सारी बस्ती में ये जादू...
सारी बस्ती में ये जादू नज़र आए मुझको;
जो दरीचा भी खुले तू नज़र आए मुझको;
सदियों का रस जगा मेरी रातों में आ गया;
मैं एक हसीन शक्स की बातों में आ गया;
जब तस्सवुर मेरा चुपके से तुझे छू आए;
देर तक अपने बदन से तेरी खुशबू आए;
गुस्ताख हवाओं की शिकायत न किया कर;
उड़ जाए दुपट्टा तो खनक ओढ़ लिया कर;
तुम पूछो और मैं न बताऊँ ऐसे तो हालात नहीं;
एक ज़रा सा दिल टूटा है और तो कोई बात नहीं;
रात के सन्नाटे में हमने क्या-क्या धोखे खाए हैं;
अपना ही जब दिल धड़का तो हम समझे वो आए हैं।
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