कल शाम से ही बड़ा अजीब सा महसूस हो रहा था, जब आपको किसी की बहुत ही ज्यादा याद आती है तो आपके सामने २ समय होते हैं,
पुराना अच्छा वक़्त जो आप उसके साथ बिता चुके या अभी वाला जिसमे एक निर्वात है और आप अकेले खड़े जिंदगी के चौराहे पे ये सोचते हुए चल रहे हैं की किधर जाये,
इस समय एक ऐसा loop बनता है की आप गोल गोल घूमते हैं, एक ऐसा communication गैप आ जाता है की आप ये सोचते हैं की आप उसे परेशान कर रहे हैं और उसे लगता है की वो आपको, जाहिर सी बात है,
आज सालों बाद बात हुई, एक टाइम ऐसा था एक घंटे भी हो जाता बिना उसका मैसेज आये तो लगता ही नहीं था की वो है जिंदगी में, आज तो इतना सन्नाटा है जीवन में की उसकी आवाज़ छोडो मैसेज भी कीमती लगी, खैर आज की बात और पहले की बात में बहुत अंतर है,
पहले जहाँ इस बात पे लड़ लेते थे की मैसेज क्यों नहीं किया और आज, तो बस अस्तित्व की लड़ाई है,
ये अस्तित्व, ego का बड़ा अजब सा खेल है, मुझे आज भी याद है की हमारे बाबू जी बोलते थे की, बेटा ego सही जगह लगे तो कमाल है नहीं तो बवाल है, आज कल यही है,
पहले जहाँ ऐसे ही कुछ भी बोल देते थे, न जाने कितनी बेवकूफी भरी बातें...
आज लगता है की बेवकूफियां भी कितनी कीमती होती हैं,
बात ५ साल पहले की हैं, आज भी अच्छे से याद है वो दिन, उसके थप्पड़ से शुरू हुई थी हमारे बाते और मुस्कुराकर ओह्हो....यही कहा था उसने.
मन में ये भी था कहीं उसको ये न लगे की कुछ ज्यादा ही फ्रैंक हैं या खली बैठे हैं, जबकि हालत यही थी, उसके हर मैसेज का इंतज़ार करना, किसी भी टाइम मोबाइल अकेला न छोड़ना यही सब लगा रहता था, वही उसको भी ऐसा लगता था, एक अच्छा इमेज बना रखा था की लड़का पढ़ने वाला है, व्यस्त रहता है लेकिन उसको कौन समझाए की उसके लिए तो न तब व्यस्त थे न आज हैं, हमेशा से उससे वैसे ही बात हुई जैसे पहले, हाँ अब गुस्सा बहुत है लेकिन गुस्सा रह भी नहीं पाता...
आज कहना बस इतना ही है की ये लड़का भी दिल रखता है, शायद जीना जानता है, तुम्हे समझता है, हाँ थोड़ा अजीब है लेकिन प्यार भी अजीब सा करता है, सांस लेना भुला नहीं है, तुमको आज भी वैसे ही महसूस करता है जैसे पहले,
पहले और अब में बस अंतर है की अब पैरों से मिटटी कुरेदता है, पन्नों पे हथेली की तपिश ढूंढता फिरता है।
पुराना अच्छा वक़्त जो आप उसके साथ बिता चुके या अभी वाला जिसमे एक निर्वात है और आप अकेले खड़े जिंदगी के चौराहे पे ये सोचते हुए चल रहे हैं की किधर जाये,
इस समय एक ऐसा loop बनता है की आप गोल गोल घूमते हैं, एक ऐसा communication गैप आ जाता है की आप ये सोचते हैं की आप उसे परेशान कर रहे हैं और उसे लगता है की वो आपको, जाहिर सी बात है,
आज सालों बाद बात हुई, एक टाइम ऐसा था एक घंटे भी हो जाता बिना उसका मैसेज आये तो लगता ही नहीं था की वो है जिंदगी में, आज तो इतना सन्नाटा है जीवन में की उसकी आवाज़ छोडो मैसेज भी कीमती लगी, खैर आज की बात और पहले की बात में बहुत अंतर है,
पहले जहाँ इस बात पे लड़ लेते थे की मैसेज क्यों नहीं किया और आज, तो बस अस्तित्व की लड़ाई है,
ये अस्तित्व, ego का बड़ा अजब सा खेल है, मुझे आज भी याद है की हमारे बाबू जी बोलते थे की, बेटा ego सही जगह लगे तो कमाल है नहीं तो बवाल है, आज कल यही है,
पहले जहाँ ऐसे ही कुछ भी बोल देते थे, न जाने कितनी बेवकूफी भरी बातें...
आज लगता है की बेवकूफियां भी कितनी कीमती होती हैं,
बात ५ साल पहले की हैं, आज भी अच्छे से याद है वो दिन, उसके थप्पड़ से शुरू हुई थी हमारे बाते और मुस्कुराकर ओह्हो....यही कहा था उसने.
मन में ये भी था कहीं उसको ये न लगे की कुछ ज्यादा ही फ्रैंक हैं या खली बैठे हैं, जबकि हालत यही थी, उसके हर मैसेज का इंतज़ार करना, किसी भी टाइम मोबाइल अकेला न छोड़ना यही सब लगा रहता था, वही उसको भी ऐसा लगता था, एक अच्छा इमेज बना रखा था की लड़का पढ़ने वाला है, व्यस्त रहता है लेकिन उसको कौन समझाए की उसके लिए तो न तब व्यस्त थे न आज हैं, हमेशा से उससे वैसे ही बात हुई जैसे पहले, हाँ अब गुस्सा बहुत है लेकिन गुस्सा रह भी नहीं पाता...
आज कहना बस इतना ही है की ये लड़का भी दिल रखता है, शायद जीना जानता है, तुम्हे समझता है, हाँ थोड़ा अजीब है लेकिन प्यार भी अजीब सा करता है, सांस लेना भुला नहीं है, तुमको आज भी वैसे ही महसूस करता है जैसे पहले,
पहले और अब में बस अंतर है की अब पैरों से मिटटी कुरेदता है, पन्नों पे हथेली की तपिश ढूंढता फिरता है।
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