Friday, 13 March 2015

नीर भरी दुख की बदली / महादेवी वर्मा




 मैं नीर भरी दु:ख की बदली!

स्पंदन में चिर निस्पंद बसा,
क्रन्दन में आहत विश्व हंसा,
नयनों में दीपक से जलते,
पलकों में निर्झरिणी मचली!
मेरा पग-पग संगीत भरा,
श्वासों में स्वप्न पराग झरा,
नभ के नव रंग बुनते दुकूल,
छाया में मलय बयार पली,
मैं क्षितिज भॄकुटि पर घिर धूमिल,
चिंता का भार बनी अविरल,
रज-कण पर जल-कण हो बरसी,
नव जीवन अंकुर बन निकली!
पथ को न मलिन करता आना,
पद चिन्ह न दे जाता जाना,
सुधि मेरे आगम की जग में,
सुख की सिहरन बन अंत खिली!
विस्तृत नभ का कोई कोना,
मेरा न कभी अपना होना,
परिचय इतना इतिहास यही
उमड़ी कल थी मिट आज चली!

Wednesday, 11 March 2015

अंजू शर्मा की कविता

एक दिन समटते हुए अपने खालीपन को
मैंने ढूँढा था उस लड़की को,
जो भागती थी तितलियों के पीछे
सँभालते हुए अपने दुपट्टे को
फिर खो जाया करती थी 
किताबों के पीछे,
गुनगुनाते हुए ग़ालिब की कोई ग़ज़ल
अक्सर मिल जाती थी वो लाईब्ररी में,
कभी पाई जाती थी घर के बरामदे में 
बतियाते हुए प्रेमचंद और शेक्सपियर से,
कभी बारिश में तलते पकौड़ों 
को छोड़कर
खुले हाथों से छूती थी आसमान,
और जोर से सांस खींचते हुए
समो लेना चाहती थी पहली बारिश
में महकती सोंधी मिटटी की खुशबू,
उसकी किताबों में रखे
सूखे फूल महका करते थे
उसके अल्फाज़ की महक से,
और शब्द उसके इर्द-गिर्द नाचते
रच देते थे एक तिलिस्म 
और भर दिया करते थे 
उसकी डायरी के पन्ने,
दोस्तों की महफ़िल छोड़ 
छत पर निहारती थी वो
बादल और बनाया करती थी
उनमें अनगिनित शक्लें,
तब उसकी उंगलियाँ अक्सर
मुंडेर पर लिखा करती थी कोई नाम,
उसकी चुप्पी को लोग क्यों
नहीं पढ़ पाते थे उसे परवाह नहीं थी,
हाँ, क्योंकि उसे जानते थे
ध्रुव तारा, चाँद और सितारे,
फिर एक दिन वो लड़की कहीं
खो गयी
सोचती हूँ क्या अब भी उसे प्यार 
है किताबों से
क्या अब भी लुभाते हैं उसे नाचते अक्षर,
क्या अब भी गुनगुनाती है वो ग़ज़लें,
कभी मिले तो पूछियेगा उससे
और कहियेगा कि उसके झोले में
रखे रंग और ब्रुश अब सूख गए हैं
और पीले पड़ गए हैं गोर्की की
किताब के पन्ने,
देवदास और पारो अक्सर उसे 
याद करते हैं
कहते हैं वो मेरी हमशकल थी 

Monday, 9 March 2015

Karo yog raho Nirog


योग से ही संभव होगा 



जब मुफ्त में आप योग के द्वारा सभी बिमारियों से मुक्ति पा  हैं, तो महंगी दवाईयां क्यों लेना, बस आपको योग को अपनी दिनचर्या में लागू करना होगा। 24 घंटे में से आप केवल आधा या एक घंटा अपने लिए नही निकाल सकते। फैसला आपको लेना है, महंगी दवाईयां या मुफ्त योग? 


Thursday, 5 March 2015

Ma Naukari mil gayi

बेटा:- माँ - माँ,माँ :- क्या है बेटा ? बेटा :- मुझे नौकरी मिल गयी माँ। माँ :- बेटा ये तो तूने बहुत अच्छी खबर सुनाई बेटा।  कब से कान तरस गए थे बेटा अच्छी खबर सुनने को। मनहूस खबरें सुन कर मेरे कान पक गए थे बेटा। तेरी बहिन को जब से कालिया उठा कर ले गया है काली पहाड़ी के पीछे उसके बाद से यही ख़ुशी की बात है मेरे लिए। बेटा :- माँ छोड़ो पुरानी बातों को ,  वैसे भी कालिया ने ठीक ही किया बहिन को ले गया, नहीं तो बहिन ही एक दिन कालिया को ले भागती , माँ अब सबका उधार दे दूंगा।  लाला से तेरे कंगन भी वापिस ले लूंगा।  और तुझे मंदिरों से चप्पल चोरी नही करने पड़ेंगे। तेरे लिए नयी चप्पल ला  दूंगा। अब हमें के  कुत्ते  मुँह से रोटी भी नही छीननी पड़ेगी।माँ :- बेटा ये सब करने में तो बहुत पैसा लगेगा ,बेटा :- माँ तू चिंता मत कर , एक लाख सैलरी है मेरी एक महीने की। माँ:- ऐसे ही  आगे बढ़ते रहो बेटा , पर तूने बताया नही की तुझे कौन सी नौकरी मिली है ? बेटा :- माँ ऐसी नौकरी केवल किस्मत वालो को ही मिलती है। माँ :- वो तो ठीक है बेटा , पर बताना क्या काम करना पड़ेगा तुझे नौकरी में।  बेटा :- माँ बहुत आसान सा काम है कोई राकेट नही बनाना है मुझे , बस सफ्ताह में एक दिन गीले कपडे से लाइट के तारों को साफ़ करना है. बस माँ इतना सा और इतना सरल काम है, और कंपनी वाले पागल हैं माँ जो इस काम के लिए एक लाख रूपए दे रहे हैं। 

Tuesday, 3 March 2015

Buffalo ka D.N.A.

कल  मैंने न्यूज़ पर देखा और सुना कि, किसी गाऊं मे एक आदमी की भैंस खो गई तो उसने पुलिस मैं रिपोर्ट की पुलिस की मेहनत रंग लायी और भैस मिल गयी लेकिन ट्विस्ट तब आया जब एक और आदमी भैस पर क्लेम करने आया कि ये भैंसिया हमार है.तो पहले आदमी ने कहा ये मेरी भैंसिया है, मैंने इसकी घुमसुदगी की रिपोर्ट भी लिखवाई है, तू मज़ाक मत कर और निकल जा यहाँ से नही तो भैस का गोबर तेरे मुँह में  दे मारूंगा। परिस्थिति  हुए पुलिस वालों ने क्लेम करने वाले आदमी से कहा तुम्हारे पास क्या सुबूत है की ये तुम्हारी भैस है। तो उसने कहा सुबूत -वबूत  छोड़िये  इसका D.N.A करवा लीजिए भैस का D.N.A जिस से भी मैच करेगा भैस उसके। तो पुलिस वाले भी मान गयी और भैस का D.N.A. करने को बोला, और साथ ही बोला तुम दोनों में  से जिसका भी D.N.A. भैस मिलता - जुलता हुआ भैस उसीकी होगी। दोनों बोले देख लेना भैंसिया की रगो में  मेरा ही खून होगा, इसीलिए D.N.A. के साथ साहबजी  ब्लड टेस्ट भी करवा देना आप पुलिस वालों की बड़ी मेहरबानी होगी।

Monday, 2 March 2015

Maa baap ka paisa barbaad kiya

पहले बच्चे को स्कूल पढ़ाया, फिर B. TECH के लिए कोचिंग करवाई बेटे को अच्छे  कॉलेज मे एड्मिशन मिल गया, हॉस्टल की फीस एडमिशन फीस कॉलेज फीस प्लस पॉकेट मनी अलग से , इंजिनीरिंग की डिग्री मिल गयी  लेकिन नौकरी तो नहीं मिली पर छोकरी कॉलेज मैं ही मिल गयी , उसके ऊपर भी पैसा उड़ाया। हासिल कुछ नहीं हुआ, आखिर लकड़ी ने भी उसे बाबा जी का ठुल्लु दिया। माँ - बाप ने सोचा चलो डिग्री तो मिल गयी नौकरी भी मिल जायेगी। यही आस लगाकर माँ-बाप भी परलोक सिधार गये। लेकिन बेटे  के लिए बैंक बैलेंस छोड़ गये। लड़के ने सोचा माँ-बाप के पैसे से अपना धंदा करूँगा।इसके लिए इन्जीनीरिंग डिग्री नहीं चलेगी M.B.Aकरना पड़ेगा। M.B.A भी किया डिग्री भी मिल गयी, लेकिन उसके माँ -बाप जो उसके लिए बैंक बैलेंस छोड़ गए थे वो तो B.Tech और M.B.A करने मे खत्म हो गया, जिससे कंपनी या कोई धंदा नहीं कर सकता , तो अब क्या ????

 बाबा  जी का घंटा होगा कुछ , फिर भेजा चला और मन में आया क्यों न गवर्नमेंट सर्विस की तैयारी करू ,  उसने तैयारी की फॉर्म्स भरे एक साल की ठुकान के बाद उसे नौकरी मिल गयी। बहुत खुश  हुआ , लेकिन ध्यान आया इस सरकारी नौकरी के लिए उसने B.Tech and M.B.A किया,मात्र  500 का फॉर्म भर कर जब नौकरी करनी ही थी तो B.Tech and M.B.A क्या घंटा बजाने के लिए किया। The moral of the story is,जब 500 का फॉर्म भर कर नौकरी मिल रही थी तो इस चुतिया ने पहले ही ऐसा करना चाहिए था।कमीने साले ने अपने माँ -बाप के पैसे बर्बाद किये। और नौकरी की आस मैं माँ -बाप भी सहीद हो गए, मिला क्या घंटा, इसीलिए अगर जेब में ना हो कौड़ी तो मत करो आगे -आगे दौड़ी। 

Tuesday, 3 February 2015

जिन्दगीं में किसी का साथ काफी हैं, कंधे पर किसी का हाथ काफी हैं,

एक बार संख्या 9 ने 8 को थप्पड़ मारा 8 रोने लगा...
पूछा मुझे क्यों मारा..?
9 बोला...
मैं बड़ा हु इसीलए मारा..
सुनते ही 8 ने 7 को मारा
और 9 वाली बात दोहरा दी
7 ने 6 को..
6 ने 5 को..
5 ने 4 को..
4 ने 3 को..
3 ने 2 को..
2 ने 1 को..
अब 1 किसको मारे
1 के निचे तो 0 था !
1 ने उसे मारा नहीं
बल्कि प्यार से उठाया
और उसे अपनी बगल में
बैठा लिया
जैसे ही बैठाया...
उसकी ताक़त 10 हो गयी..!
जिन्दगीं में किसी का साथ काफी हैं,
कंधे पर किसी का हाथ काफी हैं,
दूर हो या पास...क्या फर्क पड़ता हैं,
"अनमोल रिश्तों"
का तो बस "एहसास" ही काफी है !
अच्छा लगा हो तो आगे भी शेयर करें.....