Sunday 28 September 2014

महिलाओं पर अत्याचार.


अम्मा का तो काम निपट गया दीदी का शिकंजा कसा जा रहा है बहन जी की फाइल कभी भी खुल सकती है मैडम की तारीख लगी हुई है महिलाओं पर अत्याचार...

Saturday 27 September 2014

कोई टोपी तो कोई अपनी पगड़ी बेच देता है


कोई टोपी तो कोई अपनी पगड़ी बेच देता है..मिले अगर भाव अच्छा, जज भी कुर्सी बेच देता है,तवायफ फिर भी अच्छी, के वो सीमित है कोठे तक..पुलिस वाला तो चौराहे पर वर्दी बेच देता है,जला दी जाती है ससुराल में अक्सर वही बेटी..के जिस बेटी की खातिर बाप किडनी बेच देता है,कोई मासूम लड़की प्यार में कुर्बान है जिस पर..बनाकर वीडियो उसका, वो प्रेमी बेच देता है,ये कलयुग है, कोई भी चीज़ नामुमकिन नहीं इसमें..कली, फल फूल, पेड़ पौधे सब माली बेच देता है,किसी ने प्यार में दिल हारा तो क्यूँ हैरत है लोगों को..युद्धिष्ठिर तो जुए में अपनी पत्नी बेच देता है...!!अजीब है न हमारे देश का संविधान !'गीता' पर हाथ रखकर कसम खिलायी जाती हैसच बोलने के लिये....मगर 'गीता' पढ़ाई नहीं जाती सच को जानने के लिये..!!यथार्थ गीता।धन से बेशक गरीब रहोपर दिल से रहना धनवानअक्सर झोपडी पे लिखा होता है"सुस्वागतम"और महल वाले लिखते है "कुत्ते से सावधान"

Thursday 25 September 2014

थोडा सा जिद्दी है लेकिन बेवफा नहीं।


सब कुछ है मेरे पास बस दिल की दवा नहीं; दूर वो मुझसे है पर मैं उस से खफा नहीं; मालूम है अब भी प्यार करता हैं वो मुझसे; वो थोडा सा जिद्दी है लेकिन बेवफा नहीं।

Monday 22 September 2014

बिंदास मुस्कुराओ


बिंदास मुस्कुराओ क्या ग़म हे,.. ज़िन्दगी में टेंशन किसको कम हे.. अच्छा या बुरा तो केवल भ्रम हे.. जिन्दगी का नाम ही कभी ख़ुशी कभी गम है.. कभी खुशी की आशा, कभी गम की निराशा, कभी खुशियों की धूप, कभी हक़ीक़त की छाया, कुछ खोकर कुछ पाने की आशा., शायद यही है ज़िंदगी की सही परिभाषा……

वक़्त


''इंसान ने वक़्त से पूछा... "मै हार क्यूं जाता हूँ ?" वक़्त ने कहा.. धूप हो या छाँव हो, काली रात हो या बरसात हो, चाहे कितने भी बुरे हालात हो, मै हर वक़्त चलता रहता हूँ, इसीलिये मैं जीत जाता हूँ, तू भी मेरे साथ चल, कभी नहीं हारेगा............."

आईडिया इन्टरनेट जब लगाविंग तो इंडिया को नो उल्लू बनाविंग नो उल्लू बनाविंग


अभिषेक बच्चन बेटी आराध्या से बेटा तुम्हारी माँ का पहला प्यार कोन हे? मैं या तुम । आराध्या : ना आप और नाही मैं पहला प्यार तो सलमान अंकल हे। अभिषेक : नही बेटा ! मैं हु । आराध्या : ना पापा ! पहले सलमान अंकल फिर विवेक अंकल और फिर बाद में आप । अभिषेक : तुम्हे केसे पता? आराध्या: आईडिया इन्टरनेट जब लगाविंग तो इंडिया को नो उल्लू बनाविंग नो उल्लू बनाविंग

अमीर तो हम भी थे


अमीर तो हम भी थे दोस्त, बस दौलत सिर्फ दिल की थी! खर्च तो बहुत किया, पर गिनती सिर्फ सिक्को की हुई! तेरी दोस्ती की आदत सी पड़ गयी है मुझे, कुछ देर तेरे साथ चलना बाकी है। शमसान मैं जलता छोड़ कर मत जाना, वरना रूह कहेगी कि रुक जा, अभी तेरे यार का दिल जलना बाकी है।

जीने का मजा भी आयेगा


मुश्किलें केवल बहतरीन लोगों के हिस्से में ही आती हैं .!!!! क्यूंकि वो लोग ही उसे बेहतरीन तरीके से अंजाम देने की ताकत रखते हैं !! रख हौंसला वो मंज़र भी आयेगा; प्यासे के पास चलकर समंदर भी आयेगा; !! थक कर ना बैठ अए मंजिल के मुसाफ़िर;मंजिल भी मिलेगी और जीने का मजा भी आयेगा !!!

कोई मुस्कराता है


खुशियाँ तकदीर में होनी चाहिये ... तस्वीर में तो हर कोई मुस्कराता है ...

बकलोली

साथियों, आज हम एक बड़े ही साहसी युवक के बारे में बताने जा रहे हैं। ये युवक केवल साहसी ही नहीं, अपितु क्रन्तिकारी विचारों वाला तथा महान सेक्युलर भी है। वैसे पाकिस्तान में जन्मा हर व्यक्ति सेक्युलर है, पर इनकी सेक्युलरता महान है! आप सोच रहे होंगे कि हम पाकिस्तान में जन्मे किसी युवक की प्रशंसा क्यों कर रहे हैं। तो जान लीजिये कि ये कोई ऐसी-वैसी शख्सीयत नहीं हैं, आप पाकिस्तान की शान बेनजीर भुट्टो और ज़रदारी भुट्टो के लख्तेजिगर हैं! इस प्रकार ये पाकिस्तन...अररर मेरा मत्लन स्तान, पकिस्तान के लिए वो हैं जो हमारे लिए राजदुलारे राजकुमार गाँधीकुल शिरोमणि श्री श्री राहुल बाबा हैं। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं बिलावल भुट्टो की!
तो मित्रों और सहेलियों, आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्या किया बिनाबाल...अररर आई मीन बिलावल भुट्टो जी ने जी हम उनहें महान साहसी कह रहे हैं। तो जान लीजिये साथियों, बिलावल जी पाकिस्तान के लिए कश्मीर को भारत के नापाक चंगुल से छुडवाने की कसम खा चुके हैं। उन्होंने कसम खाई है कि यदि वे ऐसा ना कर पाए तो वो अपना लिंग परिवर्तन अर्थात सेक्स  चेंज करवा लेंगे। साथियों, हमारे अति विद्वान प्रशांत भूषन जी ने भी ऐसी ही कुछ बात कही थी, पर कसम नहीं खायी थी। आपको याद होगा कमाल आर खान ने भी कहा था कि यदि मोदी प्रधानमन्त्री बने तो वो अपना लिंग परिवर्तन करवा लेंगे और भारत से कल्टी मार लेंगे अर्थात सदा के लिए भारत से प्रस्थान कर जायेंगे..परन्तु एक सच्चे आपिये के सामान उन्होंने यु-टर्न मार लिया। आज भी वे सारी लज्जा त्याग इन संघी-भाजपाइयों की छाती पर मूंग दल रहे हैं। धन्य हो के आर के महाराज!
हाँ तो हम क्या कह रहे थे? जी हाँ, अति साहसी बिलावल जी ने कश्मीर को भारत के चंगुल से छुडाने की कसम खायी है। क्या हुआ कि पाकिस्तान से पहले ही बांग्लादेश पृथक हो लिया...क्या हुआ कि बलूचिस्तान इनसे सम्हाले नहीं सम्हल रहा... क्या हुआ कि पड़ोस के अफ़ग़ानिस्तान से भगाए गए अल कायदा के आतंकवादी जब-तब यहाँ-वहाँ बम के विस्फोट करते हैं, जब मन करे पाकिस्तानी सुरक्षाबल के जवानों को एक पंक्ति (लाइन) खड़ा कर के गोलियों से भून डालते हैं...मतलब जब मन किया तो इनके स्थानविशेष में उंगली करते हैं...पर कश्मीर पर बात करना तो बनता ही है! और उसपर भी सीधा ये कहना कि पूरा कश्मीर भारत के चंगुल से छुड़वा लेंगे... साथियों, ऐसी प्रचंड बकैती करने के लिए पिछवाड़े में दम लगता है! भाई, अपने टूटे हुए नाड़े की, नीचे सरकते हुए सलवार की और छेद वाले कच्छे के सारे संसार के सामने आ जाने की चिंता त्याग, बगल में खड़े मुश्टंडे पहलवान की निक्कर खींचने के लिए सहस ही नहीं, दुस्साहस चाहिए! और पहलवान भी कैसा? पूरा संघी! ये संघी केवल निक्कर नहीं पहनते, उसपर मोटा वाला बेल्ट भी लगाते हैं...वो भी धातु के बक्कल वाला! छोरों, जिगरा लगता है इसके लिए!
साथियों, काश ऐसे दो-चार बेबाक-बहादुर-बकलोल हमारे यहाँ भी होते तो युगपुरुष उन्हें अपनी छत्र-छाया में ले कर अब तक एक नहीं कई बार प्रधानमंत्री बन चुके होते और त्यागपत्र भी दे चुके होते! वैसे बिलावल बाबा के टक्कर के शूरवीर हैं यहाँ...जैसे कि महामहिम दिग्गी जी, गाँधी कुल शिरोमणि पप्पू बाबा, युगपुरुष कजरी जी इत्यादि... काश के ये सारे एक जगह इकठ्ठा हो जाते.... दुनियाँ फतह कर लेते हम फिर तो! नहीं?

लडकीयोने हिरो बना दिया


विलन बनने की चाहत बचपन से थी साली लडकीयोने हिरो बना दिया

Friday 19 September 2014

क्योँ भाई लोगो गलत कहा क्या..???


एक जमाना था जब यूवा देश के लिए मर मिटने को तैयार रहते थे । आज के हम यूवा :- * उदास क्यो है ? ....तो अगला रोते हुये बोलेगा यार तेरी भाभी नाराज हो गई ;-( * अरे ये बालो पर क्या लगा रहा है? ...जवाब मिलेगा यार सर के कुछ बाल सफेद होने लगे है ये T.v. पर देखा तो मँगा लिया । *कितने रुपये लगे ? ....ज्यादा नही , बस 3499 *अरे उस लङकी ने क्या कहा फिर ?.....जवाब मिलेगा अरे साली नखरे करती है मैने छोङ दिया साली को । * अच्छा ये बता इस बार देश का प्रधानमंत्री कौन बनेगा ?......जवाब मिलेगा.....अरे यार ये फालतू के लोगो का काम है मुझे ये सब बिल्कुल पसन्द नहीँ है। * अच्छा देश के लिए तू क्या सोचता है ? जवाब मिलेगा .........छोङ ना यार क्या देश का रोना लगा रखा है और आज वैसे भी मेरा मूड खराब है मेरी जानू ने मेरे MSG का REPLY नहीँ किया । . . पहले लङकिया लक्ष्मी बाई जैसी होती थी ओर आज... * हे भगवान ! PROFILE PIC. CHANGE किये 2 मिनट हो गयेँ ओर अभी तक एक भी LIKE नहीँ मिला * उई माँ . . . मेरे चैहरे पर मूहासा हो गया * बाहर कैसे जाउँ ये कपङे कितने गन्दे लग रहे है लङके मुझ पर हँसेगे । * कोई पुछ ले देश के लिए क्या सोचती हो ? जवाब मिलेगा कौन देश ? औह अच्छा वो जो काला चश्मा लगाता है , मगर नखरे बहुत करता है । . . क्योँ भाई लोगो गलत कहा क्या ??

आप वाले: हम देश मे स्वच्छ राजनिती करने आये हैं


भक्तो और आपीयों मे सबसे बड़ी चुतियापन्थी ये लगती है कि भक्त: 60 साल काँग्रेस को लुटने दिया अब एक साल मोदी को नही दोगे ये बताते नही हैं कि किस लिए विकाश के लिए या लुटने के लिए आप वाले: हम देश मे स्वच्छ राजनिती करने आये हैं|| कम से कम हम बीजेपी से तो अच्छा कर रहे हैं ना|| वो सब तो ठीक है पर पहले थोड़ी राजनितीक समझ लाईये फिर फैसले लो|| फैसलों मे ईतनी गलतीयाँ जनता सब देख रही है.|| बीजेपी का दिल्ली मे सत्ता-लोलुप खुला मुह, अपने आस्तित्व को बचाने के लिए लड़ती आप... हम तो सिर्फ विश्लेशण ही कर सकते हैं पर बदलाव लाना ईनके चन्द पेपर पर सही या गलत से तय हो जाता है, और अफसोस की पेपर ऑफिस की अलमारी के किसी कोने मे दब कर रह जाते हैं||

भारत रोबोटिक्स इंजीनियरिंग की क्षेत्र में इतना आगे निकल चूका है


मनमोहन सिंह के साथ मिलने के बाद चीनी राष्ट्रपति Xi Jinping हैरान हैं की भारत रोबोटिक्स इंजीनियरिंग की क्षेत्र में इतना आगे निकल चूका है !!

पती के मौत के फायदे


ये साले #LIC वाले भी गजब होते है.. दुसरो की बीवियों के पास घंटो बैठकर , उन्हें उनके पती के मौत के फायदे समझाते हैं..!!

फिर जगाया तूने सोये शेर को


मुझमे कितने राज हैं बतलायूँ क्या, बंद एक मुद्दत से हूँ खुल जाउ क्या...??? . मिन्नत...खुसामाद...इल्तज़ा और मैं क्या-क्या करूं, मर जाउ क्या...??? . एक पत्थर है वो मेरी राह का गर ना ठुकराउ तो ठोकर खाउ क्या...??? . तेरे ही इश्क़ का परचम लिये लाशों की तरह फिरते थे हम, तेरे दिये वो सारे दर्द गिनवाउ क्या...??? . फिर जगाया तूने सोये शेर को, अपना फिर वही लहजा-दराजी दिखाउ क्या...???

Tuesday 16 September 2014

-------पुलिस और पत्नी में समानताऐं ---------


1. ना इनकी दोस्ती अच्छी और ना ही दुश्मनी। 2. इनसे बनाकर रखना मजबूरी 3. इनका पता नहीं कब बिगङ जाऐं। 4. अगर ये प्यार से बात करे तो अलर्ट हो जाऐं। 5. खतरनाक धमकी देते हैं दोंनों ही। 6. इनसे बहस में जीतना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। 7. याद रखते हैं पहला हिसाब। 8. अपने राज कभी नहीं खोलते। 9. तारीफ चाहिए जबरदस्ती इनको। 10. इनसे पंगा लेना खतरनाक साबित हो सकता है। 11. विरोध मोका देखकर करते हैं। 12. सुन भले ही लें आपकी लेकिन करेंगे मन की ही। 13. ये दुश्मन से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं। 14. प्यार में लेकर भी वार करते हैं। 15. रौब से काम लेते हैं दोंनों ही। 16. अपना राज इन्हें बताना खतरनाक साबित हो सकता है। 17. जेब पर ही नजर रहती है इनकी

~~~~~~~~~~~मार्मिक कथा ~~~~~~~~~


माँ मैं एक पार्टी में गया था.-----तूने मुझे शराब नहीं पीने को कहा था, इसीलिए बाकी लोग शराब पीकर मस्ती कर रहे थे और मैं सोडा पीता रहा. लेकिन मुझे सचमुच अपने पर गर्व हो रहा था माँ, जैसा तूने कहा था कि 'शराब पीकर गाड़ी नहीं चलाना'. मैंने वैसा ही किया. घर लौटते वक्त मैंने शराब को छुआ तक नहीं, भले ही बाकी दोस्तों न मौजमस्ती के नाम पर जमकर पी. उन्होंने मुझे भी पीने के लिए बहुत उकसाया था. पर मैं अच्छे से जानता था कि मुझे शराब नहीं पीनी है और मैंने सही किया था. माँ, तुम हमेशा सही सीख देती हो. पार्टी अब लगभग खत्म होने को आयी है और सब लोग अपने-अपने घर लौटने की तैयारी कर रहे हैं. माँ ,अब जब मैं अपनी कार में बैठ रहा हूँ तो जानता हूँ कि केवल कुछ समय बाद मैं अपने घर अपनी प्यारी स्वीट माँ और पापा के पास रहूंगा. तुम्हारे और पापा के इसी प्यार और संस्कारों ने मुझे जिम्मेदारी सिखायी और लोग कहते हैं कि मैं समझदार हो गया हूँ माँ, मैं घर आ रहा हूँ और अभी रास्ते में हूँ. आज हमने बहुत मजा की और मैं बहुत खुश हूँ. लेकिन ये क्या माँ...शायद दूसरी कार वाले ने मुझे देखा नहीं और ये भयानक टक्कर.... माँ, मैं यहाँ रास्ते पर खून से लथपथ हूँ. मुझे पुलिसवाले की आवाज सुनाई पड़ रही है और वो कह रहा है कि इसने नहीं पी. दूसरा गाड़ीवाला पीकर चला रहा था. पर माँ, उसकी गलती की कीमत मैं क्यों चुकाऊं ? माँ, मुझे नहीं लगता कि मैं और जी पाऊंगा. माँ-पापा, इस आखिरी घड़ी में तुम लोग मेरे पास क्यों नहीं हो. माँ, बताओ ना ऐसा क्यों हो गया. कुछ ही पलों में मैं सबसे दूर हो जाऊँगा. मेरे आसपास ये गीला-गीला और लाल-लाल क्या लग रहा है. ओह! ये तो खून है और वो भी सिर्फ मेरा. मुझे डाक्टर की आवाज आ रही है जो कह रहे हैं कि मैं बच नहीं पाऊंगा. तो क्या माँ, मैं सचमुच मर जाऊँगा.…… मेरा यकीन मानो माँ----- मैं तेरी कसम खाकर कहता हूँ कि मैंने शराब नहीं पी थी. मैं उस दूसरी गाड़ी चलाने वाले को जानता हूँ. वो भी उसी पार्टी में था और खूब पी रहा था. माँ, ये लोग क्यों पीते हैं और लोगों की जिंदगी से खेलते हैं ------ उफ! कितना दर्द हो रहा है. मानो किसी ने चाकू चला दिया हो या सुइयाँ चुभो रहा हो. जिसने मुझे टक्कर मारी वो तो अपने घर चला गया और मैं यहाँ अपनी आखिरी साँसें गिन रहा हूँ. तुम ही कहो माँ, क्या ये ठीक हुआ. घर पर भैया से कहना, वो रोये नहीं------ पापा से धीरज रखने को कहना. मुझे पता है,वो मुझे कितना चाहते हैं और मेरे जाने के बाद तो टूट ही जाएंगे. पापा हमेशा गाड़ी धीरे चलाने को कहते थे. पापा, मेरा विश्वास करो, मेरी कोई गलती नहीं थी. अब मुझसे बोला भी नहीं जा रहा. कितनी पीड़ा! साँस लेने में तकलीफ हो रही है.माँ-पापा, आप मेरे पास क्यों नहीं हो. शायद मेरी आखिरी घड़ी आ गयी है. ये अंधेरा सा क्यों लग रहा है. बहुत डर लग रहा है. माँ-पापा प्लीज़ रोना नहीं. मै हमेशा आपकी यादों में, आपके दिल में आपके पास ही रहूंगा. माँ, मैं जा रहा हूँ. पर जाते-जाते ये सवाल ज़रूर पूछुंगा कि ये लोग पीकर गाड़ी क्यों चलाते हैं. अगर उसने पी नहीं होतीं तो मैं आज जिंदा, अपने घर,अपने परिवार के साथ होता. मित्रो, इसको ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाए ताकि किसी के शराब पीकर गाड़ी चलाने से किसी और के घर का चिराग ना बुझने पाय...!!------

----------सासू माँ का जवाब नहीं--------------


एक औरत अपनी सास से बहुत तंग थी। उसकी सास हर काम में कुछ ना कुछ नुक्स निकालती थी। अगर वो अंडा बॉईल करती थी तो सास कहती कि फ्राय करना था। अगर फ्राय करती तो कहती बॉईल करना था। एक दिन सास को सबक सिखाने के लिए बहू ने दो अंडे लिए, एक को बॉईल किया और दूसरे को फ्राय कर दिया। मन में सोचा अब आएगा मज़ा। सास थोड़ी देर दोनों अण्डों को देखती रही, फिर बोली, "बहू, ज़रा सी भी अक्ल नहीं तुझमें। जिस अंडे को बॉईल करना था उसे फ्राय कर दिया और जिसे फ्राय करना था उसे बॉईल कर दिया।"

यह दिखावा है हमने हर मौसम जाता देखा है.... . कैसे करे उनकी रईसी का यकीन. . हमने iPhone वालोँ को भी 10 का रिचार्ज करवाता देखा है ।।

मेट्रो हरियाणा में प्रवेश करने जा रही है तो फिर Announcement भी हरियाणवी में होनी चाहिए.... कैसी होगी Announcement :- ~ आगला टेशन "दादा भगवाने पार्क" सै----- किवाड ओला हाथ ने खुल्लेंगे -----गाड्डी में ते सुथरी ढाल उतरियो------ उतरती हान एक-दुसरे के ख्स्सन की कोय जरुत नी है... ~ गाडी में जो भी माणस होक्का- बीड़ी पींता पाया----- पकड़ के तोड्या जागा -----कदै पाछै नु कहो ना अक बताई नी थी..... ~ खागडां ते निवेदन है -----बडे-बूढ्ढ्यां नै अर बालक आली बीरबानियां ताईं सीट छोड दें..... ~ चालती गाड़ी की सूध में पहलडा डिब्बा लुगाईयां ताईं है------ये मलंग भिरड के छत्ते की ढाल उडै ना मंडरायैं....... ~ गाडी में चोर-डाकुवां ते चौकस रहियो चाहे ना ना ------पर ईन अलबादी बूढ्यां ते जरुर बच के रहियो----- कदै पाछे शिकात करो अक महारी 'चीचड़ी' तोड ली.

सास ने अपने फौजी दामाद को ख़त लिखा: "मेरी बेटी को तन्हा छोड़ कर तुम सरहद में मौज मस्ती कर रहे हो, शराफत से मेरी बेटी के पास आ जाओ..कोई भी बहाना बनाकर छुट्टी ले लो" फौजी दामाद ने सास को एक हैण्ड ग्रेनेड बम के साथ ख़त भेजा जिसमे लिखा था: "प्यारी सासू माँ, अगर आप इसकी पिन खीच ले तो मुझे 13 दिन की छुट्टी मिल जाएगी.."

अमावस के गहन शाम की धुंधली वेला है, रात से ठीक पूर्व की। बड़ी मुश्किल से कुछ फर्लांग आगे तक ही दृष्टि जा पा रही है। सूर्य कब का डूब चुका है और अंधकार अपनी चादर फैलाने को आतातुर है। आसमान, जिसपर कभी भी कालिमा हावी हो सकती है, बड़ी ही निर्लज्जतापूर्वक निर्वस्त्र है और बेहद झीना-सा पीलापन लिये हुये है। कहीं-कहीं छिट-पुट लालिमा बिखरी हुई है। मानो किसी चित्रकार ने कागज के महीन से पीत-श्याम कैनवास पर कुछ बूँदें रक्त की छींट दी हों! या मानो काली आँखों के हल्के से पीलेपन के बीच कोई अभागा खून के आँसू रो रहा हो! आने वाले इस अंधकार के वशीभूत होकर विराट आसमान का नीलाभ-वर्ण भी उसका साथ छोड़ चुका है। क्षितिज पर यदा-कदा ध्वनिहीन बिजली चमक रही है। वातावरण में एक अजीब सी बेचैन कर देने वाली उमस व्याप्त है। पेड़ों पर इस वक्त नियमित चहचहाने वाले पंछी भी ना जाने किस अनजान भय से आक्रान्त होकर आज मूक हैं। मानो उनका शोर भी वातावरण की उसी शून्यता में समा गया हो! पेड़ भी काफी गुमसुम हैं... काफी स्थिर और अचल... एक-एक रेशा जड़ है आज! काफी दूर से २-४ कुत्तों के रोने की धीमी आवाजें आ रही हैं। बहुत दूर किसी छोटे से झोंपड़े में एक दीया टिमटिमा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे वो अपने अस्तित्व के लिये हवाओं से युद्ध लड़ रहा हो! और इस मरघट से वीराने में शान्त बढ़ा चला जा रहा है वह। अकेला... किंकर्तव्यविमूढ़... दिशाहीन सा... जैसे कोई लक्ष्य ही ना हो! कदम बेहिसाब लड़खड़ा रहे हैं पर वह रुकने का नाम ही नहीं ले रहा। बायें हाथ के अंगूठे से ललाट पर आई पसीने की बूँदों को परे करता और दायें हाथ से एक लाठी को पकड़ कर अपने अस्थिपंजर काया को घसीटते हुये कच्छप-गति से उस यादृच्छिक से पथ पर निरंतर अग्रसर है। आँखें अश्रुपूरित! हृदय धौंकनी की भांति धाड़-धाड़ कर चल रहे हैं। और धाड़-धाड़ कर गूँज रहे हैं उसके कानों में उसके बेटे और बहू की आवाजें। - "और कितना सेवा करायेंगे आप। ३ सालों से जस-के-तस पड़े हुये खाँसते रहते हैं! अब और मुझसे ना हो पायेगा बाबूजी! रोज-रोज का एक ही आदत बना लिया है आपने! वही बिछावन पर ही मल-मूत्र कर देना! मैं कहता हूँ कि एक आवाज दे देंगे तो क्या कहर आ जायेगा! पाँच मिनट रूक नहीं सकते!" - "सिर्फ सेवा ही करानी हो तो कर भी दें ये, पर यहाँ तो पैसे को दरिया में बहाना पड़ रहा है! ना जाने कितनी उमर ले कर आये हैं! और इनके पीछे पैसे खर्च कर के भी क्या हासिल हो जायेगा? कितना जीयेंगे आपके पिताजी?" - "सबसे बड़ा रोग तो स्वयं बुढापा है, उसका इलाज कहाँ से होगा! एक माता-पिता होते हैं जो मरने से पहले अपने बच्चों को काफी कुछ दे कर जाते हैं! और एक आप हैं जो मरते-मरते हमारी जो भी जमा-पूँजी है उसे भी चूल्हे में झोंक देंगे!" - "माँ ही सही थीं जो हंसते-बोलते चली गईं। कम-से-कम उनके मरने पर दुःख तो हुआ था हमें! आज वो भी यदि होतीं, तो हमारा दीवाला ही निकल जाता!" और भी ना जाने क्या-क्या! आज वह आखिरी निर्णय कर के बेटे के घर से निकला है... कि वह अब वह उस घर में कदम भी नहीं रखेगा। जा कर किसी रेलगाड़ी में कटकर जान दे देगा पर उस घर में दोबारा नहीं लौटेगा। उसके मानसपटल पर उसकी यादें, उसका संपूर्ण जीवन-वृतांत एक चित्रपट की भांति परिदर्शित हो रहा है। हृदय में विचारों की भट्ठी तप रही है और विचारों की हर एक लहर उसके अंदर के तूफान को जागृत कर रही हैं। इसी भावावेश में ना जाने कब से चल रहा है वह! धीमे-धीमे चल कर ही काफी दूर निकल आया है। गाँव से डेढ कोस दूर स्थापित दुर्गा मैय्या के ३०० साल पुराने मंदिर से हवा से बजती घंटियों की आवाजें भी आने लगी है। उसे याद आ रहा है कि उसके जीवन के पहले पहर में जब वह दूसरों के घर मजदूरी करता था। तब उसका लाला मात्र ४ साल का था। यह भी याद आ रहा है कि जब उसके लाला को पीलिया हुआ था तब इलाज के पैसे जुटाने के लिये कैसे वह दर-दर भटका था... बेटे को कंधे पर लादकर अपनी लाचारी बताते हुये रो-रो कर भीख माँगा था! और इलाज के बाद जब बेटे के ठीक होने की खबर सुनी थी तो अपने बरतन बेचकर इसी मंदिर में बताशे का चढावा चढाया था। १०-१२ साल के होने पर उसकी डांट से गुस्से में आ कर वही बेटा जब घर से निकल कर स्टेशन तक भाग आया था तब उसकी क्या हालत हुई थी, यह भी याद है उसे। तब भी इसी मंदिर में आ कर वह दुर्गा मैय्या के चरणों में अपना सिर पटक-पटक कर रोया था और बेटे ना मिलने की स्थिति में यहीं सिर पटक-पटक कर जान दे देने की शपथ ली थी। उसका मानना है कि इस मंदिर में जिंदा देवता हैं। ताउम्र उसकी काफी मदद की है यहाँ की दुर्गा मैय्या ने। वह अपने बचपन से इस मंदिर के प्रांगण में समय बिताया करता था। बचपन में अपने पिताजी के साथ, युवा होने पर दोस्तों के साथ, जवानी में उसके बेटे लाला के साथ और बुढापे में उसके हमउम्र लोगों के साथ। पर जब से वह लकवाग्रस्त हुआ था, तब से यहाँ नहीं आ पाया था। हलाँकि अपने बेटे से उसने कई बार चिरौरी की थी पर आज तक उसकी मनोकामना पूरी नहीं हुई। आज वह किसी तरह भावावेश में आ कर यहाँ तक आ पहुँचा है। मंदिर के बाहर रखे घड़े से हाथ-पैर-मुँह धोकर वह मंदिर की सीढियों पर बैठ गया है। अब वह शांत है। जैसी मानसिक शांति अब उसे महसूस हो रही है, वैसी जीवन में कभी नहीं हुई थी। ऐसा लग रहा है जैसे वह अपने पूर्वजों के सानिध्य में आ बैठा है। अब उसे कोई कष्ट नहीं है। मुस्कुरा भी रहा है। मानो यहाँ आना ही उसकी आखिरी इच्छा थी। काफी देर हो चुकी है। घनी काली रात ने अपने आगोश में वातावरण को भर लिया है। मंदिर में एक दीपक जल रहा है। ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो एक अकेले दीये को अंध-रक्ष चहुँ ओर से घेरने को व्याकुल है पर दीया इस कदर संग्राम कर रहा है कि अंध-रक्ष को अपनी एड़ी-चोटी का जोर लगा देने के बावजूद हारना पड़ रहा है। अपनी आखिरी सांस तक वह दीया अडिग ही रहेगा। हलांकि अब उसका चित्त शांत है पर अंतर्मन में विचार-रूपी द्वंद्व अब भी चल रहे हैं। अचानक वह अपनी लाठी के सहारे उठ खड़ा होने की कोशिश कर रहा है। उठते-उठते एक बार वह गिर भी पड़ा है। शायद घुटने भी छिल गये हैं। पर यकीनन उसने कोई निर्णय ले लिया है। दुर्गा मैय्या को एक आखिरी प्रणाम कर के वह निकल पड़ा मंदिर से। पर यह क्या! वह तो पुनः घर की ओर ही जा रहा है। मंदिर के दीये की रोशनी ज्यादा दूर तक नहीं है, ऊपर से बुढापे की आँखें! दो-चार बार मंदिर के बाहर भी गिर पड़ा है। अपनी असमर्थता पर आँसू निकल आये हैं उसके। पर अपनी फटी धोती के कोर से उन आँसूओं को पोंछ कर फिर उठ खड़ा हुआ है वह। पूर्ववत अपने शरीर को लाठी के सहारे घसीटता हुआ वह बूढा अंधेरे की ओर बढ़ चला है। धीमे-धीमे घर की दिशा में बढ़ता हुआ वह मंदिर से काफी दूर निकल आया है। अब तो काफी दूर एक रेखा सी ही दिखाई दे रही है उसकी। पर... यह क्या! वह रेखा तो अचानक गिर पड़ी है। काफी देर हो गयी अब तक, वह रेखा उठती हुई नहीं दिख रही। कहीं वह इस घनघोर अंधकार में अंतःविलीन तो नहीं हो गया! नहीं-नहीं! यह क्या सोच रहा हूँ मैं! कहीं मुझे ही इस घनघोर घुप्प अंधकार की वजह से दृष्टिभ्रम तो नहीं हो रहा! पर मंदिर का दीपक भी तो बुझ चुका है! क्या प्रकाश पर तिमिर हावी हो गया! क्या हुआ? कुछ पता नहीं! धीरे-धीरे सुबह हो रही है। एक बार फिर प्रकाश अंधकार को चुनौती देने आ गया है। मुर्गे भी बाँग दे रहे हैं। काफी भीड़ भी नजर आ रही है गाँव में। - "सुनने में आया है कि एक बूढा मर गया पिछली रात।" - "क्या!!!" - "हाँ भाई, वही लाला दीनदयाल का बाप... अपाहिज!!! सुनने में आया है कि रात भर से गायब था और सुबह उसकी बहू ने उसकी लाश घर के चौखट से बाहर पड़ी हुई पाया। सुनते हैं कि बुढ्ढे के कुर्ते में एक कागज भी मिला है।" - "ओह!" - "हाँ भाई, सिर्फ एक पंक्ति लिखी हुई थी - दवाईयों और इलाज में काफी पैसे खर्च होते हैं, पर एक पुड़िया जहर तो २ रूपये में आता है ना!!!"

हमारे यहां हिंदी फिल्मों में हत्या और हाॅलीवुड की फिल्मों की हत्या में बड़ा फर्क है। हमारे यहां हीरो हीरोइन की मौजूदगी में उसे अपनी युद्धकला के सारे जौहर दिखाने के बाद विलेन को एक मामूली मुक्के में ढेर कर देगा मगर तब तक उसकी गर्जनाओं से सारा शहर इकठ्ठा हो चुका होगा। फाइट के दौरान हीरोइन के चेहरे के एक्सप्रेशन हीरो की विलेन के लिये दरिंदगी और वहशियत दर्शायेंगे। अ..ढिशुम अ..भिशुम्ब..। हालांकि वह विलेन को पहले भी मार सकता था अगर उसने पिस्तौल फेंक कर विलेन को ललकारा न होता तो। मगर गलती विलेन की है जनाब क्यूंकि उसने ही मौका दिया हीरो को जब गला दबाने की जगह उसने हीरो का परिवार खत्म करते हुए उसे पानी में या जंगल में फिकवा दिया था और उसके बड़े होकर उंगली करने के बावजूद भी गोली मारने की जगह उसे "तड़पा-तड़पा कर मारने के लिये" अपने लप्पूझन्ने जैसे लड़ाके के साथ ऐसे पिंजरे में बंद कर दिया जिसे एक लात में कपिल शर्मा भी तोड़ दे। मगर हाॅलीवुड में मसला अलग है। हीरो दुनिया बचाने की खातिर सैक्सी और स्लिम हीरोइन से ज़ोरदार सैक्स करके खुद में जुनून पैदा करता है और उसके बाद जब मिशन पर जाता है तो उसे पता होता है कि एक ही मौका मिलेगा विलेन को टपकाने का। तभी तो सैक्स करके निकला है भई कि मर भी गये पैंचो तो गम नहीं। फाइटर प्लेन उड़ाकर, साइटें हैक कर, बाइकें लहराकर, सारे शहर में गदर मचा कर जब वो विलेन को एक बंद कमरे में पकड़ लेता है तो शुरु होता है एक तहज़ीब से भरा ऑन द टेबल बातचीत का एक दौर। विलेन को मौत दिख गई है मगर चेहरे पर शिकन नहीं। हो भी क्यूं पैंचो सारे मज़े वो लूट चुका है जिंदगी के। सिगार का एक अंतिम कश। हीरो उसके सामने ही पिस्टल पर लंबा साइलेंसर लगाता है और टेबल के नीचे से आवाज़ आती है "च्यूं"। विलेन के काले कोट के भीतर "टाइड" से धुली शर्ट से एक लाल लकीर बन रही है। खेल खल्लास। फिर बीच पर एक शानदार काॅटेज पर बिकिनी धारी नई मगर पुरानी वाली से मस्त माल से एक नये सैक्स सेशन की शुरुआत। सीन क्लोज़्ड।

ज़िंदगी में जब आपको कोई रास्ता दिखाई ना दे; कोई मंज़िल दिखाई ना दे, कोई अपना दिखाई ना दे तो... . . . . . . . . . मोबाइल में टॉर्च भी होती है उसे जला लेना।

कुछ लौंडो को लगता कि वो रोज सुबह-सुबह खाली 'Hiii frnds gud mrng' वाला स्टेटस वो भी शार्टकट में डाल के पूरे फेसबुक पर सबसे एक्टिव बंदा हैं । घंटा बे !! चिल्लरों एक्टिव तो हम हैं रे, साला शौचालय भी जाते हैं तो ऑनलाइन रहते हैं और 2-3 पोस्ट तैयार कर के आते हैं

दीपिका ऐसे कर रही है जैसे उसकी पाॅर्न बन गई हो। अबे अगर इतनी ही दिक्कत है तो बिकिनी क्यूं पहनती है फिल्मों में..?? बदन दिखाने के लिये ना.. जिससे अधिक प्रसिद्ध हो, अधिक कमाई हो.. स्क्रिप्ट के नाम पर चलो ठीक है दिखा दिया कलाकार हो पैंचो तुम मगर ये गानों में तो स्क्रिप्ट नहीं होती ना.. फिर उनमें क्यूं..?? अबे बदन का खाती हो तुम ये बात जान लो.. और मीडिया ही तुम्हारा माध्यम होता है लोगों तक अपने रूपरंग दिखाने का, चाहे वो प्रिंट मीडिया हो, इलैक्ट्राॅनिक मीडिया हो या सोशल मीडिया। तो कौन सी आफत आ गई यार जो टाइम्स ऑफ इण्डिया ने तुम्हारा दुनिया को ऑलरेडी देखा दिखाया क्लीवेज दिखाया तो?? फोकट की पब्लिसिटी चाहिये बस.. फिक्र न करो जल्द ही राखी सावंत से अपार्टमेंट शेयर करती दिखोगी यही हाल रहा तो.. अगर यही मुद्दा कोई सोशलाइट, लेखक या कोई ऐसी महिला दिखाती जिसके प्रोफेशन का अंगप्रदर्शन से दूर तक ताल्लुक ना हो तो बात समझ में आती.. अबे मीडिया तुमसे पूछ कर तुम्हारी तस्वीरें दिखायेगा क्या..?? तुम एक पटाखा आइटम गर्ल हो और वही रहो.. रूल दर्शकों के दिलों पर कर सकती हो उनकी सोच और दिमाग पर नहीं..।। ऐनी वे, आई जस्ट लव याॅर ब्रा एण्ड क्लीवेज इन "फाइण्डिंग फैनी" और सेंसर बोर्ड ने बता ही दिया है कि एवरीवन नो दैट "यू आर नाॅट वर्जिन" ऐनीमोर..।। आई लव यू..

वेदों पर लगाये गये कुछ आक्षेप और उनका प्रतिउत्तर :


1. वेदों में मदीना का उल्लेख है : कहावत है कि बिल्ली को सपने में छीछड़े ही दिखते हैं. इसी तरह किसी मौलवी ने वेदों में दिए गए "अदीना" शब्द को "मदीना" पढ़ लिया और कहा कि वेद में कहा गया है कि हम सौ साल तक मदीना में रहें - प्रब्रवाम शरदः शतमदीना स्याम शरदः शतम| (यजुर्वेद, अध्याय 36, मन्त्र 24) जबकि इसका सही अर्थ है कि हे ईश्वर, हम सौ साल तक कभी दीन नहीं रहें, और किसी के आगे लाचार नहीं रहें. 2. मनुस्मृति में मौलाना : इसी तरह मनुस्मृति के "मौलान" शब्द को "मौलाना" बता कर यह साबित करने की कोशिश की गयी कि मनुस्मृति में लिखा है कि हर बात मौलाना से पूछ कर करना चाहिए. मनुस्मृति का श्लोक है - मौलान शाश्त्रविद शूरान लब्ध लक्षान कुलोद्गतान| (मनुस्मृति, गृहाश्रम प्रकरण, श्लोक 29) इसका वास्तविक अर्थ है कि किसी क्षेत्र के रीति-रिवाज के बारे में जानकारी केलिए वहां के किसी मूल निवासी, शाश्त्रविद, कुलीन और अपना लक्ष्य जानने वाले व्यक्ति से प्रश्न करें. न कि किसी मौलाना (मूर्ख) से पूछें. 3. वेद कहता है, मुर्गा खाओ, मद्य पियो : वेद का एक मन्त्र इस प्रकार है - तेनो रासन्ता मुरुगायमद्य यूयं पात सवस्तिभिः सदा| (ऋग्वेद, मंडल 7, सूक्त 35, मन्त्र 15) मुसलमानों ने इसका अर्थ किया कि वेद कहता है, हे लोगो तुम मुर्गा खाओ और मद्य (शराब) पीकर ख़ुशी मनाओ. जबकि इसका अर्थ है, हे ईश्वर, आज आप हमारे लिए कीर्ति प्रदान करने वाली विद्या का उपदेश करें, और हमारी रक्षा करें. 4. वेद में ईसा मसीह का उल्लेख : अकसर ईसाई हिन्दुओं को ईसाई बनाने केलिए यह चालाकी करते हैं और कहते हैं कि वेदों में ईसा मसीह के बारे में भविष्यवाणी कि गयी है. और ईसा एक अवतार थे. इसाई इस वेदमंत्र का हवाला देते हैं - ईशावास्यमिदं यत्किंचित जगत्यां जगत| (यजुर्वेद, अध्याय 40, मन्त्र 1) ईसाई इसका अर्थ करते हैं कि इस दुनिया में जो कुछ भी है, वह सब ईसा मसीह कि कृपा से है और वही दुनिया का स्वामी है. जबकि सही अर्थ है कि इस जगत में जो भी है, उसमें ईश्वर व्याप्त है. # Copied

हिंदी ज्ञान इसे अन्यथा न लें और जिन्होंने 'ले' लिया है वो अंदर ही रहने दें , निकालने में दर्द हो सकता है मुहावरों/कहावतों का मतलब:- 1 . अपने पैर पे कुल्हाड़ी मारना - नीतीश कुमार 2 . आधी छोड़ पूरी को धावे, आधी मिले न पूरी पावे - अरविन्द केजरीवाल। 3 .लम्बी दाढ़ी मीठी बानी, दगाबाज की इहे निशानी - योगेन्द्र यादव। 4 . काम के न काज के, दुश्मन आनाज के - राहुल गांधी। 5 . थोथा चना बाजे घना - कुमार विश्वास। 6 . अपना दुख से भइनी बाउर, के कूटी सरकारी चाउर - प्रियन्का गाँधी। 7 . तोरा बैल मोरा भैंसा, हम दूनों के संगत कइसा - तीसरा मोर्चा। 8 . दमड़ी के चाम गइल, कुकुर के जात चिन्हाइल - वामपंथ। 9 . बिना बोलवले मूरख बोले, बिना हवा के पीपर डोले - आज़म खां। 10 . धोबी के कुकुर, ना घर के ना घाट के - बसपा।

तस्वीरों के मनमोहक अंदाज से रूबरू होने के लिए क्लिक करें-


Monday 15 September 2014


उत्तर प्रदेश की सरकार ये मानती है कि कोई बहिन बेटी अगर किसी भी काम से घर से बाहर निकलेगी तो गुंडे उसे उठा ले ही जायेंगे .चाहे वो शौच के लिए ही क्यूँ न जाये ! मथुरा जिले में सड़क किनारे लगा ये सरकारी बोर्ड इसकी भाषा तो यही बताती है ! अब जब प्रदेश सरकार ने घोषणा कर ही दी है, उस के बाद भी अगर आप घर से बाहर निकलतीं हैं तो ये आप की ही गलती हुई न महिलाओ ? ये बेचारे तो 2014 में दुबारा आयेंगे आप से वोट मांगने "समाजवाद" के नाम पर अपने बेटे,बहू,भाइयों.,भतीजे सहित सारे "परिवार" को ले कर ! आशा है हम और आप हर बार की तरह इस बार भी मूर्ख बनेंगे !

बलात्कार के दोषियों को सजा देने के लिए सरकार को क़ानून में बदलाव करने की जरुरत है , साथ ही भारतीय-क़ानून में जो बाते लिखी गयी है वो भी पुरानी और बेकार है , इसमें "शील-भंग होना " जैसे शब्दों को हटाकर सभी तरह के यौन हमलो को शामिल करना चाहिए। -रवि सिंह

आँखों से आँसू छलक पड़े बेरोजगारी के उस; अहसास पे ग़ालिब जब घर वाली ने कहा; "ए जी खाली बैठे हो तो ये मटर ही छील दो"।

मैंने चाहा तुझे अबला समझ कर; मैंने चाहा तुझे अबला समझ कर; तेरे बाप ने पीट दिया मुझे तबला समझ कर।

हीर रो-रो कर रांझे से कह रही है; हीर रो-रो कर रांझे से कह रही है; . . . . . हाथ छोड़ कमीने मेरी नाक बह रही है।

अब कौन से मौसम से... अब कौन से मौसम से कोई आस लगाए; बरसात में भी याद जब न उनको हम आए; मिटटी की महक साँस की ख़ुश्बू में उतर कर; भीगे हुए सब्जे की तराई में बुलाए; दरिया की तरह मौज में आई हुई बरखा; ज़रदाई हुई रुत को हरा रंग पिलाए; बूँदों की छमाछम से बदन काँप रहा है; और मस्त हवा रक़्स की लय तेज़ कर जाए; हर लहर के पावों से लिपटने लगे घूँघरू; बारिश की हँसी ताल पे पाज़ेब जो छनकाए; अंगूर की बेलों पे उतर आए सितारे; रुकती हुई बारिश ने भी क्या रंग दिखाए।

सारी बस्ती में ये जादू... सारी बस्ती में ये जादू नज़र आए मुझको; जो दरीचा भी खुले तू नज़र आए मुझको; सदियों का रस जगा मेरी रातों में आ गया; मैं एक हसीन शक्स की बातों में आ गया; जब तस्सवुर मेरा चुपके से तुझे छू आए; देर तक अपने बदन से तेरी खुशबू आए; गुस्ताख हवाओं की शिकायत न किया कर; उड़ जाए दुपट्टा तो खनक ओढ़ लिया कर; तुम पूछो और मैं न बताऊँ ऐसे तो हालात नहीं; एक ज़रा सा दिल टूटा है और तो कोई बात नहीं; रात के सन्नाटे में हमने क्या-क्या धोखे खाए हैं; अपना ही जब दिल धड़का तो हम समझे वो आए हैं।

​​मेरे पिता से उनकी कब्र पर हुई मेरी बात


​अभिनेता नसीरूद्दीन शाह के अपने पिता आले मोहम्मद शाह के साथ अनसुलझे रिश्ते आज भी उन्हें तंग करते हैं और अदाकार ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि किस तरह उनके पिता के साथ उनका वास्तविक संवाद उनकी कब्र पर जाकर हुआ।​​ ​ ​ एक दूसरे के प्रति लगाव होने के बावजूद पिता-पुत्र के रिश्तों में असहजता नसीरूद्दीन के संस्मरण 'एेंड दैन वन डे' में पूरे समय अपना प्रभाव दिखाती है। नसीर की आत्मकथा में उनके जीवन के शुरूआती 40 साल और अभिनेता के तौर पर जगह बनाने के लिए उनके संघर्ष की कहानी है। उनका अदाकार बनने का सपना उनके पिता के विचार से असहमति वाला था।​​ ​ ​ 64 वर्षीय अभिनेता ने उस दिन को भी याद किया है जब वह अपने पिता के अंतिम क्षणों में उनके पास नहीं पहुंच सके क्योंकि वह विमान कर्मियों को उड़ान उतारने की जरूरत के बारे में समझाने में नाकाम रहे।​​ ​ उन्होंने लिखा है​, "जिस दिन मैं सरधना पहुंचा, मैं जमीन के उस हिस्से के पास गया जहां अब बाबा थे। उस दिन मैंने उनसे उस फिल्म के बारे में बात की जिसे मैने तभी पूरा किया था। फिल्म में बिना दाढ़ी वाले एक हिंदू पुजारी के मेरे किरदार पर उनके आनंद को मैंने महसूस किया।​"​ ​ ​ नसीर के मुताबिक​, "मैंने उन्हें मेरे सपनों और मेरे संदेहों के बारे में बताया। और रत्ना (नसीर की पत्नी) के बारे में बताया जिससे वह कभी नहीं मिले थे। इस बारे में बताया कि मैं अब कितना कमा रहा हूं। मुझे पता था कि वह सुन रहे थे और जवाब दे रहे थे। यह वास्तविक संवाद था जिसकी मैंने पहल की थी। मैंने अचानक मेरे उस नुकसान को महसूस करना शुरू कर दिया जिसकी भरपाई कभी नहीं होगी। और मुझे हैरानी हुई कि अचानक से मुझे उनकी कमी कितनी खलने लगी।​"​

​सलमान खान उन चंद अभिनेताओं में से है जिन्हें दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था। अब जब सरकार के सौ दिन पूरे होने पर मोदी को आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ रहा है तो सलमान उनके पक्ष में आगे आए हैं। उन्होंने कहा है कि मोदी खुद को साबित करने के लिए थोड़ा वक्त और पाने के हकदार हैं।​ ​ सलमन ने कहा​, "अभी तो सिर्फ मोदी को सिर्फ 100 दिन हुए हैं। उन्हें थोड़ा और वक्‍त देना चाहिए क्योंकि हर कोई इसका हकदार होता है। वे अपनी टीम के साथ देश के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। जबकि लोग तो यहां कोई जिम्मेदारी लेना ही नहीं चाहते और जो भी उनकी आलोचना कर रहे हैं उन्हें मैं चैलेंज करता हूं कि पहले अपनी हाउसिंग सोसायटी का चेयरपर्सन तो बनकर दिखाएं। देश चलाना तो दूर की बात है। आप खुद ही जान जाएंगे कि किसी को कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।​"​​ वहीं सलमान ने इस बात पर भी जोर दिया कि मोदी को फैसले लेने की पूरी स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। अपने आने वाले शो ​'​बिग बॉस​'​ को होस्ट करने जा रहे सलमान ने कहा "हमने जब उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में चुना है तो हमें उन्हें वो सम्मान देना होगा। उन्होंने पाकिस्तान के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए मदद का हाथ बढ़ाया इसे सुनकर अच्छा लगा।"​​​ 'दबंग' एक्टर मोदी के ड्रम बजाने के भी फैन हैं। उन्होंने कहा उनका ड्रम बजाना भी पसंद आया। सलमान ने माना​,​ ​"​मैंने उन्हें ड्रम बजाते हुए देखा है। उन्हें अच्छे से उसे बजाया, वो वाकई काफी कूल हैं।​"​

Bakchod Jokes................


संता: जल्दी से यहाँ एक एम्बुलेंस भेज दीजिये, मेरे दोस्त को एक गाडी ने टक्कर मार दी है। उसके नाक से और कान से खून बह रहा है। शायद उसकी टांग भी टूट गयी है। ऑपरेटर: आप किस जगह पर हैं कृपया वो बता दीजिये। संता: Connaght Place में। ऑपरेटर: आप मुझे स्पेलिंग बता दीजिये? आगे से कोई आवाज़ नहीं आई। ऑपरेटर: सर क्या आप को मेरी आवाज़ आ रही है? दूसरी तरफ से अभी भी कोई आवाज़ नहीं आई। ऑपरेटर: सर प्लीज, जवाब दीजिये, क्या आप मुझे सुन रहे हैं? संता: हाँ- हाँ माफ़ करना, मुझे Connaght Place के स्पेलिंग नहीं आते, इसलिए मैं उसे घसीट कर Minto Road पर ले आया हूँ। आप Minto Road के स्पेलिंग लिखो। एक आदमी कश्ती से कहीं जा रहा था कि अचानक एक ज़ोरदार तूफ़ान की वजह से उसकी कश्ती पलट गयी। उसे तैरना नहीं आता था। वो प्रार्थना करने लगा, "भगवान अगर तुम मुझे बचा लिया तो मैं गरीबों में 21 किलो लड्डू बाटूंगा।" फिर ज़ोर से हवा चली और एक बड़ी से लहर के साथ एक लकड़ी की शाख आई और उसने उसका सहारा लेकर तैरने लग गया और चिल्लाया, "कौन से लड्डू, कैसे लड्डू?" फिर ज़ोर से एक लहर आई और उसने आदमी के साथ से लकड़ी छुड़वा दी। आदमी: मैं तो पूछ रहा हूँ कौन से लड्डू, बेसन के या बूंदी के? एक ट्रेन मेँ एक पंडित एक गुज्जर एक बनिया और एक जाट सफर कर रहे थे। पंडित ने रौब झाडते हुऐ 100 का नोट निकाला और उस पर तम्बाकू डाल कर उसको बीडी बना कर पीने लगा। फिर गुज्जर ने 500 का नोट निकाला उसने भी पंडित की तरह बीडी बनायी और पीने लगा। अब बनिया कहाँ पीछे रहने वाला था, उसने 1000 का नोट निकाला और बीडी बनाकर पीने लगा। अब आ गयी जाट की बारी। जाट ने चेकबुक निकाली एक करोड की रकम भर के चेक की बीडी बनायी और पीने लगा। सब बेहोश और जाट मदहोश! एक बार संता बार में बैठकर कागज पर कुछ गुणा-भाग कर रहा था और पागलों की तरह हँस रहा था। तभी वहां बंता आया और उसने संता से पूछा, "क्या हुआ संता, तुम इतने खुश क्यों हो?" संता (हँसते-हँसते): ओ यार, आजकल मेरी पत्नी डाइटिंग पर है और पिछले 4 दिनों में उसने 5 किलो वजन घटा लिया है। बंता: तो फिर इसमें इतना हँसने वाली क्या बात है? संता: ओ यार, अभी-अभी मैंने सारा हिसाब लगाया है कि अगले 4 महीनों में वह पूरी तरह से गायब हो जाएगी। एक प्रोफेसर हिंदी की कक्षा में "गाली" की परिभाषा बताओ: पप्पू: अत्याधिक क्रोध आने पर शारीरिक रूप से हिंसा ना करते हुए, मौखिक रूप से की गयी हिंसात्मक कार्यवाही के लिए चुने हुए शब्दों का समूह, जिसके उचारण के पश्चात मन को असीम शांति का अनुभव होता है उसे हम "गाली" कहते हैं। प्रोफेसर: आपके चरण कहा है प्रभु! कुछ लोग जब रात को अचानक फोन का बैलेंस ख़त्म हो जाता है इतना परेशान हो जाते हैं कि जैसे सुबह तक वो इंसान जिंदा ही नहीं रहेगा जिससे बात करनी थी। कुछ लोग जब फ़ोन की बैटरी 1-2% हो तो चार्जर की तरफ ऐसे भागते है जैसे अपने फ़ोन कह रहे हों "तुझे कुछ नहीं होगा भाई, आँखे बंद मत करना मैं हूँ न सब ठीक हो जायेगा।" कुछ लोग अपने फोन में ऐसे पैटर्न लॉक लगाते हैं जैसे आई एस आई की सारी गुप्त फाइलें उनके फ़ोन में ही पड़ी हों। कुछ लोग जब आपसे बात कर रहे होते हैं तो बार बार अपने फ़ोन को जेब से निकालते हैं, लॉक खोलते हैं और वापस लॉक कर देते हैं। वास्तव में वे कुछ देखते नहीं हैं, बस ये जताते हैं कि वो जाना चाहते हैं। और अगर कभी गलती से फ़ोन किसी दूसरे दोस्त के यहाँ छूट जाए तो ऐसा महसूस होता हैं जैसे अपनी भोली-भाली गर्लफ्रेंड को शक्ति कपूर के पास छोड़ आये हों।

Sunday 14 September 2014

मैं बकचोद हूँ लेकिन बकचोदी नहीं करता। ..............



बकचोदी की भी हद होती है यार ............

जो मंदिर जाते हैं वो लडकियों को छेड़ते हैं... जो कांग्रेस में जाते हैं वो लडकियों को बिलकुल नही छोड़ते... जो यू-टूब पे जाते है वो लडकियों को छिड़ता हुआ देखते हैं... इंजिनियर मशीनो को छेड़ते हैं... जब भारतीय बल्लेबाज विदेश जाते है तो बाहर जाती गेंदों को छेड़ते है... कुछ लोग फेसबुक पे "कैंडी क्रश सागा" की रिक्वेस्ट भेज क छेड़ते हैं।

सत्य-वचन

दोस्तो आज-कल हरियाणा मे हूँ, और कल रात यहाँ रागनी सुन रहा था वैसे तो ragini mms-2 का फ्लॉप रहने का इससे कोई सम्बन्ध नहीं है परन्तु फिर भी अपने कॉलेज मे किसी की याद आ जाती है मेरे अंदर किसी भी क्षेत्रिय लोकगीत के लिये सम्मान का भाव रहता है, माना कि उनके अंदर रागनी के प्रति असीम प्रेम उमडता रहता होगा परन्तु इसका यह कदाचित भी मतलब नहीं की स्थान, समय या उत्सव का ध्यान ना रखा जाये कई दफे ऐसा देखने को मिला कि "महोदय" के इस बचकानी आदत ने सभी का बहुमूल्य समय नष्ट किया अरे भाइ बाथरूम के अंदर तो सभी अच्छा ही गाते हैं तो इसका ये मतलब थोडे ना है कि आप किसी के ज़नाजे पे भांगड़ा करना शुरू कर देंगे कहते है के सभी लोगो के अंदर अलग-अलग तरह के कीडे होते हैं, मेरा एक दोस्त कहता था कि इसके अंदर प्लस्टिक के कीडे हैं, जो ना सडते हैं ना गलते हैं और बात जहाँ तक रागनी की है तो माँ कसम मेरे जैसा बेसुरा भी हरियानवी औरत से ज्यादा अच्छे सुर मे गा सकता है।

राखी सावंत की पार्टी का नाम है "राष्ट्रीय आम पार्टी" राखी को देख कर लगता है पार्टी का नाम होना चाहिए था "राष्ट्रीय सडा हुआ आम पार्टी"

साम-दाम-दंड-भेद की नीति के तहत हमारे 'जांबाज पुलिसवाले' जुआरियों को उन्ही के अंदाज में हराते हुए !

देखिये बात कुछ ऐसी है कि इनको हम महाबेवकूफ़ कहेंगे तो आप मानेंगे नहीं , तो कहानी कुछ इस तरह कि इस्लामिक देशों के सबसे बड़ा चैनल 'अल जरीरा ' इस्लामिक देशों में इस फोटो को यह कह कर दिखा रहा है कि खून से लथपथ दो फिलिस्तीनियों पर इजरायल और यहूदियों का अत्याचार देखो .......!! और मजे की बात ये है कि अमिताभ और धर्मेन्द्र जी की एक्टिंग का करिश्मा देखो की इस्लामिक देशों के नागरिक इस फोटो को देख कर रोने लगते है

शक्तिमान में सम्राट किल्विश की नाक टेढ़ी थी और यूपी CM अखिलेश की भी नाक टेढ़ी है...मजे की बात ये है की दोनों का नारा भी एक "अँधेरा कायम रहे"

दाद देते हैँ तुम्हारे नज़रअंदाज़ करने के हुनर को। आखिर तुझे ये सब सीखाने वाले हम उस्ताद जो कमाल के थे

पत्नी सिगरेट के जैसी होती है, कश लगाओ ना लगाओ, खुद ब खुद जलती रहेगी. गर्लफ्रेंड बीडी की तरह, अगर हर 2 सेकंड में कश ना लगाया तो बुझ जाएगी.

च्विंगम खाने के बाद उसको यहाँ वहाँ मत फेंकिये... क्योंकि पक्षियों को वो पाव का टुकड़ा नज़र आता है... और उसे खाने के प्रयास में वो उनकी चोंच में गम की तरह चिपक जाता है... इस कारण ना तो वह दाना चुग सकती हैं.. ना ही अपनी प्यास बुझा सकती हैं..और धीरे धीरे ये निष्पाप पक्षी अपने प्राण गंवा बैठते हैं... . अगर आप पक्षी प्रेमी हैं.. तो अधिक से अधिक मात्रा में इसे लोगों तक पहुँचाने का प्रयास करें.. आपके एक शेयर से अगर एक भी पक्षी की जान बचती है.. तो ये सन्देश सफल हो जाएगा... धन्यवाद

वैसे तो मानवता उपकार की मोहताज़ नहीं। लेकिन फिर भी कश्मीरियों को समझना चाहिए, बाढ़ जैसी त्रासदी में पाकिस्तान उन्हें एक नाव तक ना दे पायेगा।

जिंदगी में अगर कोई बड़ा हादसा हो तो इन्सान टूट जाता है, लेकिन अगर हादसे पे हादसे होने के बाद कोई भी मज़े में रहे तो तो उससे जिंदादिल इन्सान कोई हो नहीं सकता। . . क्या है अपनी तारीफ़ पेल रहा हूँ, सीखो बे तुम भी कुछ।

दुनिया बड़ी बेमुरव्वत होती है, ये तो पता था। लेकिन मुझे हैरानी तब हुई थी जब तू भी इसी का हिस्सा निकली।

।।होमियोपैथी में वायरल का इलाज।। आज सुबह एक मित्र की पोस्ट देखी इबोला वायरस के बारे में। मन कई दिन से बेचैन था टीवी पर इस बीमारी को फैलता देख कर फिर "इनसाइक्लोपीडिया" से इसके लक्षण पढ़े तो पाया की इसके लक्षणों का इलाज या इस बीमारी का इलाज होमियोपैथी में उपलब्ध है। एक दवाई है crotalus horridas...जो crotalus नाम के सर्प के विष से बनाई जाती है, इसके सारे लक्षण इबोला वायरस से उत्पन्न लक्षणों से मिलते है। इसके उपरांत जब मैटेरिया मेडिका से इस दवाई लक्षणों को पढ़ा तो वहां इबोला का नाम साफ़ दिया हुआ है।। यानि जो बीमारी आज विश्व को भयभीत कर रही है उसका इलाज होमियोपैथी में 100 साल पहले लिखा जा चूका है। अगर आपकी जानकारी में कोई मरीज़ आये तो कृपया इस दवाई का नाम जरुर बताये।

भरोसे का संवेदी सूचकांक आसमान पर है। माना जा रहा है कि धन-दौलत ही सुरक्षित भविष्य का आधार है। पर ऐसा है क्या? गुरूजन कहते हैं – “नहीं।“ इस “नहीं” का विस्तार यह कि हम सब ऐसी भौतिक चीजों के पीछे भागे जा रहे हैं, जिसमें खुशी सन्निहित है ही नहीं। शिक्षक दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से छोटे बच्चे ने बड़ा सवाल पूछ लिया – आप कौन हैं? अपने आप को किस रूप में देखते हैं? प्रधानमंत्री ने इस सवाल की गंभीरता को माना और अपनी तरह से उत्तर भी दिया। पर ऐसा सवाल तो हर व्यक्ति को अपने आप से करना है। आध्यात्मिक गुरू अनंत काल से यही तो बताने की कोशिश करते रहे हैं कि स्वयं को जानो। ऐसे में नई दिल्ली के त्यागराज स्पोर्ट्स स्टेडियम में आगामी 18 सितंबर से आयोजित चार दिवसीय “स्वयं को जानो योगोत्सव” का महत्व काफी बढ़ गया है, जिसमें विश्व प्रसिद्ध बिहार योग विद्यालय के परमाचार्य परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती की पावन उपस्थिति में अपने आप को जानने का एक स्वर्णिम मौका है। स्वामी जी कहते हैं कि जिस दिन हम अपने आप को जान जाएंगे, जीवन आनंदमय हो जाएगा।

जनसंख्या नियंत्रण के लिए जरूरी है कि रात में देशवासियों को नींद अच्छी आए.. जब नींद आ जाएगी तब जनसंख्या वृद्धी के कार्य नहीं होंगे और जनसंख्या नियंत्रण में रहेगा!!! आज काल मुझे भी नींद की जगह कुछ और ही आ रही तभी ये बात समझ आई

जब 3 महीनो में पेट्रोल की कीमते 7 रुपये तक कम हो जाये, जब जब 3 महीनो में डॉलर 68 से 60 हो जाये, जब 3 महीनो में सब्जियों की कीमते कम हो जाये, जब 3 महीनो में सिलिंडर की कीमते कम हो जाये, जब 3 महीनो में बुलेट ट्रैन जैसे त्रिने भारत में चलाये जाना को सरकार की हरी झंडी मिल जाये, जब 3 महीनो में सभी सरकारी कर्मचारी समय पर ऑफिस पहुचने लग जाये, जब 3 महीनो में काले धन पर एक कमिटी बन जाये, जब 3 महीनो में पाकिस्तान को एक करारा जवाब दे दिया जाए, जब 3 महीनो में भारत के सभी पडोसी मुल्को से रिश्ते सुधरने लग जाये, जब 3 महीनो में हमारी हिन्दू नगरी काशी को स्मार्ट सिटी बनाने जैसा प्रोजेक्ट पास हो जाये, जब 3 महीनो में विकास दर 2 साल में सबसे ज्यादा हो जाये, जब हर गरीबो के उठान के लिए जन धन योजना पास हो जाये. जब इराक से हज़ारो भारतीयों को सही सलामत वतन वापसी हो जाये! तो भाई अच्छे दिन कैसे नहीं आये??? अब सबको फ्री की नौकरी मिले, फ्री की सब्जी मिले, फ्री का माल मिले सब कुछ ही फ्री का मिले अगर यह तुम लोगो के लिए अछे दिन है... तो कान खोल कर सुन लो, फ्री में सिर्फ "हवा" मिलेगी फेफड़े में दम है तो जितनी मर्जी उतनी खीच

अल कायदा ने भारत में अपनी नई शाखा बनाने का एलान कर दिया है। लगता है मोदी के 'कम, मेक इन इंडिया' नारे को आतंकियों ने भी काफी सीरियसली लिया है !

वो रोज शाम जो जलाऐ तो उसे शमां कह दिया और हमने एक शाम क्या जलाई तुमने सिगरेट मान लिया

प्यार के खेल में हम भी मैराथन का हौसला रखते थे। करमजली तू ही मुरलीधरन की फिरकी निकली।

अगर एक लड़की चलते-चलते गिर जाये तो लौंडे देख कर हंसेगे, कुछ जो शरीफ होंगे वो उठाने में मदद करेंगे। . . मैं क्या करूँगा बताऊ.... . . सोचो-सोचो

दुनिया बड़ी बेमुरव्वत होती है, ये तो पता था। लेकिन मुझे हैरानी तब हुई थी जब तू भी इसी का हिस्सा निकली।

जिंदगी में अगर कोई बड़ा हादसा हो तो इन्सान टूट जाता है, लेकिन अगर हादसे पे हादसे होने के बाद कोई भी मज़े में रहे तो तो उससे जिंदादिल इन्सान कोई हो नहीं सकता। . . क्या है अपनी तारीफ़ पेल रहा हूँ, सीखो बे तुम भी कुछ।
[Kalki Koechlin:] Source: LYBIO.net Ladies do you think rape is something men do out of a desire for control empowered by years of patriarchy. You clearly have been mislead by the notion that women are people too because lets face it ladies. Rape it’s your fault. It all begins with what you wear. Scientific study suggests that women who wear skirts are the leading cause of rape. Do you know why, because men have eyes, in fact? Here are some examples of provocative clothing that could cause rape. [Juhi Pandey:] Source: LYBIO.net Notice the one thing they all had in common. That’s right, all women, no women no rape. Now some people might actually argue that the crime is committed by men and to these people I say who gives birth to these men. Right again it’s us. It’s my fault. [Kalki Koechlin:] Indian culture provides for several progressive methods to counter rape. For example, the god man prescribed, bhaiya. Where in, you just refer to your attacker as bhaiya and voilà rape cancelled. Now, bhaiya, bhaiya. Ladies this works every time. [Juhi Pandey:] Another way women shamelessly propagate rape is by working late into the night. Ladies why work late and be independent. In fact why work at all. That’s what husbands are for. Fun fact, if he is your husband, it’s not rape. [Kalki Koechlin:] Powerful people have been spreading rumors that things apart from you can cause rape. For example Chowmein. “Chowmein leads to hormonal imbalance evoking an urge to indulge in such acts” Chowmein is made in the kitchen and who’s in the kitchen. [Juhi Pandey:] Movies. And who titillates men on screen. “Bollywood encourages women to abandon more demure clothing for “net (stockings) and miniskirt” ” [Kalki Koechlin:] And cell phone. “Mobiles are spoiling girls” Cell phones are made for talking and who talks a lot. [Juhi Pandey:] Source: LYBIO.net In fact to elucidate further here is a pie chart. LEADING CAUSE OF SEXUAL ASSAULTS 10% Men 90% Women As you can see, women are the leading cause of 100% of all sexual assaults. Oh, I’m sorry. The math is wrong. Clearly this pie chart was made by a woman. [Kalki Koechlin:] Now before we go, let’s not forget, if you’re tired of being humiliated by rape you can always go to the cops and be humiliated by them instead. [Policeman:] Madam when rape was happened, were you with boys? [Kalki Koechlin:] No, not. [Policeman:] Why you went out without boy’s protection? [Kalki Koechlin:] Well, actually there were a couple of my friends there. [Policeman:] See who are with boys at night? What will happen, so what did we learn today? [Kalki Koechlin:] Source: LYBIO.net It’s, it’s my fault. Thank you officer, thank you. And lastly ladies, stop seducing juveniles into raping you. They get let off easy. And that just makes you as statutory rapist. [Juhi Pandey:] And whose fault is that, it’s your fault. It’s my fault. It’s my fault. It’s my fault. It’s my fault. It’s my fault. It’s my fault. It’s my fault. It’s my fault. [Kalki Koechlin:] It’s your fault. [Juhi Pandey:] Source: LYBIO.net It’s your fault. STOP BLAMING THE VICTIM