Wednesday, 30 December 2015

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

पुराने साल में क्या खोया क्या पाया , ये  सब भूल कर और अपनी गलतियों से सीख लेकर नए साल में एक नए उमंग और जोश से फिर से नयी शुरुवात करें , आपने  जो गलतियां की हैं , उसे नए साल में न दोहराएं , सकरात्मक विचारों के साथ नए साल में नयी ज़िन्दगी की शुरुवात करें। 

मैं  भगवान से कामना करता हूँ, की नूतन वर्ष आप सभी के जीवन में नई खुशियाँ लाए और  आप सभी स्वस्थ रहे। 
नए साल  में देश में शांति और सद्भाव हो , और दादरी जैसे कांड न हो , न ही किसी लड़की के साथ निर्भया काण्ड दोहराया जाय। सभी धर्मों के लोग मिलजुल कर रहे यही मेरी कामना है।  

Saturday, 19 December 2015

निर्भया कांड के नाबालिक दोषी का रिहा होना, अपराधियों को अपराध करने के लिए और भी बल प्रदान करेगा


16 दिसंबर की उस घटना ने पूरे  देश को  हिला दिया था, अपराधियों को  सजा दिलाने के लिए पूरे  देश ने आंदोलन किया। उस घटना के बाद सरकार ने भरोसा दिलाया अब ऐसा जगन्य अपराध नही होने देंगे। लेकिन क्या इसमें सरकार  सफल हुई ? निर्भया काण्ड के बाद भी कुछ नही बदला, बल्कि ऐसे अपराधों में और बढ़ोत्तरी हुई है। और इस काण्ड के बाद अगर आकंड़ों को दखें तो सबसे ज्यादा अपराध नाबालिकों ने किये हैं।  नाबालिक होने के कारण वे कठोर दण्ड से बच जाते हैं।  18 साल से कम उम्र वालों को नाबालिक कहा जाता है। जबकि मनोविज्ञान के मुताबिक एक वयस्क की बुद्धि का विकास 15 साल तक हो जाता है। 15 साल के उम्र में उसे पता होता है क्या सही है क्या गलत। तो निर्भया के उस नाबालिक कुकर्मी को सिर्फ इसिलए रिहा किया क्यूंकि वो साढ़े 17 साल का है।  जबकि सबसे ज्यादा वहशीपन उसी  ने निर्भया के साथ किया। इस बात की क्या गारंटी है की वो भविष्य में ऐसा नही करेगा, चलो भविष्य को छोड़ो, लेकिन उसके रिहा होने से अपराधिक प्रवृत्ति वाले नाबालिकों को क्या सन्देश मिला ? की नाबालिक होने का फायदा उठाओ कुछ भी अपराध करो सजा नही होगी सिर्फ बालसुधारग्रह भेजा जाएगा, ऐसा सन्देश पहुंचेगा उन तक।  अगर उसे कठोर दंड दिया जाता तो कोई भी नाबालिक ऐसा करने से पहले हज़ार बार सोचता। निर्भया काण्ड के बाद भी मुझे नही लगता हमारी बहने सुरक्षित हैं।  इसीलिए मैं  देश की सभी बेहनो को सन्देश देना चाहता हूँ की कमजोर मत बनो अपराध से लड़ने की शक्ति रखो। अपराधी अपराध इसीलिए करता है की वो नारी जाति को अबला समझता है। किसी के भरोसे मत रहो अपने आप को इतना मज़बूत बनाओ की कोई भी किसी के साथ ऐसा न कर सके।
  

Thursday, 3 December 2015

चेन्नई बाढ़ त्रासदी से तो कुछ सीख लो



विकास के नाम पर अंधाधुन्द निर्माण कार्य, निर्माण कार्य भी ऐसा की बरसात के पानी निकासी के लिए जगह ही न हो, लगभग 100 साल बाद चेन्नई में ऐसा मंज़र देखने को मिला। पूरा शहर पानी - पानी हो रहा है। इसकी एक वजह है पानी निकासी की अच्छी सुविधा न होना, अगर सही Rain draining system होता तो कहीं हद तक इतनी भयानक स्थिति न होती, इसके लिए हम लोग भी जिम्मेदार हैं, विकास के नाम पर बरसात के पानी के लिए जगह न छोड़ना इसकी बड़ी वजह है , जब कोई हादसा होता है तभी सरकार नींद से जागती है, देश के कई बड़े शहरों की भी यही हालत है, थोड़ी सी बरसात में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो जाती है , जम्मू - कश्मीर, मुंबई ये भी इस त्रासदी को झेल चुके हैं। फिर भी सबक नही लिया, अगर बात दिल्ली के करें तो  सी बारिश में सड़कों पर बाढ़ जैसा दृश्य दिखाई देता है, अगर कभी दिल्ली में चेन्नई जैसी बारिश हुई तो क्या होगा ? इसीलिए सरकार और लोगों को मिलकर इस बारे में सोचना होगा। हम प्राकर्तिक आपदा को रोक तो नही सकते लेकिन उससे होने वाले नुकसान को कम तो कर सकते हैं। सरकार को Rain draining system पर ध्यान देकर देश के सभी नगरों
और महानगरों में इसकी सही व्यवस्था करनी होगी ताकि फिर चेन्नई जैसी घटना भविष्य में न के बराबर हो। 



चेन्नई बाढ़ त्रासदी में मरने वालों की आत्मा को शांति मिले। और जल्द ही वहां स्थिति सामान्य हो जाए , यही मेरी भगवान से प्रार्थना है।   

Tuesday, 10 November 2015

आप की वजह से किसी और का घर भी हो सकता है रोशन

                                     सभी को रोशनी के पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें 

इस दीवाली आप सभी पर लक्ष्मी माता की कृपा बरसे। दीवाली रोशनी का पर्व है, अंधेरे को मिटाने का पर्व है। आपकी दीवाली और भी रोशनियों से भर जायेगी, जब आपकी वजह से किसी और के घर मैं भी रोशनी होगी।


आप अपना छोटा सा योगदान देकर किसी गरीब  के घर मैं रोशनी करके इस दीवाली को और भी यादगार बनाइए। आप सभी अपने घरों को  chinese light, या fancy Candles से सजाते होंगे, लेकिन इस बार कृपा करके पांच या दस मिट्टी के दिये भी जरूर जलाने का प्रयास करे। chinese light या candles की तुलना में मिट्टी के  दिये आपको कम कीमत पर मिल जाएंगे और मिट्टी के दिए लेने से आपकी जेब पर कोई फर्क नही पड़ेगा। अगर आपका मन इन दीयों को लेने का नही करेगा तो एक बार ये सोच लेना की पांच या दस दिए लेने से दिए बेचने वालों के घरों में आपकी वजह से उजाला होगा। मिट्टी के दिए लेने से आपकी इज्जत कम नही होगी। ऐसा करने से दिये बेचने वालों के घरों  में भी दीवाली में रोशनी होगी और आपको भी बहुत ख़ुशी होगी।          विदेशी चींजें ले सकते हैं, लेकिन मिट्टी के दिये नही ले सकते, हज़ारों के पटाखे फोड़ सकते हैं लेकिन दिये नही ले सकते। मैं तो इस बार मिट्टी के दिये से ही अपने घर को रोशन करूँगा। और मेरी वजह से कम से कम एक घर में तो खुशियां आएँगी।  तो आप भी अपने एक छोटे से योगदान से किसी की दीवाली में रोशनी फैलाएँ। 

इस दीवाली आप सभी की मनोकामना माँ लक्ष्मी पूर्ण करे, आपके घर में सदा लक्ष्मी का वास रहे आप सभी को शुभ दीपावली।  








Saturday, 17 October 2015

जो भी आया है वो जायेगा एक दिन फिर ये इतना अहंकार किसके लिए

नदी में हाथी की लाश बही जा रही थी।
एक कौए ने लाश देखी,
तो प्रसन्न हो उठा, तुरंत उस पर आ बैठा।
यथेष्ट मांस खाया।
नदी का जल पिया।
उस लाश पर इधर-उधर फुदकते हुए
कौए ने परम तृप्ति की डकार ली।
वह सोचने लगा,
अहा! यह तो अत्यंत सुंदर यान है,
यहां भोजन और जल की भी कमी नहीं।
फिर इसे छोड़कर अन्यत्र क्यों भटकता फिरूं?
कौआ नदी के साथ बहने वाली
उस लाश के ऊपर कई दिनों तक रमता रहा।
भूख लगने पर वह लाश को नोचकर खा लेता,
प्यास लगने पर नदी का पानी पी लेता।
अगाध जलराशि, उसका तेज प्रवाह,
किनारे पर दूर-दूर तक फैले प्रकृति के
मनोहरी दृश्य-इन्हें देख-देखकर
वह विभोर होता रहा।
,
नदी एक दिन आखिर महासागर में मिली।
वह मुदित थी कि उसे अपना
गंतव्य प्राप्त हुआ।
सागर से मिलना ही उसका चरम लक्ष्य था,
किंतु उस दिन लक्ष्यहीन कौए की तो
बड़ी दुर्गति हो गई।
चार दिन की मौज-मस्ती ने उसे
ऐसी जगह ला पटका था,
जहां उसके लिए न भोजन था,
न पेयजल और न ही कोई आश्रय।
सब ओर सीमाहीन अनंत खारी जल-राशि
तरंगायित हो रही थी।
,
कौआ थका-हारा और भूखा-प्यासा
कुछ दिन तक तो चारों दिशाओं में
पंख फटकारता रहा,
अपनी छिछली और टेढ़ी-मेढ़ी उड़ानों से
झूठा रौब फैलाता रहा,
किंतु महासागर का ओर-छोर उसे
कहीं नजर नहीं आया।
,
आखिरकार थककर,
दुख से कातर होकर वह सागर की
उन्हीं गगनचुंबी लहरों में गिर गया।
एक विशाल मगरमच्छ उसे निगल गया।
,
शारीरिक सुख में लिप्त मनुष्यों की भी
गति उसी कौए की तरह होती है,
जो आहार और आश्रय को ही
परम गति मानते हैं और अंत में
अनन्त संसार रूपी सागर में समा जाते है।
जीत किसके लिए,
हार किसके लिए
ज़िंदगीभर ये तकरार किसके लिए....
जो भी आया है वो जायेगा एक दिन
फिर ये इतना अहंकार किसके लिए.
,
अगर आप हमारी बात से सहमत हैँ
तो कृपया लाइक और शेयर जरूर करेँ,

Tuesday, 13 October 2015

नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं

                                        

                                        जय माँ शेरावाली तेरी सदा ही जय हो। 





माता रानी आप सभी की मनोकामनायें पूर्ण करे , हर परेशानियों से लड़ने के शक्ति प्रदान करे।
देश में शांति, प्रेम और सदभावना का हमेशा वास हो। सभी पापियों का माता रानी अंत करे।
नारी जाति का अपमान करने वालों का विनाश करे।
इस नवरात्रि माता रानी की पूजा के साथ - साथ समस्त नारी जाति के सम्मान करने का प्रण ले।
 माता रानी आप सभी के कष्टों का निवारण करे।
जय माता की।

Monday, 21 September 2015

Gulzar,Harivansh Rai Bachchan Vs Honey Singh

प्रसंग है एक नवयुवती छज्जे पर बैठी है, वह उदास है, उसकी मुख मुद्रा देखकर लग रहा है कि जैसे वह छत से कूदकर आत्महत्या करने वाली है।
विभिन्न कवियों से अगर इस पर लिखने को कहा जाता तो वो कैसे लिखते :

गुलजार....

वो बरसों पुरानी ईमारत
शायद
आज कुछ गुफ्तगू करना चाहती थी
कई सदियों से उसकी छत से
कोई कूदा नहीं था.
और आज
उस तंग हालात
परेशां
स्याह आँखों वाली
उस
लड़की ने
ईमारत के सफ़े
जैसे खोल ही दिए
आज फिर कुछ बात होगी
सुना है ईमारत खुश बहुत है...

हरिवंश राय बच्चन...

किस उलझन से क्षुब्ध आज
निश्चय यह तुमने कर डाला
घर चौखट को छोड़ त्याग
चड़ बैढीं तुम चौथा माला
अभी समय है, जीवन सुरभित
पान करो इस का बाला
ऐसे कूद के मरने पर तो
नहीं मिलेगी मधुशाला

प्रसून जोशी साहेब...

जिंदगी की तोड़ कर
मरोड़ कर
गुल्लकों को फोड़ कर
क्या हुआ जो जा रही हो
सोहबतों को छोड़ कर

रहीम...

रहिमन कभउँ न फांदिये छत ऊपर दीवार
हल छूटे जो जन गिरें फूटै और कपार

तुलसी...

छत चढ़ नारी उदासी कोप व्रत धारी
कूद ना जा री दुखारी
सैन्य समेत अबहिन आवत होइहैं रघुरारी

कबीर....

कबीरा देखि दुःख आपने कूदिंह छत से नार
तापे संकट ना कटे , खुले नरक का द्वार''

मैथिली शरण गुप्त-

अट्टालिका पर एक रमिणी अनमनी सी है अहो
किस वेदना के भार से संतप्त हो देवी कहो?
धीरज धरो संसार में, किसके नही है दुर्दिन फिरे
हे राम! रक्षा कीजिए, अबला न भूतल पर गिरे।

काका हाथरसी-

गोरी बैठी छत पर, कूदन को तैयार
नीचे पक्का फर्श है, भली करे करतार
भली करे करतार,न दे दे कोई धक्का
ऊपर मोटी नार, नीचे पतरे कक्का
कह काका कविराय, अरी मत आगे बढना
उधर कूदना मेरे ऊपर मत गिर पडना।

श्याम नारायण पांडे-
ओ घमंड मंडिनी, अखंड खंड मंडिनी
वीरता विमंडिनी, प्रचंड चंड चंडिनी
सिंहनी की ठान से, आन बान शान से
मान से, गुमान से, तुम गिरो मकान से
तुम डगर डगर गिरो, तुम नगर नगर गिरो
तुम गिरो अगर गिरो, शत्रु पर मगर गिरो।

गोपाल दास नीरज-

हो न उदास रूपसी, तू मुस्काती जा
मौत में भी जिन्दगी के कुछ फूल खिलाती जा
जाना तो हर एक को है, एक दिन जहान से
जाते जाते मेरा, एक गीत गुनगुनाती जा

राम कुमार वर्मा-

हे सुन्दरी तुम मृत्यु की यूँ बॉट मत जोहो।
जानता हूँ इस जगत का
खो चुकि हो चाव अब तुम
और चढ़ के छत पे भरसक
खा चुकि हो ताव अब तुम
उसके उर के भार को समझो।
जीवन के उपहार को तुम ज़ाया ना खोहो,
हे सुन्दरी तुम मृत्यु की यूँ बाँट मत जोहो।

हन्नी सिंह....

कूद जा डार्लिंग क्या रखा है
जिंजर चाय बनाने में
यो यो की तो सीडी बज री
डिस्को में हरयाणे में
रोना धोना बंद!
तू कर ले डांस हनी के गाने में
रॉक एंड रोल करेंगे कुड़िये
फार्म हाउस के तहखाने में !!