Saturday 19 December 2015

निर्भया कांड के नाबालिक दोषी का रिहा होना, अपराधियों को अपराध करने के लिए और भी बल प्रदान करेगा


16 दिसंबर की उस घटना ने पूरे  देश को  हिला दिया था, अपराधियों को  सजा दिलाने के लिए पूरे  देश ने आंदोलन किया। उस घटना के बाद सरकार ने भरोसा दिलाया अब ऐसा जगन्य अपराध नही होने देंगे। लेकिन क्या इसमें सरकार  सफल हुई ? निर्भया काण्ड के बाद भी कुछ नही बदला, बल्कि ऐसे अपराधों में और बढ़ोत्तरी हुई है। और इस काण्ड के बाद अगर आकंड़ों को दखें तो सबसे ज्यादा अपराध नाबालिकों ने किये हैं।  नाबालिक होने के कारण वे कठोर दण्ड से बच जाते हैं।  18 साल से कम उम्र वालों को नाबालिक कहा जाता है। जबकि मनोविज्ञान के मुताबिक एक वयस्क की बुद्धि का विकास 15 साल तक हो जाता है। 15 साल के उम्र में उसे पता होता है क्या सही है क्या गलत। तो निर्भया के उस नाबालिक कुकर्मी को सिर्फ इसिलए रिहा किया क्यूंकि वो साढ़े 17 साल का है।  जबकि सबसे ज्यादा वहशीपन उसी  ने निर्भया के साथ किया। इस बात की क्या गारंटी है की वो भविष्य में ऐसा नही करेगा, चलो भविष्य को छोड़ो, लेकिन उसके रिहा होने से अपराधिक प्रवृत्ति वाले नाबालिकों को क्या सन्देश मिला ? की नाबालिक होने का फायदा उठाओ कुछ भी अपराध करो सजा नही होगी सिर्फ बालसुधारग्रह भेजा जाएगा, ऐसा सन्देश पहुंचेगा उन तक।  अगर उसे कठोर दंड दिया जाता तो कोई भी नाबालिक ऐसा करने से पहले हज़ार बार सोचता। निर्भया काण्ड के बाद भी मुझे नही लगता हमारी बहने सुरक्षित हैं।  इसीलिए मैं  देश की सभी बेहनो को सन्देश देना चाहता हूँ की कमजोर मत बनो अपराध से लड़ने की शक्ति रखो। अपराधी अपराध इसीलिए करता है की वो नारी जाति को अबला समझता है। किसी के भरोसे मत रहो अपने आप को इतना मज़बूत बनाओ की कोई भी किसी के साथ ऐसा न कर सके।
  

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