शायद इसे "टेस्ट चेंज डिजायर" थ्योरी कह सकते हैं।
जी हाँ लड़कियों की ही बात कर रहा हूँ।
इनपर ध्यान देकर देखना, इनके पास लड़कों की लंबी-चौड़ी फ़ौज होती है, कुछ सिर्फ सोशल-मीडिया वाले होते हैं या यूँ कहें की वहीँ तक सीमित रह जाते हैं, उसके बाद आते हैं फोन वाले फ्रेंड, इसके बाद वालो को थोडा ज़्यादा टाइम नसीब हो जाता हैं, शायद तब जब लड़कियां खाली बोर हो जाती हों।
इसके बात नंबर आता हैं कुछ करीबी मित्रों का ये बेचारे हमेशा आपसी होड़ में ही लगे रह जाते हैं और चूतिये बनते रहते हैं।
अब नंबर उन महानुभाव का आता है जो सबसे करीबी कहे जाते हैं और इनके बेवकूफ बनने कि वैधता जीवन भर बनी रहती है।
इसके अलावा भी दिन में साथ रहने वाले, कुछ रात वाले, कुछ सीक्रेट वाले.........कुल मिलाकर कहें तो ये इनको नार्मल फ्रेंड, चैट फ्रेंड, फोन फ्रेंड, क्लोज फ्रेंड, बेस्ट-फ्रेंड....@$#$ etc
और सबसे अंत में एक लल्लू सा होता है जिसे वो शादी के लिए बचा के रखती है।
अब जब लल्लू का नंबर सबसे लास्ट में आता है तो जाहिर है कि मिलनी उसे सिर्फ गुठली ही है, जिसका उपयोग सिर्फ नए पौधों को उगाने के लिए ही किया जा सकता है।
इस विषय पर एक बार मैंने और निसर्ग ने चर्चा भी की थी, उस दिन एक ही बात समझ आई थी की लड़कियां हमेशा चूतिये लड़कों से ही क्यों पट जाती है- जवाब साफ़ था अच्छे लड़के किसी को पटाने की कोशिश करते नहीं और इनको कोई न कोई चाहिए ही, और फल भी तो उसे ही मिलेगा न जो मेहनत करे, और इंतज़ार करने वालो को तो उतना ही मिलेगा जितना मेहनत करने वाले छोड़ देंगे अर्थात् "गुठली"