Tuesday 24 March 2015

IT ACT 66A: Ab milegi likhne ki aazadi


Note::- सुप्रीम कोर्ट ने आज़ादी तो  दे दी, लेकिन लोगों से मेरा निवेदन है की इसका द्रुपयोग न करें। सोशल साइट्स पर कुछ भी पोस्ट,लाइक,कमेन्ट, फोटो अपलोड करने से पहले सोच ले की ये किसी धर्म ,जाति अथवा किसी की भावनओं को ठेस न पहुचाये।(Arahan Singh Dhami)



साइबर कानून की धारा 66ए खत्म करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासि‌क फैसला सुनाया है। फैसले ने भारत के लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को पूरी तवज्जो दी है। इस कानून की विवादास्पद धारा को खत्‍म करवाने का श्रेय सबसे पहले जाता है 24 वर्षीय श्रेया सिंघल को।

श्रेया ने 21 साल की उम्र में आईटी एक्ट की धारा 66ए का चुनौती दी थी। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को इस कानून को खत्म करने के आदेश से पहले इस कानून के तहत सोशल मीडिया और टेक्निकल डिवाइसेज के जरिए विवादास्पद लिखने पर तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाता था। इस कानून के तहत आरोपी पर आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती थी।

इस कानून के खत्म होने के बाद श्रेया ने कहा कि भारत के लोगों को इस कानून के खत्म होने से राहत मिलेगी और उनकी अभिव्यक्ति की स्वतत्रंता पर किसी तरह की कोई रोक टोक नहीं होगी। अब लोग सोशल मीडिया पर खुलकर अपनी बात रख सकते हैं।श्रेया वकीलों के परिवार से संबंध रखती हैं। श्रेया की मां सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं और उनकी दादी न्यायाधीश रह चुकी हैं। 
       श्रेया ने इस कानून को तब चुनौती दी थी ‌जब महाराष्‍ट्र की दो लड़कियों को फेसबुक पर एक पोस्ट लिखने और उसे लाइक करने पर‌ गिरफ्तार कर लिया गया था। गौरतलब है कि शिवसेना नेता बाल ठाकरे की मृत्यु के बाद मुबंई बंद करने को लेकर लड़कियों ने एक पोस्ट लिखा था।

इस मामले को लेकर श्रेया के परिवार ने उसको काफी बढ़ावा दिया। श्रेया यह जानती है कि उसने वह चीज पा ली है जो सुप्रीम कोर्ट के कई वकील इस दौरान प्राप्त नहीं कर पाए।

श्रेया ने यूके में तीन साल तक एस्ट्रोफिजिक्स की पढ़ाई भी की है। यूके में पढ़ाई के बाद श्रेया ने भारत में आकर लॉ स्कूल में दाखिला लिया।श्रेया का ध्यान इस मामले की तरफ तब गया जब इस मामले में आईटी एक्ट 66ए के तहत कई लोगों की गिरफ्तारियां हुईं। श्रेया ने कहा कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों की सरकार के दौर में इस कानून का बेजा इस्तेमाल किया गया। हर सरकार का अपना एजेंडा होता है। और एक कानून जनता के लिए होता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कड़े शब्दों में इस कानून पर‌ टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकारें आती रहेंगी और जाती रहेंगी। पर यह सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है कि इस कानून का बेजा इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।

श्रेया ने यह बात साफ करते हुए कहा कि इस कानून का बचाव मैं इसलिए नहीं कर रही हूं कि आप किसी को बेवजह बदनाम करें। श्रेया ने 12 नवंबर, 2011 को इस मामले में याचिका दाखिल की थी।

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