Monday, 17 August 2015

बेटा कहीं बाहर क्यों नहीं जाते?



Note:- ये एक काल्पनिक वंग्यात्मक लेख है। 
By:- Arahan Singh Dhami





रोज़ की तरह उस दिन भी मैं टाइम पास के लिए गेम खेल रहा था, एक दो घंटे बाद बोरियत होने लगी, तो सोचा आराम कर लूँ , तीन घंटे हो गए सोते - सोते मम्मी ने लंच के लिए उठाया, मम्मी ने  मेरे लिए खाना डाला और पड़ोस में आंटी के वहाँ चली गई।  खाना खाने के बाद सोचा चलो फिर से आराम कर लेता हूँ, जैसे ही आराम करने के लिए जा रहा था , तो door bell बजी, मैं दरवाजा खोलने चला  गया, सोचा मम्मी होगी, लेकिन दरवाजा खोलते ही मेरे सामने पड़ोस के अंकल थे, मैंने उन्हें नमस्ते किया और अंदर आने को कहा, अंकल ने पूछा बेटा घर पर और कोई नही है क्या ? मैंने कहा भाई market गया है और मम्मी पड़ोस की आंटी के वहां गयी है। उन्होंने बोला कोई बात नही, लो  ये मिठाई खाओ, मैंने पूछा किस खुशी में मिठाई खिला रहे हो अंकल?  अंकल बोले बेटा मेरे लड़के की MNC (Multi national company) में नौकरी लग गयी है, मैंने उन्हें बधाई दी और बोला अंकल आपके लड़के का तो इंजीनियरिंग का लास्ट साल था, अंकल बोले हाँ बेटा लास्ट साल था पर उसका कैंपस इंटरव्यू में selection हो गया और ,  exam होते ही रिजल्ट आने के बाद जॉब पर लग जाएगा, मैंने बोला अंकल अगर आपका बेटा लास्ट Year के exam में fail हो गया, तो क्या तब भी उसे job मिलेगी ? अंकल थोड़ा चीड़ गए  और गुस्सा हो गए, बोला मेरा बेटा आजतक अच्छे grade से पास होते आया है, तो भला फ़ैल क्यों होगा? फिर अंकल ने पूछा तुम नौकरी के लिए कहीं बाहर क्यों नही जाते ? यहाँ क्या रखा है? शहर जाओ कोई नौकरी ढूंढो। वैसे भी जब भी मैं तुम्हे देखता हूँ, तुम सोये मिलते हो, मैंने बोला अंकल वो मैं आराम करके तक जाता हूँ इसीलिए दुबारा आराम करता हूँ। अंकल बोले क्या ? मैंने कहा मज़ाक कर रहा हूँ अंकल। अंकल ने बोला मज़ाक तुम अपनी ज़िन्दगी के साथ कर हो। मेरे बच्चों को देखो दोनों सेटल हो गए हैं, लड़का engineer बन जाएगा और लड़की बाहर teacher है, मैंने अपने मन में "बोला तुम्हारा लड़का engineer बन कर क्या उखाड़ लेगा"।   अंकल ने पूछा बेटा अच्छा ये बताओ तुम यहाँ (पहाड़ ) में कर क्या रहे हो?  यहाँ तो कोई company भी नही है काम करने को, यहाँ रहना बेकार है। मैंने ज़वाब दिया अंकल मैं यहाँ पलायन रोकने के लिए रुका हूँ।  अंकल हँसते हुए बोले बेटा जब नेता पलायन नही रोक सके तो तू अकेला कैसे रोकेगा।  मैंने बोला अंकल शुरुवात अकेले ही करनी पड़ते है , बाद में कारवां अपने आप बन जाता है। 
      
पहाड़ से सभी बाहर शहर को जातें हैं , पड़ने के लिए कोई engineer बन जाता है कोई डॉक्टर और कोई teacher, और वो वहीँ के होक रह जाते हैं, पहाड़ के लिए कुछ नही करते।  बाद में खुद बोलते हैं "यार पहाड़ में क्या रखा है ? ऐसे ही लोगों की वजह से पलायन होता है , engineer , डॉक्टर तो बन जाते हैं किन्तु अपनी सेवा  पहाड़ में नही देते , अगर अपना engineer दिमाग पहाड़ों के landslide रोकने के लिए लगाते तो रोड block की समस्या नही होती, hospital हैं पर doctor नही हैं , अगर वो doctor बन कर यहाँ आते तो लोगों को इलाज़ के लिए बाहर नही जाना पड़ता , ऐसा ही हाल स्कूलों का है , अगर हर बंदा अपनी पोस्टिंग पहाड़ में करा ले तो , कितना अच्छा होता , लेकिन पहाड़ी होते हुए भी वो पहाड़ नही चढ़ना चाहते , जबकि मैदानी area  से ज्यादा सैलरी पहाड़ में doctor और टीचरों को मिलती है।  ये बातें सुनकर मैंने अंकल में पहाड़ प्रेम की भावना जगा दी। उन्होंने  बोला  बेटा तू सच्चा पहाड़ी प्रेमी है, हमारी वजह से भी पहाड़ों से पलायन होता है ,बेटा अब मैं अपने बेटे  बोलूंगा की, नौकरी लगने के बाद पहाड़ में भी अपनी सेवा देना, और अपनी बेटी को यहाँ ट्रांसफर करने को बोला हूँ , बेटा मैं तुझे बेकार, आलसी समझता था लेकिन अब मुझे तुझ पर गर्व है , ऐसा बोलकर uncle चले गए , और मैं भी सोने चले गया, थक जो गया था इतना लम्बा भाषण देकर। 10 minute बाद मेरे भतीजे का फ़ोन आया , मैंने उससे पूछा कहाँ  है आजकल ? वो बोला चाचू Mumbai में हूँ और जॉब कर रहा हूँ , वो बोला आप क्या कर रहे हो आजकल? मैंने बोला कुछ नही बेकार हूँ, फिर मैंने बोला यार भतीज कोई जुगाड़ लगा मेरा भी वहां पर , कोई भी काम मिले चलेगा पर कुछ काम ढूंढ मेरे लिए।  साला यहाँ पहाड़ में कुछ नही है। बेकार है यहाँ रहना। भतीज बोला भतीज बोला यहाँ  आ जाओ उसके बाद ढूंढ लेना काम।  मैंने बोला ठीक है, जल्दी ही वहां आता हूँ। नही तो यहाँ रहकर ज़िन्दगी बेकार हो जायेगी।

   The moral of the story is दूसरों को भाषण देने से पहले उस बात को खुद पर लागू करो , उसके बाद ही दूसरों को बोल बच्चन दो। 

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