुनिया में आने ही नही दिया। पुत्र प्राप्ति की लालसा में उनके माँ - बाप उनकी बहनो को कोख़ में ही 

मार देते हैं। यह एक जघन्य अपराध है। 



इस बार राखी में बहने अपने भाइयों से एक वचन ले, उन्हें बोले की जैसे तुम मेरी इज्ज़त और सम्मान करते हो 

वैसे ही दूसरों की बहनो की भी इज्जत और मान सम्मान करे उनके साथ भी अच्छा व्यवहार करे। 
  
हमारा निवेदन है की दूसरों की बहनो से बुरा या गलत व्यवहार करने से पहले ज़रा अपनी बहन के बारे में 

सोच लेना। क्योंकि उसकी साथ भी कोई बुरा बर्ताव कर सकता है , तब आपको कैसा लगेगा। 

                                 क्षाबंधन की ढेर सारी बधाइयाँ  





  
           

Monday 17 August 2015

बेटा कहीं बाहर क्यों नहीं जाते?



Note:- ये एक काल्पनिक वंग्यात्मक लेख है। 
By:- Arahan Singh Dhami





रोज़ की तरह उस दिन भी मैं टाइम पास के लिए गेम खेल रहा था, एक दो घंटे बाद बोरियत होने लगी, तो सोचा आराम कर लूँ , तीन घंटे हो गए सोते - सोते मम्मी ने लंच के लिए उठाया, मम्मी ने  मेरे लिए खाना डाला और पड़ोस में आंटी के वहाँ चली गई।  खाना खाने के बाद सोचा चलो फिर से आराम कर लेता हूँ, जैसे ही आराम करने के लिए जा रहा था , तो door bell बजी, मैं दरवाजा खोलने चला  गया, सोचा मम्मी होगी, लेकिन दरवाजा खोलते ही मेरे सामने पड़ोस के अंकल थे, मैंने उन्हें नमस्ते किया और अंदर आने को कहा, अंकल ने पूछा बेटा घर पर और कोई नही है क्या ? मैंने कहा भाई market गया है और मम्मी पड़ोस की आंटी के वहां गयी है। उन्होंने बोला कोई बात नही, लो  ये मिठाई खाओ, मैंने पूछा किस खुशी में मिठाई खिला रहे हो अंकल?  अंकल बोले बेटा मेरे लड़के की MNC (Multi national company) में नौकरी लग गयी है, मैंने उन्हें बधाई दी और बोला अंकल आपके लड़के का तो इंजीनियरिंग का लास्ट साल था, अंकल बोले हाँ बेटा लास्ट साल था पर उसका कैंपस इंटरव्यू में selection हो गया और ,  exam होते ही रिजल्ट आने के बाद जॉब पर लग जाएगा, मैंने बोला अंकल अगर आपका बेटा लास्ट Year के exam में fail हो गया, तो क्या तब भी उसे job मिलेगी ? अंकल थोड़ा चीड़ गए  और गुस्सा हो गए, बोला मेरा बेटा आजतक अच्छे grade से पास होते आया है, तो भला फ़ैल क्यों होगा? फिर अंकल ने पूछा तुम नौकरी के लिए कहीं बाहर क्यों नही जाते ? यहाँ क्या रखा है? शहर जाओ कोई नौकरी ढूंढो। वैसे भी जब भी मैं तुम्हे देखता हूँ, तुम सोये मिलते हो, मैंने बोला अंकल वो मैं आराम करके तक जाता हूँ इसीलिए दुबारा आराम करता हूँ। अंकल बोले क्या ? मैंने कहा मज़ाक कर रहा हूँ अंकल। अंकल ने बोला मज़ाक तुम अपनी ज़िन्दगी के साथ कर हो। मेरे बच्चों को देखो दोनों सेटल हो गए हैं, लड़का engineer बन जाएगा और लड़की बाहर teacher है, मैंने अपने मन में "बोला तुम्हारा लड़का engineer बन कर क्या उखाड़ लेगा"।   अंकल ने पूछा बेटा अच्छा ये बताओ तुम यहाँ (पहाड़ ) में कर क्या रहे हो?  यहाँ तो कोई company भी नही है काम करने को, यहाँ रहना बेकार है। मैंने ज़वाब दिया अंकल मैं यहाँ पलायन रोकने के लिए रुका हूँ।  अंकल हँसते हुए बोले बेटा जब नेता पलायन नही रोक सके तो तू अकेला कैसे रोकेगा।  मैंने बोला अंकल शुरुवात अकेले ही करनी पड़ते है , बाद में कारवां अपने आप बन जाता है। 
      
पहाड़ से सभी बाहर शहर को जातें हैं , पड़ने के लिए कोई engineer बन जाता है कोई डॉक्टर और कोई teacher, और वो वहीँ के होक रह जाते हैं, पहाड़ के लिए कुछ नही करते।  बाद में खुद बोलते हैं "यार पहाड़ में क्या रखा है ? ऐसे ही लोगों की वजह से पलायन होता है , engineer , डॉक्टर तो बन जाते हैं किन्तु अपनी सेवा  पहाड़ में नही देते , अगर अपना engineer दिमाग पहाड़ों के landslide रोकने के लिए लगाते तो रोड block की समस्या नही होती, hospital हैं पर doctor नही हैं , अगर वो doctor बन कर यहाँ आते तो लोगों को इलाज़ के लिए बाहर नही जाना पड़ता , ऐसा ही हाल स्कूलों का है , अगर हर बंदा अपनी पोस्टिंग पहाड़ में करा ले तो , कितना अच्छा होता , लेकिन पहाड़ी होते हुए भी वो पहाड़ नही चढ़ना चाहते , जबकि मैदानी area  से ज्यादा सैलरी पहाड़ में doctor और टीचरों को मिलती है।  ये बातें सुनकर मैंने अंकल में पहाड़ प्रेम की भावना जगा दी। उन्होंने  बोला  बेटा तू सच्चा पहाड़ी प्रेमी है, हमारी वजह से भी पहाड़ों से पलायन होता है ,बेटा अब मैं अपने बेटे  बोलूंगा की, नौकरी लगने के बाद पहाड़ में भी अपनी सेवा देना, और अपनी बेटी को यहाँ ट्रांसफर करने को बोला हूँ , बेटा मैं तुझे बेकार, आलसी समझता था लेकिन अब मुझे तुझ पर गर्व है , ऐसा बोलकर uncle चले गए , और मैं भी सोने चले गया, थक जो गया था इतना लम्बा भाषण देकर। 10 minute बाद मेरे भतीजे का फ़ोन आया , मैंने उससे पूछा कहाँ  है आजकल ? वो बोला चाचू Mumbai में हूँ और जॉब कर रहा हूँ , वो बोला आप क्या कर रहे हो आजकल? मैंने बोला कुछ नही बेकार हूँ, फिर मैंने बोला यार भतीज कोई जुगाड़ लगा मेरा भी वहां पर , कोई भी काम मिले चलेगा पर कुछ काम ढूंढ मेरे लिए।  साला यहाँ पहाड़ में कुछ नही है। बेकार है यहाँ रहना। भतीज बोला भतीज बोला यहाँ  आ जाओ उसके बाद ढूंढ लेना काम।  मैंने बोला ठीक है, जल्दी ही वहां आता हूँ। नही तो यहाँ रहकर ज़िन्दगी बेकार हो जायेगी।

   The moral of the story is दूसरों को भाषण देने से पहले उस बात को खुद पर लागू करो , उसके बाद ही दूसरों को बोल बच्चन दो।