Tuesday, 16 September 2014

वेदों पर लगाये गये कुछ आक्षेप और उनका प्रतिउत्तर :


1. वेदों में मदीना का उल्लेख है : कहावत है कि बिल्ली को सपने में छीछड़े ही दिखते हैं. इसी तरह किसी मौलवी ने वेदों में दिए गए "अदीना" शब्द को "मदीना" पढ़ लिया और कहा कि वेद में कहा गया है कि हम सौ साल तक मदीना में रहें - प्रब्रवाम शरदः शतमदीना स्याम शरदः शतम| (यजुर्वेद, अध्याय 36, मन्त्र 24) जबकि इसका सही अर्थ है कि हे ईश्वर, हम सौ साल तक कभी दीन नहीं रहें, और किसी के आगे लाचार नहीं रहें. 2. मनुस्मृति में मौलाना : इसी तरह मनुस्मृति के "मौलान" शब्द को "मौलाना" बता कर यह साबित करने की कोशिश की गयी कि मनुस्मृति में लिखा है कि हर बात मौलाना से पूछ कर करना चाहिए. मनुस्मृति का श्लोक है - मौलान शाश्त्रविद शूरान लब्ध लक्षान कुलोद्गतान| (मनुस्मृति, गृहाश्रम प्रकरण, श्लोक 29) इसका वास्तविक अर्थ है कि किसी क्षेत्र के रीति-रिवाज के बारे में जानकारी केलिए वहां के किसी मूल निवासी, शाश्त्रविद, कुलीन और अपना लक्ष्य जानने वाले व्यक्ति से प्रश्न करें. न कि किसी मौलाना (मूर्ख) से पूछें. 3. वेद कहता है, मुर्गा खाओ, मद्य पियो : वेद का एक मन्त्र इस प्रकार है - तेनो रासन्ता मुरुगायमद्य यूयं पात सवस्तिभिः सदा| (ऋग्वेद, मंडल 7, सूक्त 35, मन्त्र 15) मुसलमानों ने इसका अर्थ किया कि वेद कहता है, हे लोगो तुम मुर्गा खाओ और मद्य (शराब) पीकर ख़ुशी मनाओ. जबकि इसका अर्थ है, हे ईश्वर, आज आप हमारे लिए कीर्ति प्रदान करने वाली विद्या का उपदेश करें, और हमारी रक्षा करें. 4. वेद में ईसा मसीह का उल्लेख : अकसर ईसाई हिन्दुओं को ईसाई बनाने केलिए यह चालाकी करते हैं और कहते हैं कि वेदों में ईसा मसीह के बारे में भविष्यवाणी कि गयी है. और ईसा एक अवतार थे. इसाई इस वेदमंत्र का हवाला देते हैं - ईशावास्यमिदं यत्किंचित जगत्यां जगत| (यजुर्वेद, अध्याय 40, मन्त्र 1) ईसाई इसका अर्थ करते हैं कि इस दुनिया में जो कुछ भी है, वह सब ईसा मसीह कि कृपा से है और वही दुनिया का स्वामी है. जबकि सही अर्थ है कि इस जगत में जो भी है, उसमें ईश्वर व्याप्त है. # Copied

No comments:

Post a Comment